प्रेम दिवस 14 फरवरी Valentine Day बनाम फागुन
14 फरवरी
वेलेंटाइन डे शायरी
प्रेम रहा तो अर्थ रहा
बिना प्रेम सब व्यर्थ रहा
प्रेम हृदय का स्पंदन है
बिना प्रेम चहुँ दिश क्रंदन है
अभय
बिना प्रेम सब व्यर्थ रहा
प्रेम हृदय का स्पंदन है
बिना प्रेम चहुँ दिश क्रंदन है
अभय
वेलेंटाइन डे के पीछे की असली कहानी क्या है?
आज के दिन को कुछ तथा कथित आदर्शवादी या यह कहो झूठवादी लोग तरह तरह से निंदा करेंगे। एक महाशय आजकल जेल में जीवन यापन कर रहें हैं। वह 14 फरवरी को मातृ पितृ दिवस मनाते थे। उन महाशय आशा राम को प्रेम से नफ़रत थी तभी आजकल जेल में हैं।
वेलेंटाइन डे की शुरुआत कैसे हुई?
कुछ अधिक चिंतन शील तथा कथित भारतीय संस्कृति का सारा जिम्मा अपने कंधो पर लेने वाले लोग 14फरवरी को पाश्चात्य संस्कृति भोग वादी उत्सव बताएँगें।
वैलेंटाइन डे बुराई क्या है?
जबकि आज विश्व का कोई कोना नहीं बचा है जहाँ एक दूसरे की संस्कृतियों का मिलन या समन्वय न हुआ हो।ऐसे में अगर कोई भी खुशी का पर्व या त्योहार आये, वह किसी भी संस्कृति का हो किसी भी धर्म का हो मनाने में क्या बुराई...।
वेलेंटाइन डे की शुरुआत और हमारे धर्म ग्रंथ
फिर भारत तो प्रेम का ही देश है राधा कृष्ण तो प्रेम की मिसाल हैं। आओ थोड़ा राम चरित में प्रवेश करते हैं।
राम जी ने अभी धनुष नहीं तोड़ा है, न ही विधि विधान से विवाह ही हुआ है। बस पुष्प वाटिका में...
लता ओट तब सखिन्ह लखाए
स्यामल गौर किशोर सुहाए ...
और फिर गौरी पूजन में सीता जी
स्यामल गौर किशोर सुहाए ...
और फिर गौरी पूजन में सीता जी
मनु जाहि राच्यो मिल्यो सो वर सहज सुंदर सांवरो
जबकि पहले जबतक राम जी को देखा नही था ।तब तक अपनी कल्पनाओ के अनुसार
निज अनुरूप सुभग वर मांगा
जबकि पहले जबतक राम जी को देखा नही था ।तब तक अपनी कल्पनाओ के अनुसार
निज अनुरूप सुभग वर मांगा
मतलब विवाह पूर्व सीता और राम जी का प्यार हुआ।कुछ लोग बहुत आदर्श वादी बनते हैं, कहते हैं विवाह पूर्व प्यार पाप हैं।
चलो यहाँ विवाह पूर्व प्रेम हुआ फिर विवाह भी हो गया।
परन्तु राधा कृष्ण का प्रेम अनन्य है। जबकि उनका आपस में विवाह भी नहीं हुआ।
तात्पर्य यह प्रेम के लिए विवाह की शर्त नहीं है।
वैलेंटाइन डे कब से मनाया जाता है?
अब हम फिर प्रेम दिवस पर आते हैं, 14फरवरी पर।जलवायु के हिसाब से 14 फरवरी बसंत की जलवायु में पड़ती है।
न अधिक शीत न अधिक ताप
मधुरिम मधुमय बहती बयार
दूर हो रहें सकल संताप
फिर बोलो ऐसे रारि सही या प्यार
अभय
मधुरिम मधुमय बहती बयार
दूर हो रहें सकल संताप
फिर बोलो ऐसे रारि सही या प्यार
अभय
वैलेंटाइन डे क्यों मनाया जाता है?
बसंती हवाएँ अपना जादू जैसे विखेरना चालू करती हैं, वैसे ही फागुन आ जाता है। इधर लोग एक दिन 14 फरवरी नहीं हजम कर पाते हैं। यहाँ पूरा एक महीना ही प्रेम का महीना होता है। हंसी ठिठोली का महीना होता है।
नर नारी चहुँ दिश हैं बौरे
आमन के बाग सकल हैं बौरे
फागुन के प्रभाव से मदन है जागो
फागुन में तो बाबा भी देवर लागो
अभय
आमन के बाग सकल हैं बौरे
फागुन के प्रभाव से मदन है जागो
फागुन में तो बाबा भी देवर लागो
अभय
प्रेम की सच्चाई क्या है?
तात्पर्य यह है कि ख़ुश रहने के लिए यह मेरा नहीं वह तेरा नहीं को त्याग कर प्रेम को स्वीकार करना चाहिए। प्रेम न देश है।
न भाषा है, न बोली, न कोई क्षेत्र विशेष न ही कोई जाति धर्म, न ही किसी शर्त का मोहताज है। प्रेम तो एक भाव है।
अभय प्रताप सिंह
सीतापुर, उत्तर प्रदेश
सीतापुर, उत्तर प्रदेश
Read More और पढ़ें:
0 टिप्पणियाँ