तन्हाई की रात पर शायरी | रातों की तन्हाई शायरी Tanhai Shayari Hindi | Alone Shayari
ग़ज़ल
तन्हाई की रात अजब है।
आँखों में बरसात अजब है।।
दिल को तूने तोड़ दिया क्यूं।
ऐ साथी ये बात अजब है।।
खामोशी को तोड़ दो साथी,
इस दिल में जज़्बात अजब है।
सावन बरसा, रात है तन्हा,
बूंदों के नग्मात अजब है।।
हमदम हमसे जीत गया तू,
हमने खाई मात अजब है।।
सच्ची लगती झूठ है तेरी,
तेरी तो हर बात अजब है।।
दिल को लेकर दर्द दिया क्यों?
ये कैसी सौगात अजब है?
इक धरती और एक हैं इंसां,
लेकिन सब की बात अजब है।
हर पल अपना रूप बदलता,
इंसानों की ज़ात अजब है।
बिस्मिल कैसा रोग लगाया?
हरकात ओ सुकनात अजब है।
प्रेमनाथ बिस्मिल
मुरादपुर, महुआ, वैशाली, बिहार
शाम की तन्हाई शायरी | Sham Ki Tanhai Shayari
तन्हाई भरी शाम है सुबह रौशनी आएगी,
हाथों में जाम है शाम को चाँद आयेगा,
आज अश्क़ न बहाओ
कल तेरा आशिक़ आएगा।
प्रतिभा जैन, टीकमगढ़ मध्यप्रदेश
Tanhai Bhari Shaam Hai Subah Roshni Aaegi
Hathon Mein Jaam Hai Sham Ko Chand Aaega
Aaj Ashk NabBahao Kal Tera Aashiq Aaega
तन्हाई शायरी फोटो Tanhai Shayari Photo |
मैं और मेरी तन्हाई शायरी Tanhai Shayari | Alone Shayari | Tanhai Shayari In Hindi
मैं और मेरी तनहाईमैं और मेरी तनहाई,
खूब दोनों ने प्रीति निभाई।
नहीं कभी संग हमने छोड़ा,
नहीं अन्य से रिश्ता जोड़ा।
जानें हम जग की सच्चाई,
मैं और मेरी तनहाई।।
नहीं जगत में कोई अपना,
हर तरफ फरेब और सत्य है सपना।
बचकर रहने में ही है भलाई,
मैं और मेरी तनहाई।।
रिश्ते नाते सब हैं कांटे,
हिला नहीं कि ये धंस जाते।
अपने ही हैं, चिता जलाते,
लूट लेते हैं, पाई पाई,
मैं और मेरी तनहाई।।
तनहाई ने साथ निभाया,
घर अपना, मेरे साथ बसाया।
चला छोड़ दुनिया को जब मैं,
अपनी चिता भी संग सजाई।
मैं और मेरी तनहाई।।
मैं और मेरी तनहाई,
खूब प्रीति दोनों ने निभाई।।
ओमप्रकाश
तन्हाई में कोई नही तेरी यादों के सिवा– शाम की तन्हाई शायरी
यादों के पलछिनचिड़ियों की चहचहाहट से।
न जाने क्यूँ परेशान हो जाता हूँ।।
पंछी आते अपने घरौंदो में।
मैं घर से दूर चला आता हूँ।।
जाकर बैठता हूँ उस मुंडेर पर l
यादों के साथ,खेलता मुस्कुराता हूँ।।
लिखा है उस मुंडेर पर आज भी।
साथ ना छोडेंगे साथी तेरा कभी।।
प्यार से लिखावट को सहलाता हूँ।
रोज उसे पढ़ता हूँ और मिटाता हूँ।।
छा जाती है आँखों में घुप्प अंधेरा।
उस वक़्त अपने आप से लड़ता हूँ ll
फिर रात का अन्धेरा शाम को जकड़ने लगी।
यादों ने बढाई दबिश आँखे ढलकने लगी।।
चाँद भी समन्दर से मिलने को है।
देखो भोर का तारा नज़रे चुराने लगी।।
चिडिंयों की चीं चीं फिर कानों को भेदने लगी।
ना मिल पाने की चाहत टीस देने लगी।।
जितना सोचूं खुद को अकेला पाता हूँ।
चलो अपने घर की ओर लौट जाता हूँ।।
तन्हाई में कोई नही तेरी यादों के सिवा।
इसलिए तेरी यादों को घर तक ले आता हूँ।।
वरुण
तन्हाई शायरी | Tanhai Shayari
तन्हा तुम मेरे हाल पर मुझे छोड़ क्यो नहीं देते
प्यार नहीं मुझसे रिश्ते सारे तोड़ क्यो नहीं देते
तेरी बेरुखी और इन्कार भी कबूल कर लिया
गवारा नहीं गर कोई नया मोड़ क्यो नहीं देते
श्याम कुंवर भारती
तन्हाई शायरी हिंदी में Tanhai Shayari Alone Shayari in Hindi
तन्हाई
हमसे पूछो कोई
क्या होती तन्हाई
दर्द ही दर्द इंतज़ार लंबा
आए ना मांगे दर्द मौत कि दुहाई।।
दूर हो जाती खुद से ही
खुद की परछाई।।
सूख जाते आंखों के आंसू मगर
न दूर होता ये ग़मे हरजाई।।
बस चेहरे पर दर्द रखा पर
नकाब लगा छुपाया भरी रूसवाई
एसी ही अनगिनत बने लेखक लेखिका
जिन्होंने नाम पाया दर्द ए शायरा/शायर सुनो भाई।।
वीना आडवाणी तन्वी
नागपुर, महाराष्ट्र
रोमांटिक तन्हाई शायरी Alone Shayari अकेलापन शायरी
तन्हाई
कहूँ कैसे अकेले हैं, तन्हाई में जीते हैं
किसी को भी न देखा है, आँसू को ही पीते हैं
कहूँ किसको यहाँ दिल की, खोई सी दुनियाँ है ये
किधर को दौड़ते हैं सब, काँटों पर हम चलते हैं
किसे रोकूँ कहूँ दिल की, अंजाने से सब लगते
मचा है शोर बस्ती में, तन्हाई में सोते हैं
सभी की पीड़ है अपनी, सब का मकसद है अपना
दिखा है घाव हर तन पर, गम को सब ही ढोते हैं
लगी है आग हर घर में, पानी में भी शोले हैं
पले नफरत जहां में अब, बस काँटे ही बोते हैं
मुखौटा ओढ़ कर देखो, जीती है दुनियाँ सारी
मिला सब कुछ यहाँ पर जिसको वो भी तो रोते हैं
चला था छोड़ कर हमको, कोई दुनियाँ को भूले तो
कहूँ जीना इसे कैसे, जो अपने में खोते हैं
श्याम मठपाल, उदयपुर
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