Ramzan aur Eid Ke Mauke Par Jadeed Ghazal Shayari : Eid Ka Chand Jab Nazar Aaye
ईद का चाँद जब नज़र आये : रमज़ान और ईद के मौके पर जदीद ग़ज़ल शायरी
रमज़ान और ईद के मौके पर
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जदीद-व-मुन्फ़रिद ग़ज़ल
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ईद का चाँद जब नज़र आये!
काश!, दीदार ए यार हो जाये!!
वह सनम अन्क़रीब आ जाये!
अब्र सरमस्तियों का छा जाये!
काश!, बेताबी ख़त्म हो जाये!
वह सनम काहे मुझको तड़पाये ?
वह सजन मेरे पास आ जाये!!
रुत मिलन की, चमन में आ जाये!
रक्खे रोज़े, पढे नमाज़ें भी!!
एक सायम " सुकून " भी पाये!!
दोस्तो!,आज " ईद " का दिन है!
हर बशर मेरे घर चला आये!!
एक इक बूँद के लिए तरसूँ!!
तशनगी में " घटा " भी तरसाये!?
मेरा क़ासिद, मेरा कबूतर है!!
पंछी अब " वस्ल " की ख़बर लाये!
आरज़ू उस की दीद की जागे!!
" ईद का चाँद " जब नज़र आये!!
ईद के दिन, ब-सद ख़ुलूसो-वफ़ा!
मेरा दिल, प्यार की ग़ज़ल गाये!!
" दास "मुझ जैसे राहगीर के पास!
खिंच के, मंज़िल भी ख़ुद चली आये!
दोस्तो!, " राम दास " भी अब तो!!
" मीर " की बज़्म में चला आये!!
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नोट :- इस त़वील ग़ज़ल के दीगर शेर-व-सुखन आइंदा फिर कभी पेश किए जायेंगे, इन्शा-अल्लाह!
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रामदास प्रेमी इन्सान प्रेमनगरी, डॉक्टर जावेद अशरफ़ कैस फैज अकबराबादी मंजिल, ख़दीजा नरसिंग, राँची हिल साईड, इमामबाड़ा रोड, राँची, झारखण्ड, इन्डिया!
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