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मिथिलाक माटि महान- देश भक्ति मैथिली गीत Maithili Geet Lyrics

अछि गुमान मिथिला पर, मिथिलाक माटि महान- मैथिली गीत Maithili Geet

मैथिली गीत
मिथिलाक माटि महान
अछि गुमान मिथिला पर,
मिथिलाक माटि महान
भेलैथ कतेक स्वतंत्रता सेनानी,
मर मिट केलैथ रौशन जहान
खाय-पियक सुधि नहि रखलैन,लड़ैत रहला अंगरेजबा स
जीवन गुमानी में बितौलैन, केलैथ आजाद देश पिजरबा स
अछि गुमान मिथिला पर,मिथिलाक माटि महान।
बिसरिलैथ अपन दुनिया,भैलैथ शहीद जवान
फूंकैत रहला आजादी बिगुल, पाबि मां भारतीक आशीर्वाद
केलैथ फूटि नीतिक विरोध,पाबि संग हटेलैथ लोगक जातिवाद
अछि गुमान मिथिला पर,मिथिलाक माटि महान
वीर संतान बढैत रहलैथ सदिखन,नहि रहलैथ अकान
जरौने रहलैथ अखंड दीप, नहि घबरोलैथ कखनो
शत शत नमन करैत मिथिलावासी,हृदय मे बसौने छनि अखनो
अछि गुमान मिथिला पर,मिथिलाक माटि महान
लड़लैथ लाल देशक खातिर,न्यौछावर केलैथ हसैत-हसैत जान।
रीतु प्रज्ञा
दरभंगा,बिहार
स्वरचित एवं अप्रकाशित
मैथिली कविता


देशभक्ति मैथिली कविता फोटो | Deshbhakti Maithili Geet Image HD download

देशभक्ति मैथिली कविता फोटो | Deshbhakti Maithili Geet Image HD download

मिथिलाक नारी बड्ड होशियार: मैथिली कविता

होइत छथि मिथिलाक नारी बड्ड होशियार
रहै छथि करै लेल सब काज तैयार
चाहे हो घर-गृहस्थी चाहे हो बाहरी काज
सम्हारैत छथि सभटा भार
परिवारक उन्नति में करैत छथि सहयोग
राखैत छथि सदिखन रिश्ता मे योग
पढि-लिख चढ़ैत जीवनक शिखर
देश-समाजक करैत वो फिकर
हुनर हुनकर बढ़बैत अछि आय,
सोलहों कला सँ परिपूर्ण वो सबके सोहाय।
तंगी दूर करै मे माहिर मिथिलानी
जुगाड़ क सब कष्ट हरय मे महारानी
छनि हिय नीक सोच जेना गेनाड़ी साग
बनि संगी बचबैत रहैत छथि घर क पाग
संग सभहक डेग-डेग पर दैत छथि,
सब क्षेत्र मे देशक माथ उठबैत रहैत छथि।
बाजि रहल छनि सौंसे हुनकर होशियारीक डंका
गमकि रहल अछि हुनकर सुगंध सँ दौर अखुनका।
होईत छथि मिथिलाक नारी बड्ड होशियार,
रहैत छथि करै लेल सब काज तैयार।
रीतु प्रज्ञा
दरभंगा, बिहार
स्वरचित एवं अप्रकाशित

मैथिली बिषहरि गीत Maithili Bishara Geet Bishari Geet Lyrics In Hindi

मैथिली बिषहरि गीत
पूजा करब हम मोंन स, बिषहरि एलखिन आंगन हमर।
मिनती करब हम करि जोरि क, नीक स बीतत सब पहर।।
आनब सिंदुर लाले-लाले, लिखब बिषहरि
घसब चंदन मगन भ, लिखब बिषहरि
पूजा करब हम मोन स, बिषहरि एलखिन आंगन हमर।
मिनती करब हम कर जोरि क,नीक स बीतता सब पहर।।
पिसब मेंहदी हम झूमि क, लिखब बिषहरि
पिसब पिटार मुसकि क, लिखब बिषहरि
पूजा करब हम मोन स, बिषहरि एलखिन आंगन हमर।
मिनती करब हम करि जोरि क, नीक स बीतता सब पहर।।
पारब काजर हम ध्यान स, लिखब बिषहरि
लोढब डाला सुंदर स, चढायब बिषहरि
पूजा करब हम मोन स, बिषहरि एलखिन आंगन हमर।
मिनती करब हम करि जोरि क, नीक स बीतता सब पहर।।
भुजब लावा जुनि मिलि,चढायब बिषहरि
मंगायब दूध भोरे-भोरे, चढायब बिषहरि
पूजा करब हम मोंन स, बिषहरि एलखिन आंगन हमर।
मिनती करब हम करि जोरि क, नीक स बीतत सब पहर।।
रीतु प्रज्ञा
दरभंगा,बिहार
स्वरचित एवं अप्रकाशित

प्रेम

अछि प्रेम
माटि सं अप्पन
नहि जा सकब
छोड़ि कतओ।
निर्मल जल
बढबैत रहैत अछि
कमला,कोसी,बागमतीक
छी अभिभूत
पाबि मां मैथिलीक स्नेह।
दही-चूड़ा, तिलकोरक तरूआ
लगैत अछि बड्ड सुअदगर
खा पान,मखान,माछ
देखैत छी स्वपन नीक
गाबैत पराती,सांझक गीत
भ जाइत अछि हिय मुदित ।
छथि मां श्यामा अपूर्व
करैत मिनती
जाइत छी भ विभोर
लागल रहैत अछि मोन
पाबि संदिखन हुनक आशीष।
अछि प्रेम
माटि सं अप्पन
नहि जा सकब
छोड़ि कतओ।
रीतु प्रज्ञा
करजापट्टी, दरभंगा, बिहार
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