जुदाई शायरी हिंदी में | Judai Shayari In Hindi
तेरी जुदाई
(मनहरण घनाक्षरी)
तेरी जुदाई सनम,
बड़ी ही है बेरहम,
सही ना जाएं मुझको,
लगती वो खलिश है।
हुई जिंदगी अधूरी,
कैसी है ये बेकरारी,
नींदें चुराई तुमने,
कैसी तेरी कशिश है।
छाई मन में उदासी,
जोगन बनी मैं प्यासी,
रास्ता तेरा मैं निहारूं,
कैसी तेरी रंजिश है।
दिल हुआ है घायल,
रोता है मन पागल,
जल गई है आशाएं,
लगी कैसी अतिश है।
प्रा.गायकवाड विलास.
मिलिंद महाविद्यालय लातूर.
9730661640.
महाराष्ट्र
वो साथ छोड़ गया साथ-साथ चलते हुए
बुझे-बुझे से लगे हैं चराग़ जलते हुए
वो ये ही सोच के रोता रहा है बरसों तक
किसी ने रोका नहीं गांव से निकलते हुए
उसे तो दिल की कहानी बयान करनी थी
सो मेरे साथ गया दूर तक टहलते हुए
मैं था कि अपनी वफ़ादारियां निभाता रहा
वो जंग जीत गया पैतरा बदलते हुए
वो एक रोज़ भटकता हुआ मिले न कहीं
वो आ रहा है जो स्कूल से उछलते हुए
लिबास मोम का पहने हुए हैं सब के सब
सो डर रहे हैं कड़ी धूप में निकलते हुए
शिव शरण बंधु हठगामी
Shiv Sharan Bandhu Hathgami
Hathgam-Fatehpur
India
94151 66683
जुदाई पर शायरी Judai Shayari In Hindi जुदाई की रात शायरी
।। ग़ज़ल ।।
विरह की ऐसी रात न आये
पलको पर बरसात न आये
ऐ परवानों बुझ गई शम्मा,
अब कोई बारात न आये
जिससे दुखी हो जाये कोई
ऐसी जुबा पर बात न आये
कुछ पल संग में गुजरे तेरे
वैसी सुखद प्रभात न आये
फिर से कही रो दे "शबनम"
ऐसी कोई सौगात न आये
शबनम मेहरोत्रा
(सर्वाधिकार सुरक्षित)
जुदाई शायरी हिंदी Judai Shayari In Hindi
काश फिर मिलने की वज़ह मिल जाये
साथ जितना भी बिताया वो पल मिल जाए
चलों अपनी आंखें बंद कर लें
क्या पता ख्वाबों में वो गुजरे पल मिल जायें
जुदाई शायरी हिंदी Judai Shayari In Hindi
गजल
तुझसे मिले हुए मेरा अब काफ़ी अर्सा बित गया।
बिता जाड़ा गर्मी और तड़पा कर वर्षा बित गया।
तुझसे मिले हुए मेरा अब काफ़ी अर्सा बित गया।
बिता जाड़ा गर्मी और तड़पा कर वर्षा बित गया।
एक-एक घड़ियाँ गिन रही हूँ लौट तेरे ही आने का
सब कहते इस दुनिया से तो सच्चाई का रीत गया
तेरे विश्वास की आस पर मैं एक जोत जला बैठी
क्या सचमुच तेरे दिल से वो मेरा सारा प्रीत गया।
तुम भुल भी जाओगे मुझको होता ये यकीन नही
फिर क्यों तेरे तन-मन से मेरे भावों का गीत गया।
तेरे संग ही चले गये मेरे तो इतिहास भूगोल सभी
ये तन्हा भी जीने का मेरा बचा-खुचा गणित गया।
मैं हारी बलिहारी बैठी बस तेरे ही याद झरोखे में
बिछड़ के मुझसे लगता तुम तो शायद जीत गया।
पूनम यादव, वैशाली, बिहार से
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