निगाहों से कत्ल शायरी | आँखों पर शायरी | निगाहों पर शायरी
नयनों की भाषा
सरल रे नयनों की भाषा,
पुलकित हो तो विहँसे अँखियाँ
क्रोध में ज्वाला दाघ,
दु:ख में सजल भयो रे नैना
चिंता गहन हताशा।
सरल रे नयनों की भाषा,
पुलकित हो तो विहँसे अँखियाँ
क्रोध में ज्वाला दाघ,
दु:ख में सजल भयो रे नैना
चिंता गहन हताशा।
आँखें चार हुई प्यार शायरी | निगाहों से कत्ल शायरी
आँखें चार हुई बावरिया,
राधे के संग मिले साँवरिया
उन्मत्त नैना बंधे पगहिया
हो गई हरि को दासा,
सरल रे नयनों की भाषा।
राधे के संग मिले साँवरिया
उन्मत्त नैना बंधे पगहिया
हो गई हरि को दासा,
सरल रे नयनों की भाषा।
नैना पर शायरी | अँखियाँ शायरी
लाज से सिकुड़ी- सिमटी अँखियाँ
सरल रे नयनों की भाषा।
विस्मय में हुई गोल,
मद में अकड़त-बोलत है,
दुर्जन के घर वासा,
सरल रे नयनों की भाषा।
विस्मय में हुई गोल,
मद में अकड़त-बोलत है,
दुर्जन के घर वासा,
सरल रे नयनों की भाषा।
छल में लोचन रंग बदलते,
विवश व्यथित दृग जार विलखते,
स्वर्णिम सपने लेकर अँखियाँ
भू से छूअत अकाशा,
छल में लोचन रंग बदलते,
विवश व्यथित दृग जार विलखते,
स्वर्णिम सपने लेकर अँखियाँ
भू से छूअत अकाशा,
स्वागत में बिछती हैं अँखियाँ
हठ से मचल-मचल सी जाए,
नज़रों की डोरी लटकाए,
ढूंढती गहन प्रकाशा,
सरल रे नयनों की भाषा।
बबिता सिंह
कवयित्री
हाजीपुर वैशाली बिहार
हठ से मचल-मचल सी जाए,
नज़रों की डोरी लटकाए,
ढूंढती गहन प्रकाशा,
सरल रे नयनों की भाषा।
बबिता सिंह
कवयित्री
हाजीपुर वैशाली बिहार
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