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राष्ट्रीय महिला दिवस पर कविता शायरी Poem on National Women's Day in Hindi

राष्ट्रीय महिला दिवस पर कविता शायरी Poem on National Women's Day in Hindi

राष्ट्रीय महिला दिवस की झंकार : कविता

(कविता)
राष्ट्रीय महिला दिवस, बहुत कुछ कहता,
राष्ट्रीय महिला दिवस की, छाई है बहार,
नारी शक्ति हो गई है अब अगम अपार।
कोमल वाणी, कठोर निर्णय, नरम शैली,
सुंदर और सभ्य आचरण, मधुर व्यवहार।
लाख लाख बधाईयां, शुभकामना संदेश है,
कोटि कोटि नमन और सादर नमस्कार।
राष्ट्रीय महिला दिवस………..

13 फरवरी 1879 अमर हुआ इतिहास में,
भारत में हुआ था बहुत विशेष चमत्कार।
सरोजिनी नायडू का आना हुआ संसार में,
अपनी बहुमुखी प्रतिभा का दिया उपहार।
स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय भूमिका थी,
काव्य जगत में मौसम हुआ था गुलजार।
राष्ट्रीय महिला दिवस………

उनका जन्म दिन मनाकर, सम्मान देते हैं,
राष्ट्रीय महिला दिवस का, है यही आधार।
भारत में प्रथम महिला राज्यपाल बनी वह,
किसी भी क्षेत्र में वह कभी नहीं मानी हार।
बड़े बड़े महारथी उनके कायल हो गए तब,
ऐसी हस्ती के आगे नभ झुकने को तैयार।
राष्ट्रीय महिला दिवस………..

थक हारकर काम से जब पुरुष बैठ जाए,
फिर से कर देती है, नई ऊर्जा का संचार।
हारा पुरुष फिर से खड़ा हो जाता तनकर,
लड़ने को, कुछ करने को, फिर से तैयार।
जीत ही दिखती है, मानती कभी न हार,
काली, दुर्गा और सरस्वती का अवतार।
राष्ट्रीय महिला दिवस………….

बेटी हो या बहू, दोनों रूप में लक्ष्मी जैसी,
हर भूमिका नारी की होती होती असरदार।
अपने रूप से नारियां, स्वरूप बदल देती हैं,
दुनिया के कोने कोने में है जय जयकार।
पुरुष समाज है अगर, सही में ईमानदार,
हनन नहीं करे कभी, नारियों के अधिकार।
राष्ट्रीय महिला दिवस……….

नारी शक्ति का, इतिहास है बड़ा पुराना,
रूप श्रृंगार के साथ थाम सकती तलवार।
नारी कदम से कदम मिलाकर चलती है,
कमजोरी नहीं लगती, पायल की झंकार।
यत्र नार्यस्तु पूज्यंते, रमन्ते तत्र देवता,
यही है नारी शक्ति पर, देश का विचार।
राष्ट्रीय महिला दिवस……….

“ नायडू जी को उनके जन्म दिवस पर कोटि कोटि नमन एवं विनम्र प्रणाम तथा आदरांजलि। उनको सम्मान देने हेतु ही राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाना है"
“राष्ट्रीय महिला दिवस के शुभ अवसर पर नारी शक्ति को नमन एवं नमस्कार तथा हृदय तल से ढेर सारी शुभकामनाएं एवं बधाईयां।”

सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)


राष्ट्रीय महिला दिवस पर कविता National Womens Day Poem In Hindi

नारी कभी न हारी
नारी कभी न हारी, खेलती लम्बी पारी,
हर क्षेत्र में अब सम्मान की अधिकारी।
शांत है तो कोमल कली या फूल है वह,
अगर अशांत हुई, तो बन जाती चिंगारी।
नारी कभी न हारी…
नारी शक्ति को, शुभकामनाएं हैं हमारी,
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की है तैयारी।
नारी सम्मान और सशक्तिकरण जरूरी,
नारी को, कोई नहीं कह सकता बेचारी।
नारी कभी न हारी…
जहां भी जाती है, सफलता वह पाती है,
इतना ही नहीं, पड़ती है पुरुषों पर भरी।
न झांसे में आती, न जाल में फंसती है,
चाहे कितना भी बड़ा हो कोई शिकारी।
नारी कभी न हारी…
न सीता ने हार मानी थी, न सावित्री ने,
कमाल किया, जब आई परीक्षा की बारी।
झांसी की महारानी लक्ष्मीबाई अमर हुई,
गोरों के होश उड़े, देख घोड़े की सवारी।
नारी कभी न हारी…
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
नासिक (महाराष्ट्र) जयनगर (मधुबनी) बिहार


भारतीय महिला दिवस पर कविता : नाड़ी का भरोसा है नहीं तन में

महिला दिवस के अवसर पर एक प्रयासः
नारी और नाड़ी
नाड़ी का भरोसा है नहीं तन में,
तो नारी का भरोसा क्या करना।
छोड़ दे गर साथ कोई तन का,
तो पड़ता है उसे भी यूँ ही मरना।।
किन्तु दोनों में बहुत फर्क है यारों,
जबकि दोनों ही हैं जीवन के अंग।
दोनों बिन जीवन खत्म या अधूरा,
नहीं गर दोनों में कोई एक संग।।
नाड़ी ही तो है जीवन की गति,
तो नारी ही है जीवन के पूरक।
नारी बिन यह जीवन है अधूरा,
नाड़ी बिन सूरत होती बदसूरत।।
छोड़ दे नाड़ी गर साथ जीवन का,
तन मूर्दा लाश बन चला जाता है।
छोड़ दे नारी गर साथ जीवन का,
तन जिंदा लाश बन रह जाता है।।
निकल जाता प्राण छोड़ तन को,
किंतु नाड़ी तन के साथ जाता है।
उत्तम नारी का साथ जीवन में,
भाग्यशाली को ही मिल पाता है।।
नारी छोड़ देती उस मुर्दा तन को,
किंतु नाड़ी जाता है तन के साथ।
मिल जाता मिट्टी में साथ ही नाड़ी,
नारी पकड़ लेती दूसरे का हाथ।।
नाड़ी छोड़ता नहीं कभी तन को,
अमीरी गरीबी कभी सुख दुःख में।
नारी कर सकती बेवफाई पति से,
तन और धन की अधिक भूख में।।
जब तक रहता यह प्राण तन में,
नाड़ी काम करता होकर स्वच्छंद।
छोड़ता प्राणवायु जिस तन को,
तो नाड़ी भी काम कर देता बंद।।
नाड़ी को कभी कहीं किसी से,
होता नहीं कोई लालच या भय।
जन्म से लेकर आखिरी साँस तक,
गाता रहता है वह एक ही लय।।
नारी तो बिक सकती है लेकिन,
नाड़ी कभी बिक सकता है नहीं।
नाड़ी ही है सच्चा जीवन संगी,
नाड़ी समक्ष कोई टिक सकता नही।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश 9504503560


कविता : राष्ट्रीय महिला दिवस 13 फरवरी 2022 : नारी ही श्रद्धा की मूरत है

शीर्षक - नारी ही श्रद्धा की मूरत है
नारी तुम केवल श्रद्धा हो
अनुभवों से भरी बेजोड़ सख्शियत ह़ो।
लबालब आत्म विश्वास से भरी नारी ही होती है।
नारी ही सर्वस्व विधाता, नारी ने ही की संसार की उत्पत्ति
बिन बोले घर के सारे फर्ज निभाती कभी उफ न करती
नारी त्याग और समर्पण है।मां के रूप में प्रथम गुरु भी है
और स्त्री पुरुष की परस्परावलंबी है नारी पुरुष की पूरक है
नारी तुम प्रक्रृति के रंगबिरंगे फूलोँ का अद्भभुत संगम हो
प्यार में ममतामयी मूरत हो तो बचाव मे रणचंडी भी हो
नारी की गोद में भगवान स्वयं भी खेले है।
अपनी मेहनत का लोहा मनवा उच्च पदों पर आसीन
ह़ोकर लोहे के चने चबवातीं हैं। ऐसा कोई क्षेत्र नहीं
जहाँ नारी ने अपनी श्रद्धा न दिखाई हो।
तुम श्रद्धा हो बहती नदी की कल कल धारा हो
सबका ध्यान रखते हुए बहती रहती शांत सी
पर कहीं कहीं अभी भी भेद भाव चलता
सालों से पीडित घुन के समान पिस रही चालाकों के जाल में
नारी तेरे रूप अनेक
मायके में मायके वालों का मान बढाये।
ससुराल मे दोनोँ कुल की लाज निभाये।
नारी तुम केवल श्रद्धा हो।
जितनी तारीफ की जाय उतनी कम है।
कविता मोटवानी
बिलासपुर छत्तीसगढ़


नारी महिला दिवस पर कविता : नारी से ही हित है, नारी में ही मीत

नारी महिला दिवस
नारी से ही हित है, नारी में ही मीत
नारी में ही देख लो, जीवन का संगीत॥

तीन लोक में नारी का है प्रथम स्थान
नारी का सम्मान करो, इसी में है कल्याण॥

नारी पर श्रद्धा धरो, सदा करो अभिमान
चाहे तो स्वर्ग बना दे घर, चाहे श्मशान॥

सृष्टि का आधार है, घर घर की है शान
जीवन का ये सार है, नारी रूप महान॥

नारी का दुनियाँ में, सदा प्रथम स्थान
माँ की पूजा करो, वो साक्षात भगवान॥

नारी में ही देखिए निज आत्म स्वरूप
नारी ही माँ काली, दुर्गा लक्ष्मी का रूप॥

नारी से सम्मान है, नारी से अभिमान
नारी में ही जानिए, सभी गुणों की खान॥
निर्दोष लक्ष्य जैन धनबाद


राष्ट्रीय महिला दिवस की हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं..

हाइकु
नारी की महिमा
नारी से ही है
पहचान जग में
महिमा जानें।
कभी न टूटे
सरल कोमलता
लक्ष्मी महिमा।
तीर्थ समान
समझे सब बात
सेवा क्यों नहीं।
जीवन लीला
टूटे नही विश्वास
यही संस्कार।
सर्व गुणों की
यह मात स्वरूपा
महिमा न्यारी।
पूजा की थाली
यह बात निराली
मन को भाती
रामबाबू शर्मा,राजस्थानी,दौसा(राज.)

राष्ट्रीय महिला दिवस पर कविता शायरी  Poem on National Women's Day in Hindi

आज राष्ट्रीय महिला दिवस पर महिला दिवस कुंडलियाँ

महिला दिवस(कुंडलियाँ)
महिला दिवस मनाइए,हो नारी सम्मान।
नारी लक्ष्मी रूप है,इसका रखना ध्यान।
इसका रखना ध्यान,नहीं समझे अब अबला।
कर अपना उत्थान,बनी है अब तो सबला।।
कह बिनोद कविराय,सदा हक दें अब पहिला।
क्यों बेवस लाचार,स्वयं हित जागे महिला।।
बिनोद कुमार "हँसौड़ा" दरभंगा(बिहार)


महिला दिवस पर मुक्तक - नारी मे सारी

सृष्टि की आधार जननी मातृ शक्ति को नमन।
त्रिदेवो की अम्बा जगत जगदम्बा को नमन।
नारी मे सारी नहीं सारी मे नारी महिमा महान।
प्रेम त्याग तपस्या बलिदान पहचान तुझे नमन।
श्याम कूंवर भारती
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