हम हैं माँ भारती पुत्र बिहारी : मातृभूमि पर कविता हिंदी में
कविता
हम हैं माँ भारती पुत्र बिहारी
अपनी शख्शियत है कुछ ऐसी,
मिटती नहीं कभी हस्ति हमारी,
हमसे जग में भारत की अस्मिता,
हम हैं माँ भारती पुत्र बिहारी।
हम हैं माँ भारती पुत्र...।
हम हैं माँ भारती पुत्र बिहारी
अपनी शख्शियत है कुछ ऐसी,
मिटती नहीं कभी हस्ति हमारी,
हमसे जग में भारत की अस्मिता,
हम हैं माँ भारती पुत्र बिहारी।
हम हैं माँ भारती पुत्र...।
बिहार के सम्मान में शायरी
हमसे से ही यह देश महान,हमसे मिला विश्व को ज्ञान,
हमीं से फैला विश्व में विज्ञान,
जानती है यह दुनियाँ सारी।
हम हैं माँ भारती पुत्र...।
बिहार के सम्मान में कविता
गुरु गोविंद,कुँवर सा नहीं दूजा शूरवीर,जय प्रकाश सा नहीं कोई क्रांतिवीर,
बिहारी कर्मठता अनमोल है जग में,
इसकी यश-कीर्ति बड़ी है न्यारी।
हम हैं माँ भारती पुत्र...।
बिहारवासियों पर कविता
जरासंघ सा नहीं कोई हुआ पहलवान,चंद्रगुप्त,अशोक सा नहीं कोई महान,
कैसे करुं दिनकर,आर्यभट्ट का वखान,
अपनी महिमा पड़ती सब पर भारी।
हम हैं माँ भारती पुत्र...।
चाणक्य सा नहीं कुतनीतिज्ञ,रंधीर,
अंगराज कर्ण सा नहीं कोई दानवीर,
हमसे हीं गंगा यमुनी संस्कृति,
हम हीं हैं विश्व के लिये कल्याणकारी।
हम हैं माँ भारती पुत्र...।
अरविन्द अकेला
बिहार और बिहारी पर कविता | बिहारवासियों के सम्मान में शायरी
बिहारी
ऋषि मुनियों की कर्मभूमि,
मैं सीता जनक दुलारी हूँ।
धर्मों ध्वजों का केंद्र बिंदु,
मानवता की फुलवारी हूँ।
मैं वाल्मिकी की रामायण,
गुरुगोविंद सिंह बलिदानी हूँ।
दुनिया को शून्य देने वाला,
हाँ हाँ मैं वही बिहारी हूँ।।
मैं शिव साक्षी पर्वत मन्धार,
गंगा का निर्मल पानी हूँ।
दुनिया को शान्ति का मंत्र दिया,
उस गौतमबुद्ध की वाणी हूँ।।
मैं महावीर की तपोभूमि,
मैं नालंदा बैशाली हूँ।
दुनियां की स्वर्णिम स्वप्न बुने,
हाँ हाँ मैं वही बिहारी हूँ।।
मैं चंद्रगुप्त का शौर्य तेज,
सम्राट अशोक का शाषन हूँ।
सिकंदर महान भी था डरता,
मैं वही मगध सिंघासन हूँ।।
मैं चाणक्य की राजनीति,
व कूटनीति की क्यारी हूँ।
भारत अखंड गाथा जिसकी,
हाँ हाँ मैं वही बिहारी हूँ।।
आजादी के दीवानों के,
बलिदानों की परिपाटी हूँ।
गांधी आंदोलन का साक्षी,
वीर कुँवर सिंह की माटी हूँ।।
मैं राजेन्द्र का राष्ट्रप्रेम,
बिरसा मुंडा अवतारी हूँ।
आतिथ्य, न्याय जिसकी शैली,
हाँ हाँ मैं वही बिहारी हूँ।।
बाबू बशिष्ठ का गणित हूँ मैं,
मैं जयप्रकाश की आंधी हूँ।
पर्वत का भी हठ तोड़ दिया,
कर्मठ मैं दशरथ मांझी हूँ।।
मैं बाणभट्ट मैं नागार्जुन,
मैं दिनकर,रेणु, भिखारी हूँ।
विद्यापति की सृजन प्रभा,
हाँ हाँ मैं वही बिहारी हूँ।।
उगते-डूबते सूरज पूजन,
जो करता वही पूजारी हूँ।
मैं भारत माँ का श्रमनायक,
मैं वीरों की किलकारी हूँ।।
मैं प्रतिभा हूँ, मैं आकांक्षा,
मैं संचालन, अधिकारी हूँ।
दुनियां की स्वर्णिम स्वप्न बुने,
हाँ हाँ मैं वही बिहारी हूँ।।
स्वरचित मौलिक, अप्रकाशित,
सर्वाधिकार सुरक्षित..
चंद्रगुप्त नाथ तिवारी
आरा (भोजपुर) बिहार
बिहार दिवस पर विशेष कविता
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