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चांद जिस पर मेहरबान होता है : चाँद पर शायरी Chand Par Shayari | चांद पर कविता

चांद जिस पर मेहरबान होता है : चाँद पर शायरी Chand Par Shayari | चांद पर कविता

चांद जिस पर मेहरबान होता है
(गीत)
चांद जिस पर, मेहरबान होता है,
उसके कदमों में आसमान होता है।
जिंदगी खिल उठती फूलों की तरह,
वह हर दिल का मेहमान होता है।
चांद जिस पर……….
चांद का बड़ा महत्व होता जीवन में,
चांद बिन रात वक्त बेईमान होता है।
चांद नहीं होता तो, धरती जल जाती,
यह ब्रह्मांड का बड़ा वरदान होता है।

चांद जिस पर…………….
चांद है तो, गगन में चमकते सितारे,
यह गर्म सूरज का, इम्तिहान होता है।
चांद की शीतलता, शबनम लाती है,
कलियों का पूरा हर अरमान होता है।
चांद जिस पर…………….
चांद नहीं होता तो, यहां पूर्णिमा कैसी?
इसलिए चांद पर, सबका ध्यान होता है।
न महफिलें सजती, न समा कोई जलती,
चांद, असीम आसमान की शान होता है।
चांद जिस पर………….
सुंदर चेहरे की तुलना, चांद से होती है,
सुन्दरता पर फिदा सारा जहान होता है।
अकेला सूर्य होता तो, वह परेशान होता,
चांद होने से, सूरज का समान होता है।
चांद जिस पर…………….
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)
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गैर की रौशनी चुराके, चाँद चमकता है : चांद पर शायरी | Chand Par Shayari

गैर की रौशनी चुराके
चाँद चमकता है।
पानी चख वहाँ का,
आग के समन्दर पर,
रहने की तरकीब की,
सोच रख क्यूँ मरता है?
ऐ मजहबी चाँद वालों,
इंतजार किसका करता है?
जो डोलता हमारे साथ साथ,
मिन्नत उसीसे करता है!
घर के चाँद की कद्र कर देख,
प्यार अफ़रात बरसता है।
दिये की लपलपाती लौ देख,
रौशन रात सारी करता है।
बाती बन मत जल,
सुकून सराबोर करने से मिलता है।
चाँद गैर की--------------------।।
डॉ. कवि कुमार निर्मल
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