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जदीद और मुनफरीद ग़ज़ल शायरी क़ाबिल-ए-ज़िक्र-व-लायक़-ए-फ़ख़्र हस्तियाँ

जदीद और मुनफरीद ग़ज़ल शायरी क़ाबिल-ए-ज़िक्र-व-लायक़-ए-फ़ख़्र विचित्र हस्तियाँ

विचित्र कविता / नवीन कविता जदीद -व-मुन्फ़रिद नज़्म
" क़ाबिल-ए-ज़िक्र-व-लायक़-ए-फ़ख़्र
हस्तियाँ "
संजीदा-व-तंज़िया-व-मज़ाहिया जदीद-व-मुन्फरिद कलाम
हुस्न-ए-ग़ज़ल हैं, माह-जबीं हैं प्रेम-नाथ !
इश्क़-ए-अज़ल हैं, शाह-जबीं हैं  प्रेम-नाथ !!

महताब-ए-फ़न हैं, चाँद हैं चर्ख़-सुख़न/ अर्श-ए-सुख़न के नाथ!
हमलोगों को पसंद हैं गंग-व-जमन के नाथ!!
इन्सान जी अज़ीम सुख़नवर हैं आज के!
सूफ़ी हैं, फ़ख़्र-व-नाज़ हैं अपने समाज के!!
मक़बूल हैं ये हिन्दु, मुसलमान, सिख में भी!
आशिक़ हैं नागपूर के बाबा के ताज के!!
दर्पन हैं ये प्रेम की रस्म-व-रिवाज के!
मुख़्लिस बुज़ुर्ग हैं ये हमारे समाज के!!
इन्साँ बुज़ुर्ग और मुरब्बी भी हैं, जनाब!
अल्लाह के वली हैं, ये सूफ़ी भी हैं, जनाब!!
बिस्मिल प्रेम-नाथ जी तो मह-जबीं भी हैं!
दर्पण कहे है, नाथ जवाँ भी, हसीं भी हैं!
कहते हैं आज, हज़रत-ए-जावेद क़ैस फ़ैज़!
"बिस्मिल प्रेम" शाह-जबीं, गुल-जबीं भी हैं!!
सूफ़ी हैं, मिस्ल-ए-फ़ैज़ ये "बिस्मिल प्रेम-नाथ "!
ये बोरिया-नशीं भी हैं, गद्दी-नशीं भी हैं!!
"सोफ़ा-नशीं प्रेम जी, गद्दी-नशीं भी हैं!
उस्ताद/ जावेद क़ैस फ़ैज़ के ये जा-नशीं भी हैं!
" बिस्मिल प्रेम-नाथ जी " सोफ़ा-नशीं भी हैं!
" इन्साँ प्रेमनगरी " के ये जा-नशीँ भी हैं!!
सब लोग देखते रहे " इन्सान " की तरफ़!
इस दौर के अज़ीम सुख़नदान की तरफ़!
अल्लाह/ भगवान ने बनाया है "बिस्मिल प्रेम" को!!
इन्साँ प्रेमनगरी सुख़नवर के फेम ( FAME) को!
इन्साँ प्रेमनगरी " बनाये है फिर से आज!,
अफ़साना के फ्रेम (FRAME) "ग़ज़ल" के फ्रेम (FRAME) को!!
इन्साँ समझ रहा है सुख़नवर के गेम ( GAME) को!
उर्दू सुख़नवरी को, " सुख़नवर प्रेम " को!!
लोग देख रहे हैं , सू-ए-इन्सान-व-बिस्मिल!!
हाँ!, हसीन भी हैं ये रू-ए-इन्सान-व-बिस्मिल!!
थे " दिलीपकुमार साहब " के बाल बेहतर!!
हैं उन्ही की तरह ये मू-ए-इन्सान-व-बिस्मिल!!
" ग़फ़्फ़ार,नजमा, और हमीदा, ग़नी,हजीं,
फ़ैज़ी, ब-फ़ज़्ल-ए-सत्तार आ गये!!
रिज़वाना, बच्चा, इश्रत-व-फ़ीरोज़ और नियाज़,
अख़तर, ब-फ़ज़्ल-ए-हज़रत-ए-ग़फ़्फ़ार आ गये!!
अफ़सर,तबस्सुम और तरन्नुम,फ़रीद ख़ान,
अशरफ़, ब-फ़ज़्ल-ए-जब्बार आ गये!!
इस तवील और मुन्फरिद मन्ज़ूमतख़्लीक़ के दीगर शेर-व-सुखन आइंदा फिरकभी पेश किए जायेंगे,इन्शा-अल्लाह-व-ईश्वर!
रामदास प्रेमी राजकुमार जानी की जदीद शायरी

शायर-ए-आज़म : मुग़ल-ए-आज़म : इन्सान प्रेमनगरी!
-------------------------------------------‐द्वारा,डॉक्टर जावेद अशरफ़ कैस फैज अकबराबादी,डॉक्टर राम-दास प्रेमी राजकुमारजानी दिलीपकुमार कपूर काटेज,डॉक्टर खदीजानरसिंग होम,राँचीहिल साईड ,इमामबाड़ा रोड,राँची-834001,झारखण्ड,इन्डिया

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