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लाल बहादुर शास्त्री जयंती पर कविता शायरी Poem On Lal Bahadur Shastri Jayanti

लाल बहादुर शास्त्री जयंती पर शायरी कविता Lal Bahadur Shastri Jayanti Shayari


पावन जयंती पर पूर्व पी एम शास्त्री जी को सादर नमन
(कविता)
“जय जवान जय किसान,
फिर जय जय हिंदुस्तान।”

मन करना चाहता है, उस महा पुरुष को नमन,
जिसने कर दिया समर्पित, देश को सारा जीवन।
02 अक्टूबर 1904, इनकी जन्म जयंती आती हैं,
नाम लाल बहादुर शास्त्री, काम सेवा जन जन।
जय जवान जय किसान का नारा, गूंजा देश में,
देशभक्ति की सुगंध से, महक उठा यह चमन।
मन करना चाहता है…………….

पिता शारदा प्रसाद, माता राम दुलारी के लाल,
अभावों में बचपन, मन में हमेशा ऊंचे ख्याल।
मुगसराय में जन्म, मिर्ज़ापुर उनका ननिहाल।
पिता का साया छीना, जब उम्र मात्र दो साल।
हार नहीं मानी और किया सामना हालातों का,
छोटा कद, पतली काया, बातों में पूरा वजन।
मन करना चाहता है…………….

सन् 1965 के युद्घ में, पाक को धूल चटाई,
जवानों के दिल में, जोश की नई समा जलाई।
साथ ही की, किसानों की भी हौसला अफजाई,
शत्रु ने टेके घुटने, लंबी चली नहीं वह लड़ाई।
सबने देखा बुढ़ापे में, बचपन के नन्हे का दम,
जो कहते थे, जी जान से निभाते थे वे वचन।
 मन करना चाहता है………………

उनका जन्म दिन जब आता है, जोश जगाता है,
जवानों और किसानों का, मनोबल खूब बढ़ाता है।
उनकी ईमानदारी का मिसाल, सबक सिखाता है,
कम पैसों में जीने का, रास्ता अच्छा बतलाता है।
जीवन शास्त्री जी का, हमारे लिए उदाहरण नया,
खोज रही धरती उनको, ढूंढ़ रहा है नील गगन।
मन करना चाहता है……………….

प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)
बिहार।


स्वर्गीय लाल बहादुर शास्त्री जी के जन्म जयंती पर उन्हें शत-शत नमन। ये कृतज्ञ राष्ट्र आपका सदैव ऋणी रहेगा।
Lal Bahadur Shastri Jayanti Par Kavita

लाल बहादुर शास्त्री जयंती पर कविता

हे धन्य धरा के धन्य लाल।
ऋणी तेरा भारत विशाल।।

संयम साहस कर्तव्यनिष्ठ।
हे वीरव्रती दृढ़ सत्यनिष्ठ।।

जन जन के तुम प्यारे थे।
भारत के राज दुलारे थे।।

साक्षी जिसका सूर्य चंद्र।
सदाचार का दिया मंत्र।।

जागृत था तेरा स्वाभिमान।
लेश मात्र भी नहीं गुमान।।

तुम पाक को चने चबाए थे।
असली औकात बताए थे।।

छोटा था कद पर वामन थे।
क्रांति के शीर्ष आवाहन थे।।

दुनिया को तुम झुका दिए।
हम भारत हैं ये बता दिए।।

जय जवान जय किसान।
जय हिंद जय हिंदुस्तान।।
-------------------------------
उदय शंकर चौधरी नादान
कोलहंटा पटोरी दरभंगा
9934775009

लाल बहादुर शास्त्री पूर्व प्रधान मंत्री की पावन जयंती पर कविता

श्री लाल बहादुर शास्त्री (पूर्व प्रधान मंत्री)
(पावन जयंती पर कोटि कोटि नमन)
गुदरी के लाल को, कोटि कोटि नमन है
सन् पैंसठ में जिसने शत्रु को ललकारा।
खेत और सरहद दोनों से प्यार अजूबा,
जय जवान जय किसान का गूंजा नारा।
गुदरी के लाल को………..
दिया था पाकिस्तान को तगड़ा झटका,
वह ताड़ से गिरा था, खजूर पे लटका।
छोटा कार्यकाल, और बड़ी उपलब्धियां,
शत्रु सिर नहीं उठा पाया फिर दोबारा।
गुदरी के लाल को……………
दुनिया में बजबाया था भारत का डंका,
किसी के दिल में नहीं रही कोई शंका।
दुबला पतला तन, गगन से ऊंचा मन,
लगा चमका आकाश में नया सितारा।
गुदरी के लाल को…………..
ताशकंद में जो बनी थी दुखद कहानी,
नहीं भूल सकता है कभी हिन्दुस्तानी।
फर्श से अर्श तक का, सफर शानदार,
सादगी में उन्होंने पूरा जीवन गुजारा।
गुदरी के लाल को…………..
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार

देश के लाल, लालबहादुर शास्त्री जी की जयंती पर कविता

कविता
शत शत नमन
शत शत नमन आज उन्हें,
जो थे देश के लाल,
देश के लिए थे वे बहादुर,
हृदय था बड़ा, विशाल।
शत शत नमन...।

कायस्थ कुल में जन्म लिये वह,
थे गुदड़ी के लाल,
शास्त्री बनकर चमके गगन में,
किये ऊँचा भारत का भाल।
शत शत नमन...।

देश में जब खाद्यान्न संकट गहराया,
जय जवान,जय किसान का नारा लगाया,
बचाया उन्होंने देश को दुश्मन से,
नहीं होने दिया देश को कंगाल।
शत शत नमन...।

सुना हूँ थे वे कर्मठ,इमानदार,
करते थे वे अपने देश से प्यार,
आओ चलें हम उनके राहों पर,
करें हम उनसा कुछ कमाल।
शत शत नमन...।
अरविन्द अकेला

जय जवान जय किसान, लालबहादुर शास्त्री जी की जयंती पर कविता

जय हिन्द
"जय जवान जय किसान"
मैं लेखिका तो हूँ नही कवित्री हूँ अतः स्व• लालबहादुर शास्त्री जी के श्री चरणों मे कुछ शब्दों के पुष्प कविता के रूप में अर्पित करती हूँ ।
प्रस्तुत है जीवन परिचय-
बहुत साल तक धरती माता, करती हरि स्तुत
लाल बहादुर जैसा तब, वो जनती एक सपूत

2अक्टूबर 1904 के, पावन दिन ये जन्मे
उस पावन दिन के प्रताप से, पाया उनको हमने

राम दुलारी, मुंशी प्रसाद के थे, ये अनुज संतान
किसे पता था,मात पिता का करेंगे ऊंचा नाम

डेढ़ वर्ष की आयु में ही, पिता गए इन्हें छोड़
ईश्वर पास में जा बैठे, वे सबसे नाता तोड़

अति गरीबी ने इनका था, खेल कूद संग छीना
ना लक्ष्मी के नूपर की ध्वनि, ना सरस्वती की वीणा

नाना के घर इनका हुआ था, भाई बहन संग पालन
मगर पढ़ाई पर इनकी थी, टिकी हुई दो नैनन

काल चक्र का पहिया, धीरे धीरे रहा था घूम
पता नही कब मन्ज़िल आके, ले कदमों को चूंम

मिर्ज़ा पुर के विद्धया पीठ से,शास्त्री पदवी पाई
फिर आगे तक नही कर सके,और भी थोड़ी पढाई

गांधी जी के उच्च विचारों, के थे प्रबल समर्थक
स्वतंत्रता आंदोलन में ये, कूद पड़े एका एक

कई विभागों के मंत्री के, रूप में कार्य किये थे
एक मामूली रेल दुर्धटना,में इस्तीफा दिये थे

एक प्रचलित नारा इनका, जै जवान जै किसान
गुंजित अब तक ही रहता है, रात शाम विहान

पाकिस्तान से युद्ध में उनकी, ईंट से ईंट बजादी
पुनः उसी के समझौते में, अपनी जान गवादी

11 जनवरी 1966 को, क्रूर हुआ यह काल
जिसने छीन लिया हमसे ये, वीर बहादुर लाल

लाल बहादुर आप को, शबनम का परनाम
सच्चे हृदय से आप का, करती हूँ सम्मान।
जयहिंद
शबनम मेहरोत्रा

राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी और लाल बहादुर शास्त्री जयंती पर कविता

जय जवान, जय किसान
जब तक नभ में चाँद एक भी तारा रहेगा
जय जवान, जय किसान का नारा रहेगा
लाल बहादुर शास्त्री भारत का गुमान रहेगा
राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी अभिमान हमारा रहेगा
जब तक नभ में चाँद एक भी तारा रहेगा
जय जवान,जय किसान का नारा रहेगा
पाक ने जब वार किया शास्त्री ने ललकारा
जय जवान जय किसान कानारा लगाया था
हाथों में तिरंगा लहराता बच्चा बच्चा बोला था
जय जवान जय किसान का चारों तरफ नारा था
भारत माता के दोनो ही तो आँखो के तारे है
"लक्ष्य" कह रहा ये ही भारत भाग्य विधाता
एक पेट की भूख मिटाता एक देश की रक्षा करता
शान से यारों एवरेस्ट पर अपना तिरंगा लहराता
जनम जयंती गाँधी, शास्त्री की सारा देश मनाता
गाँधी जी ने सत्य अहिंसा धर्म का दीप जलाया
शास्त्रीजी ने जय जवान जय किसान का नारा दिया
दोनो है अभिमान हमारे शाने हिंदुस्तान
जय जय जवान, जय जय किसान
स्वरचित
निर्दोष लक्ष्य जैन

लाल बहादुर शास्त्री जी की जयंती पर विशेष कविता Lal Bahadur Shastri Jayanti Poem

शीर्षक
लाल बहादुर शास्त्री
2 अक्टूबर उन्नीस सौ चार के दिन,
मुगलसराय में उड़ा लाल गुलाल।
मुंशी शारदा प्रसाद रामदुलारी के,
घर आया एक बहादुर लाल।

20 बरस की यौवन अवस्था में,
गांधी के विचारों ने किया कमाल।
कूद गए स्वाधीनता संग्राम में,
छोड़ा मोह माया जंजाल।

देश के खातिर कई बार,
दिया सलाखों के पीछे डाल।
9 वर्ष कारावास के सहे,
पीछे न हटा भारत का लाल।

कर्मठता, ईमानदारी, देशभक्ति,
देखा भारत में एक कर्म राज।
जवाहरलाल का कार्यकाल पर मरना।
दिया दूसरे प्रधानमंत्री का ताज।

स्थान द्वितीय काम आद्वित्य,
सत्य, सादगी, सच्चे इंसान।
निस्वार्थ नेता ईमानदार देशभक्त,
पाया मरणोपरांत भारत रत्न सम्मान।
ललिता कश्यप
गांव सायर जिला बिलासपुर हिमाचल प्रदेश

धरती के लाल लाल बहादुर शास्त्री जी की जयंती (२अक्टूबर १९०४)

धरती के लाल!
न करो! जीवन में आराम, धरती के लाल!
माटी से जुड़ों ! माटी में ही मिलना है।

सींचो अपने खून पसीने से, लहलाएं खेत, भर जाए खलिहान,
ना करो ! जीवन में आराम, धरती के लाल!
माटी से जुड़ों! माटी में ही मिलना है।

जितना अपने को जलाओगे,
उतना ही सुख पाओगे,
ना करो! जीवन में आराम, धरती के लाल!
माटी से जुड़ों! माटी में ही मिलना है।

धरती के लाल, लाल बहादुर शास्त्री जी कहना था।
जय जवान, जय किसान, भारत की शान
ना करो! जीवन में आराम धरती के लाल!
माटी से जुड़ों! माटी में ही मिलना है।

कोटिश: नमन धरती के लाल!
माटी से जुड़ों!माटी में ही मिलना है।
(मौलिक रचना)
चेतना चितेरी, प्रयागराज

लाल बहादुर शास्त्री जयंती पर दोहे

(१)
अनुशासन ही देश को,करता सदा महान।
अनुशासित जन-जन रहे,तब होगा उत्थान।।
(२)
सत्य-अहिंसा शस्त्र थे, गांधी जी के हाथ।
आजादी के हेतु वो, जुटे सभी के साथ।।
(३)
वीर जवानों- किसानों ,का करते सम्मान।
लाल बहादुर शास्त्री, नेता सरल महान।।
(४)
गांधी-शास्त्री रत्न थे, भारत मां की शान।
दो अक्टूबर जन्म दिन,गाएं सब गुणगान।।
(५)
दो अक्टूबर को हुए, भारत में दो संत।
सरल, नेक थे अति कुशल, प्रतिभा रही अनंत।।
(६)
सारे भारत देश में, दोनों रहे महान।
ढूंढ़े मिलते हैं नहीं,अब ऐसे इंसान।।
ओम प्रकाश खरे जौनपुर

क्रांति का तूफ़ान : गांधी / शास्त्री जी कि जयंति के उपलक्ष पर राष्ट्रहित में कविता 

गांधी / शास्त्री जी कि जयंति के उपलक्ष पर एक राष्ट्रहित में रचित मेरी रचना प्रस्तुत है, आमीन!
क्रांति का तूफ़ान
फिरंगियों के तख्तो-ताज़ को,
धूल चटा दूर भगाया।
कुछ स्वार्थ सोंच सेठों ने,
तिजुरियाँ खोल खजाना
भर सरकार चलाया।
आजादी मिली राजनैतिक पर,
खुदपरस्तों ने सीमा खींच
देश को इंडिया बनाया।
पेट भरा नहीं तो सर पर चढ़ कर,
तोप दाग कश्मीर कैलाश छीन सर मुंडवाया।
आज़ादी के बाद देश झेला है ढेर बलायें,
कर तले दबा मझलों को चूस-
अपना दरमाहा-भत्ता बढ़वाया।
गद्दी खातीर इमान बेच,
मैनिफेस्टो की ऊँची पतंग उड़ाया।
विदेशी निति वाले नास्तिकों के,
संग मिल अपनी सरकार चलाया।
कोई कबुतर उड़ा,
कैलाश मानसरोवर दे हाथ मिलाया।
दूध में जहर मिला लाल बहादुर को,
रूस भेज पिला कर मरवाया।
लौह पुरुष बाजपेयी तब,
कारगिल पार हो छक्के छुड़ाया।
फौजी बर्फ में ठिठुरे पर,
रौंद अतिक्रमित भूमि नहीं छुड़वाया।
तूफ़ानों से निकले तो शर्मसार,
दिख रहा धपला-खुरपात है।
क्रांति की लपटें उठें अब,
इसमें हीं इज्जत- साख़- शान है।
देश की ग़रीब भूखी- नंगी-
बेघर जनता का दूहन- मरण।
बलत्कार- नित साधु हत्या,
आये दिन बढ़ता जन प्रतारण।
राहत न मिली तो चित-पट का,
एलान करना हीं होगा।
पट हुए तो खल्लास-
अंज़ाम हम सब का एक होगा।
ज़श्न नहीं अब देश को,
अधम ज़ल्लादों का रुधिर चाहिये।
आश्वासन नहीं आवाम को-
इत्मिनान की दो रोटी चाहिये।
''करो या फिर मरो'' का,
नया जमाना यह है आया।
काहील गद्दारों के पुतले,
हर नुक्कड़ पर आवाम जलाया।
झंडों- टोपी ने बहुत हीं,
देशवासियों को सतकों भरमाया।
अब न चलेगा और धोटाला-
बहसीपन-गठबंधन गद्दारी।
हैवानों का हटेगा काला साया-
ऐश किये अब तेरी बारी।
चलो, उठो एक नया हिंदुस्तान,
बन उभर कर है आया।
अमीरों की दौलत से गरीबों के,
अंधेरे झोपड़ बसाया।
सच्ची आजादी खातिर,
आतंक का खात्मा अब होगा।
अमन- चैन हर घर-बाहर,
गाँव-शहर में कायम होगा।
डॉ० कवि कुमार निर्मल

लाल बहादुर शास्त्री तथा महात्मा गांधी की जयंती पर कविता

आज के दिन दो फूल खिले हैं, धन्य हुए सब हिन्दुस्तानी।
एक थे गाँधी एक का था वीर लाल बहादुर स्वाभिमानी।

मुगलसराय और पोरबंदर में जन्में ये वीर महान।
एक का नारा अमन चैन दूजा स्वतंत्र देश की शान।

एक ने जय जवान जय किसान का नारा गुँजाया।
सत्याग्रह कर नगर नगर तिरंगा गाँधी ने फहराया।

गोली खा कर भी झंडा लाल किले पर लहराया।
हरित क्रांति का परचम लहरा, गोदामें भरवाया।

एक अफ्रिका का अमीर बैरिस्टर, नदी पार कर एक लाल पढ़ पाया।
एक का योगदान आजादी में, एक ने पाक सीमा आगे पैर बढ़ाया।

चार साल पहले चीन कैलाश मान सरोवर को खाना।
लाल की हुँकार सुन पाक को तोहे के चने चबाना।
लाल की हुँकार सुन पाक को तोहे के चने चबाना।।
पुष्पा निर्मल

महात्मा गांधी जी तथा लालबहादुर शास्त्री जी की जयंती के अवसर पर कविता

आज के दिन दो फूल खिले
एक थे गाँधी एक थे लाल बहादुर
एक का नारा अमन देश का
एक का जयजवान जय किसान
भारत माँ के लाल थे दोनों
जय हिन्द जय हिन्द
आज के दिन दो फूल खिले
एक थे गाँधी एक थे लाल बहादुर
एक का नारा अमन देश का
एक का जय जवान जय किसान
भारत माँ के लाल थे दोनों
जय हिन्द जय हिन्द पुष्पा निर्मल
बेतिया बिहार
(02/0/10/21)
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