माहे रमजान की आमद पर शायरी Ramzan Ki Shayari In Hindi माहे रमजान की आमद पर रहमत बरसती है
माहे रमजान
माहे रमजान की आमद पर रहमत बरसती है।
नसीब वालों को मिलती वर्ना दुनिया तरसती है।।
रोजा नमाज जकात इबादत महिने की फजिलते।
हर साल कुदरत की रहमत बादल से बरसती है।।
गुनाहों से बचता मोमीन बनता परहेज़गार।
इस महिने में कहा की बला मुसीबत गरजती है।।
इमान ताजा हो जाता इबादत परहेज़गारी से।
अरकान पुरे करने का महीना हक परस्ती है।।
रोजा कुव्वत बढ़ाता मोमीनों जिस्म की मानों।
सेहरी से लेकर अफ्तारी तक टिकती हस्ती है।।
तराबीह इबादत में कराती बड़ा इजाफा देख।
नूर की बरसात रोजेदार रूख से टपकती है।।
'शहज़ाद,पाच वक्त लगते कान अजान की जानिब।
वक्त बा वक्त टाईम पर चल पड़ते इबादती है।।
मजीदबेग मुगल शहज़ाद
हिगनघाट, जि, वर्धा, महाराष्ट्र
8329309229
सहेरी का वक्त रोजादार उठो : माहे रमजान की ख़ास शायरी
माहे रमजान
वक्त सहेरी का उठो।
सहेरी का वक्त रोजादार उठो।
जन्नती दर खुला हक्कदार उठो।।
वक्त है जरूरत है इबादत की।
महिना रमजान का घरदार उठो।।
नेमतो का महिना रमजान का।
अदब इमान का अदबगार उठतो।।
गफलत की निंद से जगों मोमीनों।
फजित रमजान की खुशगवार उठो।।
निंद की आगोश मे ना खोना।
तोहफ़ा पाओ परेजगार उठो।।
अजान का वक्त करीब उठोना।
हुक्म बजाला ओ मुख्तार उठो।।
'शहज़ाद ' रोजादार को जगाना।।
सवाब मिले ना हो इन्कार उठों।।
मजीदबेग मुगल 'शहज़ाद '
हिगणघाट, जि,वर्धा, महाराष्ट्र
8329309229
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