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वीर शिवाजी महाराज पर कविता Poem on Veer Shivaji Maharaj in Hindi

छत्रपति शिवाजी महाराज हिंदी कविता | Poem on Chhatrapati Shivaji Maharaj


शिवाजी महाराज जयंती कविता | Shivaji Maharaj History in Hindi

शिवाजी महाराज का इतिहास | छत्रपती शिवाजी महाराज तस्वीरें

गीत : छत्रपति शिवाजी महाराज

पुण्य तिथि पर कोटि कोटि नमन
जब मातृभूमि घिरी हुई थी मुश्किलों में,
धरा पर छत्रपति शिवाजी महाराज आए।
बिखरे लोगों को, एकता के सूत्र में बांधे,
लोक मानस पर, देशप्रेम के दीए जलाए।
जब मातृभूमि घिरी……
छोटी सेना थी, पर शत्रुओं को ललकारा,
बार बार दुश्मनों को नाकों चने चबवाए।
ऐसे शूर वीर साहसी नरेश पर गर्व हमें,
जिसने पत्थरों पर भी, बड़े गुल खिलाए।
जब मातृभूमि घिरी.…
धन्य है भारत, महाराष्ट्र की वह धरती,
माता जीजाबाई ने जहां रास्ते दिखलाए।
नया अलख जगा, लोग एक साथ आए,
नरेश जन जन के, तन मन में समाए।
जब मातृभूमि घिरी……
रिपुओं के छक्के छूटे, और छूटा पसीना,
मराठा राज्य के वापस अच्छे दिन आए।
ओम नमः शिवाय, जय राजाजी शिवराय,
गुणों से छत्रपति शिवाजी महाराज कहाए।
जब मातृभूमि घिरी……
पुण्य तिथि पर कोटि कोटि नमन उनको,
वीरता व बहादुरी के उन्होंने दीए जलाए।
उनके जैसा न कोई हुआ है और न होगा,
उन्होंने जीवन के नए नए गुण सिखलाए।
जब मातृभूमि घिरी……
प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
नासिक (महाराष्ट्र) जयनगर (मधुबनी) बिहार


वीर शिवाजी महाराज पर कविता Poem on Veer Shivaji Maharaj in Hindi

वीर शिवाजी जयंती पर
वीर शिवाजी
मनायें आज उनकी जयंती,
जो हैं अपने देश की शान,
दे दी थी देश के लिए शहादत,
वे हैं वीर शिवाजी महान।
मनायें आज उनकी...।

शाहजी-जीजाबाई घर जन्में,
एक निडर,धीर-वीर संतान,
थे वे बचपन से स्वाभिमानी,
करते थे नारियों का सम्मान।
मनायें आज उनकी...।

कर दी मुगलों की दाँत खट्टी,
ले ली हजारों मुगलों की जान।
औरंगजेब थर-थर था काँपता,
सांसत में थे उसके प्राण।
मनायें आज उनकी...।

गुरिल्ला युद्ध के थे वे सरदार,
जिनका रण कौशल था असरदार,
प्रजा के प्रति पालक थे वह,
करते थे जन-जन का कल्याण।
मनायें आज उनकी...।

आदर्शवादी विचार थे उनके,
प्रजा छिड़कती थी उनपर जान,
दुश्मनों से कभी हार नहीं मानी,
बढ़ाया उन्होंने देश का मान ।
मनायें आज उनकी...।
अरविन्द अकेला,पटना।


छत्रपति वीर शिवाजी महाराज

वीर शिवाजी, वीर मराठा, तुम्हें हमारा प्रणाम है
आज़ादी की अलख जगाई, तुम्हें हमारा प्रणाम है

बल बुद्धि साहस शौर्य के, तुम बड़े पुरोधा थे
थर-थर कांपते थे दुश्मन, तुम अनूठे योद्धा थे
पूना से दिल्ली तक, तुमने अलख जगाई थी
दिल्ली में बैठे मुगलों की, तुमने नींद उड़ाई थी

वीर शिवाजी, वीर मराठा, तुम्हें हमारा प्रणाम है
आज़ादी की अलख जगाई, तुम्हें हमारा प्रणाम है

मित्र के तुम मित्र थे, दुश्मन के थे तुम दुश्मन
दिल में तुम्हारे फूल थे, शैतान के मन की सिरहन
बेड़ियाँ और हथकड़ियां, तुम्हारे लिए खिलौना थे
कारागार की बड़ी दीवारें, तुम्हारे लिए बिलोना थे

वीर शिवाजी, वीर मराठा, तुम्हें हमारा प्रणाम है
आज़ादी की अलख जगाई, तुम्हें हमारा प्रणाम है

नारी को सम्मान दिया, माता कह कर पुकारा
इज्जत से विदा किया, सैनिकों को फटकारा
अफजल की चालाकी को, तुमने पहले भांप लिया
फाड़ दिया उसका सीना, उसका काम तमाम किया

वीर शिवाजी, वीर मराठा, तुम्हें हमारा प्रणाम है
आज़ादी की अलख जगाई, तुम्हें हमारा प्रणाम है

दक्षिण से उत्तर तक, तुमने राज फैलाया
देश प्रेम का अमृत, सब जन को पिलाया
इस हिन्द की जमीं पर, तुम अमर हो गए
टूट गई सब जंजीरें, तुम जिधर को गए

वीर शिवाजी, वीर मराठा, तुम्हें हमारा प्रणाम है
आज़ादी की अलख जगाई, तुम्हें हमारा प्रणाम है
श्याम मठपाल, उदयपुर


शिवाजी : वीर मराठा सब कहें, सुनें शिवाजी नाम

शिवाजी
वीर मराठा सब कहें, सुनें शिवाजी नाम।
लोहा मुगलों से लिया, बहुत बड़ा ये काम।।

जीजा बाई मात हैं, पिता शाह सरदार।
नींव मराठा की रखी, हिन्दू की सरकार।।

कई किलों को जीत कर, दिया उसे सन्देश।
ताकत हम में कम नहीं, छोड़ो मेरा देश।।

धोखा देने वो चला, अफ़ज़ल जिसका नाम।
फाड़ा उसके पेट को, मिला उसे अंजाम।।

कैद किले में कर दिया, मानी नाहीं हार।
पंछी बनकर उड़ गए, मुग़ल हुवा लाचार।।
श्याम मठपाल, उदयपुर

छत्रपति शिवाजी पर कविता Chhatrapati Shivaji Maharaj Par Kavita

विषय - छत्रपति शिवाजी
ईसा सोलह सौ तीस साल।
जन्मा भारत में एक लाल।।
धरती माँ को घूरा जिसने,
बन बैठा उसका सदा काल।।
जन्मा भारत में एक लाल।।

जीजा माई वही सन्तान।
याद करे उसे हिंदुस्तान।।
देख मराठों के दम-खम को,
कितने हिल गए तुर्रमखान।।

वीर शिवाजी दिए ललकार।
चले हाथ में लिए तलवार।।
पर्वत पर चढ़ जाते झट से,
उनके दुश्मन फंसते जाल।।
जन्मा भारत में एक लाल।।

वह तो बस वीर मराठा था।
माटी की लाज बचाता था।।
आये तो अफजल खान कई,
वह सबको मार भगाता था।।

औरंगजेब था बलशाली।
हर वार गया उसका खाली।।
छापामार नीति से डरकर,
भाग पड़ी सेना थी विशाल।।
जन्मा भारत में एक लाल।।

जो कभी शिवा से टकराया।
कोई भी बचा नहीं पाया।।
मुगलों ने कोशिश की जब-जब,
वह सदैव मुँह की ही खाया।।

दक्षिण भारत की रखवाली।
किये मराठा शान निराली।।
मात भवानी का नाम लिया,
चली नहीं दुश्मन की चाल।।
जन्मा भारत में एक लाल।।
राजकुमार छापड़िया

शिवाजी महाराज पर कविता हिंदी में

जय भवानी जय शिवाजी महाराज
कोटि कोटि आपको नमन।

कमज़ोर दुश्मनो तुम को मत समझो
शक्तिशाली बन कर ही सदा तुम रहो।
राष्ट्र को पहले पूजो फिर गुरु को
साहस, सौम्य से कार्य करते रहो।

जय भवानी जय शिवाजी महाराज
कोटि कोटि आपको नमन।

शूर वीर शिवाजी महाराज कहलाते
सभी को सदा ज्ञान का पाठ हैं पढ़ाते।
माँ भारती के लाल शिवाजी महाराज
न्याय और नीति का सदा बात बताते।

जय भवानी जय शिवाजी महाराज
कोटि कोटि आपको नमन।

ओम बोलो मानस को शांत करो
सभी साथ मिलकर नित्य चला करो।
मुगलों के नाम में इतिहास रच दो
अपने हुंकार से शत्रु को दूर करो।।

जय भवानी जय शिवाजी महाराज
कोटि कोटि आपको नमन।।
अर्पणा दुबे अनूपपुर मध्यप्रदेश

जय जय वीर शिवाजी

शत शत नमन तुम्हें वीर शिवा महान।
सारी दुनियां गाती तेरा ही यश गान।।
बचपन में किलेबंदी खेल खेलना प्रिय
तीर कमान तलवार लगता था भाला प्रिय
स्वतंत्रता के अमर पुजारी जग करता नमन तुम्हें
रामायण महाभारत भाया मन को पढ़ना था प्रिय
ध्वज केसरिया पूजक युद्ध कला सुजान।
शत शत नमन तुम्हें वीर शिवा महान।।
बने संस्थापक मराठा साम्राज्य के
स्वतंत्र कराए राजा अनेक राज्य के
रण में पानी मांगा तुमसे ही मुगलों ने
झुके नहीं इतिहास बने स्वराज्य के
शाहजी भोंसले जीजा बाई के पुत्र महान।
शत शत नमन तुम्हें वीर शिवा महान।।
चाणक्य विदुर के भाव भरे थे हृदय कूट-कूट कर।
सुन ललकार शिवा की दुश्मन रोया करते थे फूट-फूटकर
भारत मां का मान बढ़ाया छत्रपति का पहना ताज
औरंगजेब को सबक सिखाया सेनाओं को कूट-कूट कर
जब तक धरा गगन है होगा तेरा ही गुणगान।
शत शत नमन तुम्हें वीर शिवा महान।।
--
मैं घोषणा करता हूं कि यह रचना मौलिक स्वरचित है।
भास्कर सिंह माणिक, कोंच


कवि कुमार निर्मल छत्रपति शिवाजी महाराज


क्षत्रपति शिवा जी गाथा
बचपन से हीं, जिस वीर शिवा जी ने नेतृत्व निभाये।
युद्ध - चक्रव्युह रच, अजेय कीले पर ध्वज फहराये।।

सोलह का तरुण, पुणे के तोरण दुर्ग पर परचम लहराये।
बीजापुर के आदिलशाह को, लोहे के चने चबवाये।।

प्रपंच से पिता शाह को बंदी कर, शिवा का क्रोध बढ़ाये।
आनन फानन छापामारी कर, पिता को मुक्त करवाये।।

पुरंदर-जावेली किलों पर, आधिपत्य कर दिखाये।
औरंजेब संधी भारी, २४ किले मुक्त कर दिखलाये।।

आगरा-निमंत्रण दे, कारा में शीवा को बंद करवाये।
चेतक के स्वामी को क्या? कभी कोई रोक है पाये।।

पराक्रम से चौबीस किलों पर, पुन: ध्वज लहराये।
बहादुर शिवा क्षत्रपति, कट्टरपंथी हिंदू थे कहलाये।
सहिष्णुता का पक्षधर, मंदीर-मस्जिद कई बनवाये।।

हर दशहरे पर वह नया शुभ अभियान, प्रारम्भ वे करवाये।
इहलोक से वीर १६८० में, गमन कर देश सूना कर जाये।।

आज भारतवर्ष में शिवांश जब, पुरुष को जागृत करेगा।
रोती माता के आंसू पोंछ, कोई भी वीर पुत्र कहलाएगा।।

डॉ. कवि कुमार निर्मल


ऊंची होगी शिवाजी की प्रतिमा


दुनिया की सबसे ऊंची होगी शिवाजी की प्रतिमा

दुनिया की सबसे ऊंची होगी शिवाजी की प्रतिमा, केंद्र सरकार ने दी मंजूरी।

छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा की ऊंचाई दो मीटर बढ़ा दी गई है। पूरा होने पर यह दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा होगी। 
मुंबई, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा है कि मुंबई तट पर बनने वाली छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा की ऊंचाई 2 मीटर बढ़ा दी गई है। पूरा होने पर यह दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा होगी। फडणवीस ने कहा, ''चीन में स्प्रिंग टेंपल बुद्धा 208 मीटर ऊंचा रखने का प्रस्ताव था और हमारा स्मारक 210 मीटर ऊंचा होना था, लेकिन चीनी शिल्पकारों ने मूर्ति की बुनियाद पर काम कर इसे 212 मि. किया।


पुष्पा निर्मल-छत्रपति महाराज पर कविता

छत्रपति शिवाजी महाराज पर कविता

बचपन में हीं वीर शिवा ने,
बहुत से कारनामे कर दिखलाये।
बड़े हुये तो क्रूर मुगलिया सल्तनत के,
छक्के वे छुड़ाये।।

अपनी फौज बच्चों को ले कर बनाये।
जीजाबाई के राजदुलारे,
दाँत खट्टे कर आये।।

डरते नहीं थे वीर शिवा पग पग सबको साथ चलाये।
धन्य हुई भारत की भूमी कैसे कैसे वीर जन्माये।।

मात पिता का मान बढ़ा,
भारत की शान बढ़ाये।
चौबीस किलों पर अपना ध्वज फहरा,
क्षत्रपति शिवा महाराज कहलाएं।।

ऐसे थे वीर शिवाजी,
रणक्षेत्र में जान की बाजी लगाये।
ज्येष्ठ शुक्ल त्रयोदशी तिथि,
हिंदू साम्राज्य स्थापित करवाये।।

पुष्पा निर्मल
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