बिहार दिवस पर निबंध
भूमिका
बिहार दिवस हर साल 22 मार्च को मनाया जाता है। यह दिन बिहार राज्य के गठन की वर्षगांठ के रूप में मनाया जाता है, जब 1912 में बिहार को बंगाल प्रेसीडेंसी से अलग करके एक स्वतंत्र प्रांत बनाया गया था। यह दिन न केवल बिहार के इतिहास, संस्कृति और विरासत को सम्मान देने का अवसर है, बल्कि यह राज्य की प्रगति, विकास और संभावनाओं को भी दर्शाता है।
बिहार दिवस के अवसर पर पूरे राज्य में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिनमें शैक्षिक, सांस्कृतिक और सामाजिक कार्यक्रम शामिल होते हैं। इस निबंध में हम बिहार दिवस के महत्व, इसके इतिहास, बिहार की सांस्कृतिक विरासत और राज्य के विकास पर चर्चा करेंगे।
1. बिहार का ऐतिहासिक परिचय
(i) बिहार नाम की उत्पत्ति
"बिहार" शब्द संस्कृत शब्द "विहार" से बना है, जिसका अर्थ होता है "मठ" या "धार्मिक स्थल"।
प्राचीन काल में बिहार बौद्ध और जैन धर्म के केंद्र के रूप में प्रसिद्ध था, जहां नालंदा, विक्रमशिला और बोधगया जैसे महान शिक्षा और आध्यात्मिक केंद्र स्थित थे।
(ii) बिहार का गौरवशाली अतीत
बिहार का इतिहास हजारों साल पुराना है। यह भूमि महाजनपद काल, मौर्य और गुप्त साम्राज्य, और बौद्ध एवं जैन धर्म के विकास की साक्षी रही है।
मगध महाजनपद (छठी शताब्दी ईसा पूर्व) सबसे शक्तिशाली राज्यों में से एक था।चंद्रगुप्त मौर्य और अशोक जैसे महान शासकों ने यहीं से शासन किया।
नालंदा और विक्रमशिला विश्वविद्यालय विश्व के पहले उच्च शिक्षण संस्थानों में से एक थे।
बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध को बिहार में ही ज्ञान प्राप्त हुआ था।
महावीर, चाणक्य, आर्यभट्ट जैसे महान व्यक्तित्वों का संबंध भी बिहार से था।
बिहार का इतिहास ज्ञान, धर्म और शासन व्यवस्था के उत्कृष्ट उदाहरणों से भरा हुआ है।
2. बिहार दिवस का इतिहास
(i) बिहार दिवस की शुरुआत
बिहार दिवस की शुरुआत 1912 में हुई, जब ब्रिटिश सरकार ने बिहार और उड़ीसा को बंगाल प्रेसीडेंसी से अलग कर एक नया प्रांत बनाया।
पहले बिहार बंगाल का हिस्सा था, लेकिन इसकी अलग सांस्कृतिक और सामाजिक पहचान थी।इसे पहचानते हुए 22 मार्च 1912 को बिहार को एक अलग राज्य के रूप में घोषित किया गया।
2000 में झारखंड राज्य को बिहार से अलग कर नया राज्य बनाया गया।
(ii) बिहार दिवस मनाने की परंपरा
बिहार दिवस को सरकारी और सामाजिक स्तर पर बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।
यह सरकारी अवकाश होता है।
पटना, गया, मुजफ्फरपुर, भागलपुर आदि शहरों में कई सांस्कृतिक और सामाजिक कार्यक्रम होते हैं।
स्कूली बच्चों के लिए प्रतियोगिताएँ, परेड और सेमिनार आयोजित किए जाते हैं।
बिहार की लोक संस्कृति, संगीत, कला और खान-पान का विशेष प्रदर्शन किया जाता है।
बिहार दिवस बिहार के लोगों को अपनी संस्कृति, विरासत और उपलब्धियों पर गर्व करने का अवसर देता है।
3. बिहार की संस्कृति और विरासत
(i) बिहार की भाषा और साहित्य
बिहार की प्रमुख भाषाएँ हैं:
हिन्दी (राजकीय भाषा)
मैथिली (संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल)
भोजपुरी, मगही, अंगिका और वज्जिका जैसी लोक भाषाएँ भी प्रचलित हैं।
बिहार में विद्यापति, बाबा नागार्जुन, दिनकर, फणीश्वरनाथ रेणु जैसे महान कवि और लेखक हुए हैं, जिन्होंने हिंदी और मैथिली साहित्य को समृद्ध किया।
(ii) बिहार की कला और संगीत
मधुबनी चित्रकला विश्व प्रसिद्ध है।
लोक संगीत में कजरी, छठ गीत, सोहर और भक्ति गीत प्रमुख हैं।
लोक नृत्य जैसे झूमर, झिझिया, भवाई आदि बिहार की संस्कृति को दर्शाते हैं।(iii) बिहार का खान-पान
बिहार के पारंपरिक व्यंजन इस प्रकार हैं:
लिट्टी-चोखा (बिहार का सबसे प्रसिद्ध व्यंजन)
सत्तू पराठा, खाजा, ठेकुआ, चूड़ा-दही आदि।
बिहार का खान-पान पौष्टिक, स्वादिष्ट और पारंपरिक होता है, जो इसे अन्य राज्यों से अलग बनाता है।
4. बिहार की वर्तमान स्थिति और विकास
(i) शिक्षा और उद्योग
बिहार में अब आईआईटी, एनआईटी, एम्स, और केंद्रीय विश्वविद्यालय जैसे उच्च शिक्षण संस्थान हैं।
कृषि, टेक्सटाइल और स्टार्टअप के क्षेत्र में भी प्रगति हो रही है।
बिहार सरकार ने "स्किल इंडिया", "मेक इन बिहार" जैसे अभियानों को आगे बढ़ाया है।
(ii) प्रमुख विकास परियोजनाएँ
पटना मेट्रो प्रोजेक्ट
बिहार स्टार्टअप पॉलिसी
गंगा एक्सप्रेसवे और स्मार्ट सिटी परियोजना
बिहार अब आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर और तकनीक के माध्यम से तेजी से प्रगति कर रहा है।
5. बिहार दिवस का महत्व
बिहार दिवस केवल एक ऐतिहासिक अवसर नहीं है, बल्कि यह बिहारवासियों के लिए अपनी संस्कृति, परंपरा और भविष्य की ओर देखने का अवसर भी है।
यह दिन राज्य की एकता और गौरव को दर्शाता है।
बिहार की संस्कृति, इतिहास और उपलब्धियों को देश और दुनिया के सामने प्रस्तुत करता है।
यह दिन हमें बिहार के वैज्ञानिक, सामाजिक और औद्योगिक विकास पर विचार करने के लिए प्रेरित करता है।
बिहार दिवस पर हमें बिहार के विकास में अपनी भूमिका निभाने की प्रतिज्ञा करनी चाहिए।
निष्कर्ष
बिहार दिवस न केवल बिहार की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर को सम्मान देने का अवसर है, बल्कि यह राज्य के आर्थिक, शैक्षिक और सामाजिक विकास को भी बढ़ावा देने का प्रतीक है।
बिहार, जो कभी ज्ञान और संस्कृति की भूमि थी, आज भी अपनी शिक्षा, कृषि, कला और व्यापार में प्रगति कर रहा है। हमें इस अवसर पर यह संकल्प लेना चाहिए कि हम बिहार को एक विकसित, शिक्षित और सशक्त राज्य बनाने में योगदान देंगे।
"जय बिहार, जय भारत!"
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