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अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर शायरी Shayari On International Women's Day

विश्व महिला दिवस पर शायरी Shayari On World Women's Day In Hindi

सभी सखियों को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
मत समझो अबला
सीता के तो रूप में बिल्कुल भोली भाली हूँ
मत समझो अबला मैं दुर्गा हूँ और काली हूँ।
माँ बनकर दुनिया के सारे दर्द उठा लूँ मैं
सबको खुशियाँ दूँ ख़ुद अपने दर्द छुपा लूँ मैं
रिश्तों की बुनियाद टिकी जिसपर वो डाली हूँ।
मत समझो अबला मैं दुर्गा हूँ और काली हूँ।
महिला दिवस पर शायरी
सावित्री जब बनूँ तो फिर यमराज से लड़ जाऊँ
प्रियतम को वापस पाने की ज़िद पर अड़ जाऊँ
सातों जन्म के बंधन को अपनाने वाली हूँ,
मत समझो अबला मैं दुर्गा हूँ और काली हूँ।
लक्ष्मी बाई बनूँ तो फिर तलवार उठा लूँ मैं
देश की आज़ादी का सारा भार उठा लूँ मैं
इंदिरा बनके देश पे बलि बलि जाने वाली हूँ,
मत समझो अबला मैं दुर्गा हूँ और काली हूँ।
पँख हैं टूटे लेकिन ये विश्वास नहीं टूटा
मन से हिमालय को छूने का ख़्वाब नहीं रूठा
मैं तो तिरंगा अम्बर पर फहराने वाली हूँ,
मत समझो अबला मैं दुर्गा हूँ और काली हूँ।
अतिया नूर


अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की शायरी : मैं औरत हूँ

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।
मैं औरत हूँ
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कभी हूँ रूप गंगा का, कभी जमुना की सूरत हूँ,
कभी दुर्गा की शक्ति हूँ
कभी काली की मूरत हूँ,
हज़ारों रूप हैं मेरे,मैं इस धरती की ज़ीनत हूँ
करिश्मा हूँ मैं क़ुदरत का
हाँ,औरत हूँ!
मैं औरत हूँ।

टिकी हैं मेरे कंधों पर
सभी रिश्तों की बुनियादें..
कि बेटी और बहन बनकर
सुनूँ मैं सबकी फ़रियादें!

बनूँ जब माँ तो बच्चों के लिए क़ुर्बान हो जाऊं,
मैं ममता,त्याग का उनके लिए वरदान हो जाऊं।

 बनूँ पत्नी तो सीता और सावित्री की सीरत हूँ....
करिश्मा हूँ..........।

है तन कोमल मगर मन से
मुझे कमज़ोर मत समझो
मेरी आवाज़ को इस भीड़ का बस शोर मत समझो!
वतन पर आँच आ जाए तो फिर झाँसी की रानी हूँ....

मैं इंदिरा हूँ,वतन के शान की दिलकश कहानी हूँ....

करेंगी नाज़ सदियां जिसपे मैं ऐसी इबारत हूँ
करिश्मा हूँ .......।

मुझे जब पँख मिल जाएं तो फिर आकाश तक जाऊँ...
हिमालय की बुलंदी को
शिकस्ता पर से छू आऊं....

मैं तूफ़ानों का सीना चीर दूँ,लहरों से लड़ जाऊँ....
हज़ारों मुश्किलें आएं
मगर मैं,आगे बढ़ जाऊँ...

इरादे मेरे फ़ौलादी,मैं चट्टानों की फ़ितरत हूँ....
 
करिश्मा हूँ.....
अतिया नूर
आईना-ए-हयात
से


महिला सशक्तिकरण पर शायरी International Women's Day Shayari

कविता
करें महिलाओं का सम्मान
आओ हमसब मिलकर,
करें महिलाओं का सम्मान,
दें उन्हें हर जगह सुरक्षा,
बढ़ायें जग में उनका मान।
उन्हीं से हम, तुम बने,
बनी यह सृष्टि,संसार,
बच्चों की प्रथम गुरु वही,
उसी से मेरा घर परिवार।
घर की वह है अन्नपुर्णा,
उसी से मिलती खुशियाँ अपार,
उसी से घर में है रौनक,
वही है इस सृष्टि का आधार।
महिला बिन यह पुरुष अधूरा,
अधूरा यह रूप श्रिंगार,
करें सदा आदर उनका,
दें उन्हें सदा अपनापन, प्यार।
अरविन्द अकेला


नारी की महिमा: महिला दिवस पर हाइकु Mahila Divas Par Shayari

हाइकु
नारी की महिमा
नारी से ही है
पहचान जग में
महिमा जानें।
कभी न टूटे
सरल कोमलता
लक्ष्मी महिमा।
तीर्थ समान
समझे सब बात
सेवा क्यों नहीं।
जीवन लीला
टूटे नही विश्वास
यही संस्कार।
सर्व गुणों की
यह मात स्वरूपा
महिमा न्यारी।
पूजा की थाली
यह बात निराली
मन को भाती।
रामबाबू शर्मा,राजस्थानी,दौसा(राज.)


सशक्त महिला पर कविता-नारी सम्मान पर शायरी

नारी तुम्हें है नमन हमारा,जीवन का हो तुम्हीं सहारा,
जन्मदातृ हो तुम्हीं जगत की,तूं हीं हो सम्मान
नारी तेरे रूप हैं कितने, करूं तुम्हें प्रणाम
शक्ति बनके शक्ति देती,दुख -कष्टों को हो हर लेती,
माता बनके प्यार लुटाती,जन-जन का अरमान
नारी तेरे रूप हैं...

कभी रूप तेरा पत्नी का,कभी बहन,कभी बेटी का,
स्वर्ग बनाती हो घर को तुम,जीवन का वरदान
नारी तेरे रूप हैं...
तेरे बिन हैं सारे अधूरे, करती हो तुम सबको पूरे,
तेरी महिमा गा न सकूंगा, तूं है सबसे महान
नारी तेरे रूप हैं कितने, करूं तुम्हें प्रणाम-2
प्रीतम कुमार झा
महुआ, वैशाली, बिहार
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