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रामदास प्रेमी राजकुमार जानी दिलीप कुमार की नवीन जदीद ताज़ा मुन्फरिद ग़ज़ल

रामदास प्रेमी राजकुमार जानी दिलीप कुमार की नवीन जदीद ताज़ा मुन्फरिद ग़ज़ल

नवीन / जदीद/ ताज़ा/ मुन्फरिद ग़ज़ल
"आल-ए-नबी" के इश्क में गिरफ्तार हम भी हैं!
"ऐ दोस्त!/ जावेद!", "ग़ुन्चा-व-गुल-व-गुलज़ार" हम भी हैं!!
चाहत के "जेल" में हैं, "गिरफ्तार" हम भी हैं!
"अश्या-ए-हुस्न-व-इश्क" के "बीमार" हम भी हैं!!
"मजरूह-ए-मेहर/ मेह्र- व-इश्क-व-वफ़ा" हैं, "प्रेमी" हैं!
"ऐ दोस्त!,/ जावेद!", एक अरसा/ अर्सा से "बीमार" हम भी हैं!!
"बिस्मिल प्रेम-नाथ पिया"!, उन्होंने कहा!
"शब्बीर" औरb"आबिद-ए-बीमार" हम भी हैं!!
"जावेद क़ैस फ़ैज़ मियाँ"!, उन्होंने कहा!
"हसनैन" और "आशिक़-ए-बेदार" हम भी हैं!!

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इस तवील और मुन्फरिद गजल के दीगर शेर-व-सुखन आइंदा फिर कभी पेश किए जायेंगे, इन्शा-अल्लाह!
डाक्टर जावेद अशरफ़ कैस फैज अकबराबादी ,द्वारा, डॉक्टर रामदास प्रेमी राजकुमार जानी दिलीपकुमार कपूर, डॉक्टर इनसान प्रेमनगरी हाऊस,रांची हिल साईड ,इमामबाड़ा रोड, राँची-834001,झारखण्ड, इन्डिया

जदीद-व-मुन्फरिद अश्आर मुख़्तलिफ ग़ज़लों से माख़ूज़

इराक़-व-बाँगला-देश और पाकिस्तान थोड़ी है!
ख़लफ़्शारी, फ़सादी मुल्क, या ईरान थोड़ी है!!
दुबयी, मक्का, मदीना और अराबिस्तान थोड़ी है!
ये "भारत" है!, ये कोई जर्मनी, जापान थोड़ी है!!
"पनाह-ए-हिन्द" में "अम्न-व-सुकून" मिलता है लोगों को!!
ये "क़रया-ए-इराक़" - व-ख़ित्ता-ए-ईरान/ अफ़ग़ान" थोड़ी है!!

वो आसमान भी, "राहत-मियाँ!", "धुआँ/ धुवाँ ही है!
ये "फ़ल्सफ़ा" या "वह्म-व-गुमान" थोड़ी है!!
हे/ ए मौलवी मियाँ/ भाई!, "साइन्स" भी ये कहती है!
"फ़लक/ गगन," हालतों वाला बयान / मकान, थोड़ी है!!
ढकोस्लों के मुक़ल्लिद, हे/ ए "मौलवी-अरबी"!
तुम्हारे "बाप" का "हिन्दोस्तान" थोड़ी है!!
ये मेरा "इश्क-ए-हक़ीक़ी" ही है, हे / ऐ "गोरख-नाथ"!
ये "मौलवी जी" का "वह्म-व-गुमान" थोड़ी है!!
"पतन" की वजह है, बीवी है, कि ये पत्नी तो!,
"पिता-समान" या "माता-समान" थोड़ी है!!
ये अपना कमरा है!, हुजरा नहीं है शैख़/ शेख का ये!
"किसान-व-शैख/ शेख-ए-हरम का "मचान" थोड़ी है!!
नियम,क्षअरब का, अरब में चलेगा,ऐ जाहिल!
ये "हिन्द" है!,"अराबिस्तान-ए-ख़ान" थोड़ी है!!

"हिन्दोस्तान है ये,पाकिस्तान, थोड़ी है!
भगवान जी!, यहाँ कोई "शैतान" थोड़ी है!!
ये "राम" का है देश!, "कृष्णा का है वतन!
"भारत" है ये, जनाब!, ये "हिन्दोस्तान" है!!
ईरानियों के बाप का "हिन्दोस्ताँ" नहीं!
हम "भारती" के बाप का "हिन्दोस्तान"है!!
मेरे पिताजी का है ये "हिन्दोस्तान", राम!
अफ़ग़ानियों के बाप का "हिन्दोस्ताँ" नहीं!!
"इस्लामी-राज" कैसे चलेगा ?,यहाँ!, जनाब!
"भारत", "इराक़" थोड़ी है!, "ईरान" थोड़ी है!!
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जदीद, मुन्फ़रिद, मज़ाहिया, तन्ज़िया ग़ज़ल

कठ-मुल्लाओं का " वह्म-व-गुमान " थोड़ी है!
जाहिल इन्सानों का " आसमान " थोड़ी है!!
ये सेकुलर हिन्दुस्तानियों का है मसकन!
" कठ-मुल्लाओं " का " हिन्दोस्तान " थोड़ी है!!
हम तो रहते हैं, अपने मकान में, यारो!!
अपना घर है!, भाड़े का मकान थोड़ी है!!
" हिन्दुस्ताँ " का " फ़ौज़ी " बाँधे है कफ़न सर से / पे!
ये " पाकिस्तानी ",अपना " जवान " थोड़ी है!!
चढ कर ऊपर,करता है मुआयना अक्सर!
लेकिन ये कठ-मुल्ला का मचान/ मकान थोड़ी है!!
मज़रूआ करता है मेहनत-व-मशक़्क़त, हाँ!
ये काहिल मुल्ला, कोई किसान थोड़ी है!!
सब के रब की मस्जिद की अज़ान है सच्ची!
ये कठ-मुल्ला के घर की अज़ान थोड़ी है!!
भगवानों के घर में शंख बजते रहते हैं!
याँ ,कठ्-मुल्लों के घर की अज़ान थोड़ी है!!
हम को भाये है, आवाज़ है ये शंखों की!
ये कठ-मुल्लों के घर की अज़ान थोड़ी है!!
ऐ हम्दम!,हम अपने घर से प्यार करते हैं!
" अपना घर " है!,भाड़े का मकान थोड़ी है!!
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नोट:- इस तवील और मुन्फरिद गजल के दीगर शेर-व-सुखन आइंदा फिर कभी पेश किए जायेंगे, इन्शा-अल्लाह-व-ईश्वर!!
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डाक्टर रामदास प्रेमी राजकुमार जानी दिलीपकुमार कपूर, द्वारा, डॉक्टर जावेद अशरफ़ कैस फैज अकबराबादी,डॉक्टर इन्सान प्रेमनगरी हाऊस,डॉक्टर खदीजा नरसिंग होम, रांची हिल साईड,इमामबाड़ा रोड, राँची-834001,झारखण्ड, इन्डिया! 
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