मनक़बत: सदियों से बरक़रार है इज़्ज़त हुसैन की
मनक़बत
सदियों से बरक़रार है इज़्ज़त हुसैन की
कोई न भूल पाया शहादत हुसैन की
बनती न यूं नज़ीर शराफ़त हुसैन की
मालूम थी ख़ुदा को लियाक़त हुसैन की
जांबाज़ साथ सिर्फ़ बहत्तर ही थे मगर
लाखों उदू--ए--दीं पे थी हैबत हुसैन की
ह़क़ से यज़ीद राह बदलता नहीं अगर
होती न कूफ़ियों से अदावत हुसैन की
मरकर जिया है, मारने वालों को मार कर
हर पाक दिल में ज़िन्दा है उल्फ़त हुसैन की
ता उम्र वो जुदा न हुए राह--ए--नूर से
हक़ पर क़याम हो, ये थी चाहत हुसैन की
रुतबा 'अहम' किसी से न कम सोचता हूँ मैं
किसने सुनी किसी से शिक़ायत हुसैन की
सुरेन्द्र सिंह 'अहम'
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