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मोहन-दास करम-चन्द गाँधी, कैसी आँधी चली, नयीऔर विचित्र कविता

गांधी जयंती पर कविता Poem On Gandhi Jayanti नयीऔर विचित्र कविता

जदीद-व-मुन्फरिद नज़्म-ए-मुअर्रा
" कैसी आँधी चली ? "
मोहन-दास करम-चन्द गाँधी!
अपनी ज़ात में/ से थे " एक आँधी "!
कैसी आँधी चली ?!, डर गये तुम,
अंग्रेज़ो!
भागे बोरिया-बिस्तर ले के तुम!
लेकिन, मेरे ही " भारत " के " नाथू " ने
उस " महात्मा " का ख़ून कर डाला!?
अब, हमलोग मनाते हैं " यौम-ए-क़त्ल "!?
" गाँधी-ज्यन्ती/जयन्ती, यौम-ए-विलादत!?
" नाथू-राम " का " भूत " अभी भी लगाए है
ठट्ठे, क़हक़हों पर क़हक़हे दिन-रात!?
क्या हैं नर्क-स्वर्ग-व-दोज़ख़-जन्नत ?!
क्यों हैं वे ?!
किस की रूह कहाँ है ??
किस की आत्मा चैन-व-सुकूँ से है ?!
किस की आत्मा बे-ताब है,यारब ?!
नवीन -व-विचित्र कविता
" सब को याद करो! "

हर साल/ हर बरस दो अक्तूबर को, हमलोगों को " गाँधी जी " के साथ-साथ, शास्त्री जी "
हेड्-मास्टर अब्दुल-जब्बार ग़नी हजीं, जिगर राँचिवी, जमालुद्दीन शारिक़ जमाल नागपुरी, अब्दुल-वहीद तुर्फ़ा क़ुरेशी, वग़ैरा को भी याद करना चाहिए!
सिर्फ़ " गाँधी " को याद करना ,
कहाँ तक सही है, यारो ?!
ज़रा सोंचो, समझो!!
अपनी सोच बदलो!!
सब अज़ीम हस्तियों को याद करो!
उन के " यौम-ए- विलादत " मनाओ!
उन के " यौम-ए-वफ़ात " मनाओ!
उन के कारनामों को याद करो!
और उन पर फ़ख़्र करो, नाज़ करो!!
शायर :- डॉक्टर इन्सान प्रेमनगरी,
द्वारा,डॉक्टरराम-दास प्रेमी राजकुमार जानी दिलीपकुमार कपूर राज चंडीगढ़ी,डॉक्टर जावेद अशरफ़ कैस फैज अकबराबादीमंजिल,डॉक्टर खदीजा नरसिंग होम,राँचीहिल साईड ,इमामबाड़ा रोड,राँची-834001,झारखण्ड,इन्डिया

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