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रामनवमी पर विशेष राम भजन Ram Navami Bhajan Lyrics श्री राम भजन लिरिक्स

रामनवमी पर विशेष राम भजन Ram Navami Bhajan Lyrics श्री राम भजन लिरिक्स

आज राम नवमी का त्योहार है
आज राम नवमी का त्योहार है,
लगा राजा राम का दरबार है,
सच्चे मन से कर लो इनकी भक्ति,
हम सबका बेड़ा पार है।
आज राम नवमी का त्योहार...।

मेरे आराध्य हैं मर्यादा पुरुषोत्तम,
उनसे हम सबका सरोकार है,
मेरे तन-मन में बसते हैं वे,
वे हीं मेरे जीवन आधार हैं।
आज राम नवमी का त्योहार...।

माता सीता उनकी धर्म पत्नी,
जो माता लक्ष्मी की अवतार हैं,
उनसे बढ़ती श्री राम की शोभा,
जो जगत के तारणहार हैं।
आज राम नवमी का त्योहार...।

आयेंगे एक दिन श्रीराम धरती पर,
जो जग के पालनहार हैं,
करेंगे सारे दुष्टों का दलन एक दिन,
मचाया दुष्टों ने हाहाकार है।
आज राम नवमी का त्योहार...।

अयोध्या में राम मंदिर बन रहा,
हो रही उनकी जय जय कार है,
करते हैं हम जय गान श्रीराम का,
मिल रहा उनका प्यार है।
आज राम नवमी का त्योहार...।
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अरविन्द अकेला,पूर्वी रामकृष्ण नगर,पटना-27

Ram Navami Bhajan Lyrics

रामनवमी पर विशेष कविता भजन लिरिक्स Ram Navami Bhajan Lyrics

आप समस्त माताओं, बहनों और बंधुओं सपरिवार को श्रीरामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएँ तथा श्रीरामनवमी हेतु अर्पित एक रचना का प्रयास।
त्रैलोक्यपति का त्रेता युग में,
हुआ अयोध्या शुभ अवतार।
दशरथनंदन राम वे कहलाए,
बधाईयाँ बाजे दशरथ दरबार।।
राजा दशरथ के चार बेटे आए,
खुशियाँ बढीं अन्तर में हजार।
माता कौशल्या बहु सोना लुटावे,
राजा दशरथ अन्न धन बाजार।।
कलियुग में श्रीराम नाम आधारा,
श्रीराम नाम बहुत सुंदर व प्यारा।
रोग दुख संकट सब ही दूर पराए,
श्रीराम नाम लेत एक ही बारा।।
श्रीराम जन्मोत्सव अयोध्या छाया,
भारतीय हिंदु खुशी से इठलाया।
भारतीय हिंदु महापर्व रामनवमी,
हर गाँव शहर अयोध्या बनाया।।
गूँज रहे श्रीराम के खूब जयकारे,
इस धरती से ले उस अंबर तक।
खुशहाल रहे सदा सबका जीवन,
प्रतिवर्ष जनवरी से दिसंबर तक।।
राम राम बोलो जोर से राम राम,
सुख शांति धन जीवन का इनाम।
राम नाम ही तो यह शक्तिमय है,
शुद्धकर देख एक बार तू इमान।।
न चाहकर भी जपते हो राम को,
ईर्ष्या घृणा दुःख का शिकार बन।
हो नहीं सकते वंचित तुम राम से,
नाहक नास्तिक बन रहते हो तन।।
अरुण दिव्यांश 9504503560
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना।

रामनवमी पर राम भजन : भव पार तेरी नइया

राम राम राम कहो मेरे भईया।
राम ही लगाए भव पार तेरी नईया।
राम जन्म भूमि अयोध्या बड़ा धाम है।
सब देवो मे श्रीराम बडा नाम है।
आज ना जपोगे जपोगे बोलो कहीया।
राम ही लगाए भव पार तेरी नईया।
कासी विश्वाननाथ बाबा शिवशंकर बिराजे।
संकट मोचन भक्त हनुमान खूब साजे।
राम नाम जपके सब पाप तर जइहा।
राम ही लगाए भव पार तेरी नईया।
बृंदाबन बाकेबिहारी छवि बलिहारी।
मथुरा गोवर्धन राधेश्याम होती जयकारी।
राम के बिना तेरा कौन है सहइया।
राम ही लगाए भव पार तेरी नईया।
बिनध्याचल बिंध पर्वत माता जी का धाम है।
अष्टभूजी काली खोह त्रिभुज बड़ा नाम है।
राम संग बिराजे सदा सीता जी मेरी मईया।
राम ही लगाए भव पार तेरी नईया।
जौनपुर चौकिया माई शीतला खूब सजती है।
प्रयागराज संगम मे भक्तों डुबकी खूब लगती है।
हरिद्वार मे हरिहर हरते बने है खेवइया।
राम ही लगाए भव पार तेरी नईया।
जम्मू कटरा मे माँ वैष्णो डेरा डाले है।
चढ़ जाते सब पहाड़ों पड़ जाए पैरों चाहे छाले है।
राम न जपोगे पीछे खूब पछतईहा।
राम ही लगाए भव पार तेरी नईया।
देवघर मे बाबा बैधनाथ डमरू बजाते है।
उज्जैन नगरी महाकाल धुनि खूब रमाते है।
राम ही रामेशवर है सबके बड़े सहइया।
राम ही लगाए भव पार तेरी नईया।
मइहर माँ भवानी का ऊंचा बड़ा डेरा है।
कामरूप कमख्या मे जगदंबा का घेरा है।
बाला जी विशनुरूप राम के है भईया।
राम ही लगाए भव पार तेरी नईया।
राजरप्पा मे छिनमस्तिका गरदन अपनी काटे है।
जगन्नाथ पूरी मे कान्हा बलराम सुभद्रा बिराजे है।
राम के चरण छोड़ी कही मत जईहा।
राम ही लगाए भव पार तेरी नईया।
केदारनाथ बद्रीनाथ अमरनाथ की बड़ी महिमा है।
सोमनाथ पशुपतिनाथ गौरीनाथ की बड़ी महिमा है।
राम नाम अमृत स्वाद चखी जईहा।
राम ही लगाए भव पार तेरी नईया।
कलकत्ता मे काली महाकाली सुंदर मंदिर है।
दक्षिणेश्वर माँ भवानी सजती मंदिर के अंदर है।
सब देवो से पहिले श्रीराम को मनइहा।
राम ही लगाए भव पार तेरी नईया।

श्याम कुँवर भारती (राजभर )
गीतकार /कवि /लेखक /समाजसेवी
बोकारो झारखंड -मोब . 9955509286

राम नवमी पर भजन : आस्था एक राम में

राम मर्यादा का मान है,
राम सम्मान का नाम है,
राम से ही है जीवन,
राम से ही सभी के प्राण है,

राम अभ्यास है,
राम रास है,
राम ही प्यास है,
राम से ही प्रकाश है,

राम मानव चरित्र है,
राम ही सूंदर चित्र है,
राम ही तो चित्त है,
राम के सिवा नही कोई मित्र है,

राम का अनुवाद राम है,
राम का संवाद राम है,
राम से राम को काम है,
राम से ही आराम है,

राम भाषा है,
राम अभिलाषा है,
राम से ही आशा है
राम माँ की परिभाषा है,

राम ओंकार है,
राम से जग साकार है,
राम ही राम का प्रकार है,
राम से होगा बेड़ा पार है,

राम की महेश है
राम ही दिनेश है
राम सिवा कुछ नही,
राम अंत औऱ शेष हैं,

राम को गाइये,
राम को रिझाइये,
राम से ही काम हो,
राम हृदय में सजाइये,

राम आस्था का सार है,
राम शबरी,अहिल्या का प्यार है,
राम तीर्थ औऱ धाम है,
राम एकमात्र सरकार,

राम गुणानुवाद है,
राम प्रकृति पुरुष का संवाद है,
राम है तो जग है,
बाकी केवल अपवाद है,,,।।

आनंद पाण्डेय "केवल"

रामनवमी पर विशेष रामायण | Ram Navami Special Ramayan

' रामयण'
राम सुमीरन संकट हारी।
विशनू रूप जग में धारी ।।

लंका विराजे रावण मारी।
वापस लाये सीता प्यारी।।

हनुमान भक्त तिहारी ।
विभीषण साथी विचारी।।

राक्षस समुल जाती सारी।
लंका दहन में सबको मारी।।

दशरथ नंदन नाम उजारी।
सुमिरण राम नाम गुणकारी।।

माता कौशल्या वारी।
कैकई माई अविचारी ।।

लक्ष्मण सुपुत्रे सुमित्रा माता।
शत्रृघ्न भरत कैकई माता।।

कुब्जा मंथरा द्वेश तारी।
तई कैकई मती मारी।।

दशरथ वरदान तारी।
कैकई राजन युध्द तारी।।

तव तीन वर देत प्रेम भारीया।
पुत्र प्रेम कैकई फर्मान जारीया।।

रामान चौदा वर्ष वनवास भयो।
राज्यो सांकेत नो तव भरत धयो।।

राम दशरथ सुपुत्र प्यारी।
यह कृति दशरथ को मारी।।

पुत्र वियोग राजा दशरथ मारी।
रामायण की घटी कहानी सारी।।

राजपुत्रे जंगल विराजी।
भात्रु भरत राज्य त्यागी।।

कैकई माता दृष्टा कहीन पायी।
चरण पादुका राम सिहासंन पायी।।

लक्ष्मण भाई संग जंगल विराजे।
सुमित्रा राजमहल माहे विराजे।।

चित्रकूट जंगल में विराजे राजे।
राम लक्ष्मण सीता कुटिया विराजे।।

सूर्पण खाॅ राक्षसी सुदंर रूप धारी।
नृत्य कला राम पर तन मन तव हारी।।

राम सत पुरूष भव एक नारी।
तव आपून उगली लक्ष्मण जारी।।

सूर्पण खाॅ नाक लक्ष्मण आरी।
समय बहिण प्रेम रावण जारी।।

रूप भिक्षुकी धारी।
कुटीन भिक्षा चारी।।

मामा मारीच रूप हरिण धारा।
पहीन तव सीता मन लालच वारा।।

मृग बहुत भाया न्यारा।
प्रिय मांगे मृग चर्म नारा।।

विर राम धनुष्य धारी ।
भागे मृग पिछे मारी।।

मारीच रूप मृग धारी।
तव लक्ष्मण की हाक मारी।।

सीता मन डर भायो।
लक्ष्मण संकट तव भायो।।

नकार लक्ष्मण जारी।
भडक उठी सीता नारी।।

लक्ष्मण तव कुटी त्यागो।
लक्ष्मण रेषा वचन लाॅगो।।

लक्ष्मण धनुष्य लेवन हारा।
आवाज जिस दिशा आरा।।

समय रावण तव लक्ष साधो।
सीता को पुष्पक यान भागो।।

पक्षी जटायू बहुत पंख रोखा।
रावण करूया जीवन धोखा।।

अशोक वन सीता विराजो।
सीता अन्न पानी त्यागो।।

हनुमान मित्र तव पायो।
जाम्बुवंत मित्र तव पायो।।

राम अपनी फौज वानर सेना बनायो।
सीता को शोध उडकर हनुमान लगायो।।

अशोक वन मे बंदर आयो।
सारा बाग तव दै खायो ।।

आदेश रावण दुम में आग लगायो ।
हनुमान पुछ से सारी लंका जलायो।।

तव एक मित्र विभीषण भी जागा ।
लंका मे राम भक्त अभागा।।

सीता राम मुद्रिका दिना।
वचन तव राम का दिना।।

लंका मे वापस हनुमान आयो।
राम रावण अंतीम युध्द भायो।।

विजय पता का लंका लगायो।
प्रभु अयोध्या वापस आयो।।

राम गुन साकेत गायो।
रघुकुल सुमीरन जन मन भायो।।

कवी :मजीदबेग मुगल 'शहज़ाद '
हिगनघाट जि वर्धा महाराष्ट्र
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