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बिछोह, वियोग, अलगाव बिछड़ने पर कविता Bichhoh Viyog Bichadne Par Kavita

बिछोह, वियोग, अलगाव बिछड़ने पर कविता Bichhoh Viyog Bichadne Par Kavita

बिछोह की कहानी
(कविता)
बड़ी पीड़ा पहुंचाती है, बिछोह की कहानी,
रो रोकर सूख जाता है, नयनों का पानी।
जग जाहिर है, मिलन बाद बिछोह भी है,
फिर भी लोग करते, मिलन में मनमानी।
बड़ी पीड़ा पहुंचाती है……
न बिछोह स्थाई है, न मिलन है स्थाई,
दोनों का अपना तर्क, अपनी है सफाई।
मिलन आता है तो, जग सोहर गाता है,
बिछोह संग है, समदाउन कथा पुरानी।
बड़ी पीड़ा पहुंचाती है……
बिछोह ही मिलन का रास्ता दिखाता है,
संकटों दुखों से लड़कर जीना सिखाता है।
मनुष्य की चाल, बहुत तीव्र हो जाती है,
कदम आगे बढ़ते, कोई भी रहे परेशानी।
बड़ी पीड़ा पहुंचाती है……
सामने प्रेयसी का चेहरा हंसता रहता है,
प्रियतम से संकेतों में हर बात कहता है।
बिछोह पर आंसू बहाना, स्वाभाविक है,
लेकिन होता यह कमजोरी की निशानी।
बड़ी पीड़ा पहुंचाती है……
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
नासिक (महाराष्ट्र)/
जयनगर (मधुबनी) बिहार

बिछोह, वियोग, अलगाव बिछड़ने पर कविता Bichhoh Viyog Bichadne Par Kavita

बिछोह, वियोग, अलगाव बिछड़ने पर कविता Bichhoh Viyog Bichadne Par Kavita

जुदाई पर कविता | अपनों से बिछड़ने की कविता | मिल के बिछड़ना ब्रेकअप पर कविता

दूर रहकर पता चलता, मिलन क्या है,
गीत : दूर रहकर पता चलता
दूर रहकर पता चलता, मिलन क्या है,
बिछुड़ने पर पता चलता, जीवन क्या है।
दुनिया बनाने वाले बिछोह क्यों बनाया?
तुमने नहीं जाना, अनुरागी मन क्या है।
दूर रहकर पता चलता…..

दूर जाने की कविता | साथ छोड़कर जाने वाली कविता

दूरी तो होती है जीवन की एक मजबूरी,
इस मजबूरी के बिना, कहानी है अधूरी।
पास रहकर दूर जाना आसान नहीं होता,
तन से मन पूछता, यह प्रेम बंधन क्या है?
दूर रहकर पता चलता……
शीतल चांदनी जैसे चुभ रही हो बदन में,
अगिया लग गई हो, जैसे नील गगन में।
सुनहरी किरणें जैसे सता रही हो बार बार,
क्या फर्क उसे, बदन चूमती पवन क्या है!
दूर रहकर पता चलता……
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
नासिक (महाराष्ट्र)/
जयनगर (मधुबनी) बिहार

बिछोह, वियोग, अलगाव बिछड़ने पर कविता Bichhoh Viyog Bichadne Par Kavita

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