Ticker

6/recent/ticker-posts

शरद पूर्णिमा की रात सुहानी : शरद पूर्णिमा की रात पर कविता Poem On Sharad Purnima

शरद पूर्णिमा की चांदनी रात : काव्य गीत | हिंदी कविता

(काव्य गीत)
“आप सभी मित्रों एवं साथियों को शरद पूर्णिमा के शुभ अवसर पर ढेर सारी शुभकामनाएं एवं बधाईयां।”

जो बना देती है, प्रेमियों की बिगड़ी बात,
वो होती है शरद पूर्णिमा की चांदनी रात।
शाम होते ही, चमकता चांद निकलता है,
पीछे पीछे चल पड़ती है तारों की बारात।
जो बना देती है…………….

बड़ा अनोखा होता है इस रात का मेला,
मेले में, कोई भी होता नहीं है अकेला।
प्रेमी जोड़े मगन रहते हैं अपनी धुन में,
डाले रहते हैं एक दूजे के हाथों में हाथ।
जो बना देती है………….

जैसे जैसे रात ढलती है, चढ़ता है रंग,
मेले को देखकर, दुनिया होती है दंग।
न कोई दुकानदारी, न कोई खरीदारी,
होती है सिर्फ प्रेम, स्नेह की बरसात।
जो बना देती है…………..

आंखों में कजरा सजता बालों में गजरा,
चेहरे पर विराजमान नाज और नखरा।
हाथों में माला, शांत हृदय की ज्वाला,
गजब की, दो अनजानों की मुलाकात।
जो बना देती है…………..



शरद पूर्णिमा जीवन के गीत सिखाती है,
अपनी चांदनी से दुनिया को नहलाती है।
बादलों से आंख मिचौनी अच्छी लगती है,
दिल से निकल, होठों पर आती जज्बात।
जो बना देती है………. 
प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)

वो शरद पूर्णिमा की रात थी : शरद पूर्णिमा की रात पर कविता, कोजागरी पूर्णिमा

वो शरद पूर्णिमा की रात थी
(कविता)
“आप सभी मित्रों को शरद पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाईयां।“
वो शरद पूर्णिमा की रात थी, जो उनसे पहली मुलाकात थी,
जुबां खामोश थी, सिर्फ नगाहों से निगाहों के इशारों में बात थी।
गांव में मेला लगा हुआ था, घर घर में माता लक्ष्मी की पूजा थी,
चांद से दूधिया चांदनी के संग, निरंतर अमृत की बरसात थी।
वो शरद पूर्णिमा की………
युवती कन्याओं का व्रत था, कि उन्हें योग्य जीवन साथी मिले,
रंगीन रास लीला का मौसम था, सबके लिए नई सौगात थी।
जगह जगह ढोल बज रहे थे, और गूंग रही थी शहनाइयों की धुन,
शायद आनेवाली किसी नवयौवना की, पास के गांव से बारात थी।
वो शरद पूर्णिमा की ………
रात्रि त्योहारों में, शारदीय पूर्णिमा त्योहार बड़ा अलबेला होता है,
आज भी जिंदा है दिल में, तब जो मचलती उछलती जज़्बात थी।
शरद पूर्णिमा की सुहानी रात, ऊर्जा शक्ति बढ़ाने वाली होती है,
आज भी चांदनी ऐसे ही स्नेह बरसाती है, जैसे तब साथ थी।
वो शरद पूर्णिमा की………
इसे कोजागरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है देश में,
मिथिला क्षेत्र की रीति रिवाज वही है, जो तब इस रात थी।
नव विवाहिताओं के मायके से माछ, पान व मखान आते हैं,
यह रात आज भी खास है जिंदगी की, तब भी बड़ी खास थी।
वो शरद पूर्णिमा की………
जिस दिन गौरी शंकर आत्मज, कार्तिकेय का जन्म हुआ था,
शारदीय पूर्णिमा का दिन था, त्रिलोक में खुशी व्याप्त थी।
स्वास्थ्य संतुष्टि का दिवस होता है, यह दिवस संसार में,
आज भी इसकी वही ख्याति है,जो ख्याति इसे तब प्राप्त थी। 
वो शरद पूर्णिमा की………
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)


Moon-Kojagiri Purnima Sharad Purnima

चांद जिस पर मेहरबान होता है : शरद पूर्णिमा की रात पर कविता

चांद जिस पर मेहरबान होता है
(गीत)
चांद जिस पर, मेहरबान होता है,
उसके कदमों में आसमान होता है।
जिंदगी खिल उठती फूलों की तरह,
वह हर दिल का मेहमान होता है।
चांद जिस पर……….
चांद का बड़ा महत्व होता जीवन में,
चांद बिन रात वक्त बेईमान होता है।
चांद नहीं होता तो, धरती जल जाती,
यह ब्रह्मांड का बड़ा वरदान होता है।

चांद जिस पर…………….
चांद है तो, गगन में चमकते सितारे,
यह गर्म सूरज का, इम्तिहान होता है।
चांद की शीतलता, शबनम लाती है,
कलियों का पूरा हर अरमान होता है।
चांद जिस पर…………….
चांद नहीं होता तो, यहां पूर्णिमा कैसी?
इसलिए चांद पर, सबका ध्यान होता है।
न महफिलें सजती, न समा कोई जलती,
चांद, असीम आसमान की शान होता है।
चांद जिस पर………….
सुंदर चेहरे की तुलना, चांद से होती है,
सुन्दरता पर फिदा सारा जहान होता है।
अकेला सूर्य होता तो, वह परेशान होता,
चांद होने से, सूरज का समान होता है।
चांद जिस पर…………….
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)

Read More और पढ़ें:

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ