बिहार स्थापना दिवस पर कविता हिंदी में : बिहार दिवस
(स्थापना : 22 मार्च 1912)
(कविता)
जहां बिहार होता है
(काव्य तरंग )
“बिहार स्थापना दिवस पर आप सभी बिहार वासियों को हमारी ओर से ढेर सारी हार्दिक शुभकामनाएं एवं अशेष बधाइयां।”
जहां बिहार होता है, वहां प्यार होता है,
अक्सर बिहारी, बहुत दिलदार होता है।
बिहारी बोझ नहीं बनता है, किसी पर,
कब किसी के कंधे पर सवार होता है?
जहां बिहार होता है…………..
स्वाभिमान से समझौता भी नहीं करता,
चुनौतियां सहने को, सदा तैयार होता है।
अन्तिम सांस तक लड़ना जानता बिहारी,
उसके अंदर भरा, शुभ संस्कार होता है।
जहां बिहार होता…………..
जहां कोई नकारात्मक सोच पालता मन में,
बिहारी का दूर से उसे, नमस्कार होता है।
अनुशासन का पालन, करता है कड़ाई से,
जीवन में सबसे ऊपर, शिष्टाचार होता है।
जहां बिहार होता है…………..
लूट खसोट में विश्वास नहीं करता कभी,
स्वभाव से ही बिहारी ईमानदार होता है।
जो उसे चाहिए, मांगकर लेता मालिक से,
यही उसके आगे बढ़ने का आधार होता है।
जहां बिहार होता है………….
लड़ता, झगड़ता, पर दिल का बुरा न होता,
अपने काम के प्रति, पूरा वाफादार होता है।
दुश्मनों का दुश्मन, यारों का यार होता है,
धनी होकर भी, प्यार का कर्जदार होता है।
जहां बिहार होता है…………..
प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)
स्थापना दिवस : आबाद रहे बिहार
“बिहार स्थापना दिवस पर बिहार प्रदेश के सभी मित्रों, भाइयों,बहनों और बच्चों को हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाईयां।"
आबाद रहे बिहार
स्थापना दिवस : आबाद रहे बिहार
(स्थापना : 22 मार्च 1912)
(कविता/काव्य तरंग)
समस्त बिहार वासियों को राज्य के स्थापना दिवस के शुभ अवसर पर हमारी ओर से ढेर सारी हार्दिक शुभकामनाएं एवं अशेष बधाइयां।
आबाद रहे बिहार
आबाद रहे बिहार, खुशहाल रहे बिहार,
हंसती रहे गंगा मैया, बहता रहे पानी।
बिहार ने सदा देश का मान बढ़ाया है,
बड़ी गौरवशाली है, प्रदेश की कहानी।
ऋषि मुनियों, महापुरुषों की भूमि है,
बड़े बड़े तपस्वी हुए हैं, बड़े बड़े ज्ञानी।
आबाद रहे बिहार…………….
कोटि कोटि नमन, अभिनंदन, वंदन है,
चमक इसकी, कभी होगी नहीं पुरानी।
अबतक दूजा राजेंद्र, पैदा नहीं हुआ है,
छाई है सारे जग में मेधा की निशानी।
वशिष्ठ नारायण सिंह, उपज माटी की,
अंग्रेजों पर भारी, बूढ़े कुंवर की जवानी।
आबाद रहे बिहार……………
लक्ष्मी माता चाहे, भूल जाए बिहार को,
कायम है माता सरस्वती की मेहरबानी।
अजब की हवा, गजब का पानी यहां है,
नहीं चल पाती है, किसी की मनमानी।
खुले दिल के लोग, खुली है विचारधारा,
बिहार लेता नहीं, सिर्फ देता है कुर्बानी।
आबाद रहे बिहार…………..
22 मार्च 1912 को, बंगाल से निकला,
शुरू से यहां की, समा रही है सुहानी।
देश विदेश में सर्वत्र पहचान है इसकी,
यहां का कण कण लगता स्वाभिमानी।
महावीर और बुद्ध की धरती रही यह,
मधुबनी पेंटिंग की, दुनिया है दीवानी।
आबाद रहे बिहार…………..
बिहार के लोग, कभी मानते नहीं हार,
किसी भी चुनौती को करते हैं स्वीकार।
बिहारी लोग सिर्फ अपने कर्तव्य करते,
आगे बढ़ते हैं और किसी से नहीं डरते।
पधारे हुए मेहमानों का सम्मान करते,
गंगा तट पर, इसकी पटना राजधानी।
आबाद रहे बिहार…………….
प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)
0 टिप्पणियाँ