राष्ट्रीय युवा दिवस : स्वामी विवेकानंद जयंती पर कविता शायरी
स्वामी विवेकानंद जयंती
(राष्ट्रीय युवा दिवस)
स्वामी विवेकानंद जयंती का, अवसर है,
आज सर्वप्रथम हम एक काम करते हैं।
उनके महान् व्यक्तित्व को नमन हमारा,
उनके ज्ञान रूपी तन को प्रणाम करते हैं।
स्वामी विवेकानंद जयंती……….
12 जनवरी 1863, कोलकाता में जन्म,
पच्चीस वर्ष आयु में संन्यास को वरण।
स्वामी रामकृष्ण परमहंस उनके गुरु थे,
उनके आदर्शों को भी राम राम करते हैं।
स्वामी विवेकानंद जयंती………….
महात्मा बुद्ध के बाद जो दूसरी पसंद,
उनको कहती दुनिया स्वामी विवेकानंद।
जीवन का चालीसवां वसंत रूठ गया था,
उनकी कृतियों को हम सम्मान करते हैं।
स्वामी विवेकानंद जयंती……….
युवाओं को जागने व भागने का संदेश,
मंजिल मिलने तक, लड़ने का उपदेश।
उनकी जयंती ही राष्ट्रीय युवा दिवस है,
युवा ज्ञान से, जीवन आसान करते हैं।
स्वामी विवेकानंद जयंती…………
संकट का सामना करने को सदा तैयार,
जीवन में कभी उन्होंने मानी नहीं हार।
हम भारतवासियों को बड़ा गर्व है उन पे,
अज्ञान के अंधकार को, नाकाम करते हैं।
स्वामी विवेकानंद जयंती…………
प्रिय युवाओं भारत के, सीखो आगे बढ़ो,
स्वामीजी के उपदेश से सारे जीवन गढ़ो।
अनंत काल तक यही रहेंगे आदर्श हमारे,
अज्ञानता की बिदाई का इंतजाम करते हैं।
स्वामी विवेकानंद जयंती…………
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)
स्वामी विवेकानंद जयंती पर कविता Poem on Swami Vivekananda Jayanti
लहरा उठा हिंदुत्व का परचम.. तब,
भारत का यश, विश्व को सूझा था,
शिकागो के ईसाई धर्म-सभा में जब..
इस सन्यासी का वितर्की, डंका गूंजा था।
भगवे रंग के लिबास में लिपटे.. उस,
महापुरुष के चरणों में नमन करते हैं,
आज उनके जन्मदिवस पर, हम सब..
उस महान विभूति का, स्मरण करते हैं।।
कोलकाता में जन्मे थे वह..
बालपन का नाम जिनका नरेंद्र था,
महाप्रतापी, मेधावी, ईश्वरीय चित्त..
आध्यात्मिक ज्ञान इनका पुरंदर था।
धर्म ज्ञान की तलाश में रहते..
वकालत का इल्म़ ठुकराया था,
धार्मिक जिज्ञासा में भटकते हुए..
दक्षिणेश्वर इन्हें पहुंचाया था!
गुरु माना था श्री रामकृष्ण परमहंस जी को..
जिन्होंने दिव्यलोक का दर्श कराया था,
समाधान मिला अपनी जिज्ञासाओं का..
देवत्व का आत्मिक संचार कराया था।
अभिभूत हो गए धार्मिक जीवन से..
भौतिक जीवन को..त्याग दीया..
वेदांतों का अध्ययन किया इन्होंने..
सन्यासी जीवन को..अपना लिया!
प्रभावित हो गए गुरु परमहंस जी..
अपनी सारी सिद्धियों का ज्ञान दिया,
विवेक के इस...महासागर को..
गुरु ने विवेकानंद था नाम दिया।
प्रारंभ किया जब देश भ्रमण..तब,
समाज में कई विकृतियां नजर आईं,
हिंदुत्व के प्रति इसाई पादरियों की..
लोगों में फैलाई..भ्रांतियां नज़र आई!
रहा न गया जब विवेकानंद जी से..
ईसाइयों को शास्त्रार्थ की चुनौती दे डाली,
कोई ना आया सम्मुख, तो इन्होंने..
शिकागो के धर्मसभा को ललकार दे डाली।
सभा के मंच पर पहुंच इन्होंने..
'मेरे अमेरिकी भाइयों-बहनों' का संबोधन किया,
तालियों की गड़गड़ाहट, गूंजी चारों ओर..
संबोधन ने ही, सबका दिल जीत लिया!
भाषण सुनकर लोगों के दिल से..
हिंदू धर्म के प्रति, भ्रम जाल दूर हुआ,
कई देशों में भ्रमण किया विवेकानंद ने..
लोगों ने स्वामी जी कहकर मशहूर किया।
नहीं भूलेगी इन की विजय कीर्ति..
इसी सुकीर्ति से वे 'विश्व विजेता' कहाते हैं,
विवेक वान, धर्म परायण, वेदंती..
विश्व में स्वामी विवेकानंद कहलाते हैं!!
हरजीत सिंह मेहरा
लुधियाना पंजाब।
85289-96698
स्वामी विवेकानंद जयंती एवं राष्ट्रीय युवा दिवस पर हार्दिक बधाई आपको
इस अवसर पर समर्पित है मेरी चंद पंक्तियां
मुक्तक - युवा शक्ति
अमेरिका के शिकागो में भारत दर्शन परिचय सबसे कराया था।
देकर दिव्य व्याख्यान परचम भारत का उसने लहराया था।
धर्म अध्यात्म ज्ञान का योगी स्वामी युवा शक्ति को पहचाना।
करके स्थापना बेलूर मठ परमहंस को गुरु अपना बनाया था।
श्याम कुंवर भारती।
मुक्तक- आतंकी खेल
अब भी वक्त है सुधर जाओ वरना तुमको सुधार देंगे हम।
बन्द करो खूनी खेल वरना आतंकी खेल बिगाड़ देंगे हम।
बहुत हो चुका निर्दोषों का लहू बहाना अब संभल जाओ।
वरना घुसके घर में तुम्हारा तम्बू सारा उखाड़ देंगे हम।
श्याम कुंवर भारती।
स्वामी विवेकानंद जी की कहानी
शीर्षक- अनोखे लाल थे मां भारती के
स्वामी विवेकानंद अनोखे लाल,
मनोहारी, अनुपम छवि
चमकता था भाल।
चल पड़े थे तन्हा,
लिए मधुर मुस्कान, आत्मविश्वास
खोज करने ईश्वर की
दिखाया गुरु परमहंस
ईश्वर आस-पास।
पाकर शिक्षा दान,
बढ़ाए पग करने विश्व कल्याण।
पढ़ाकर भाईचारा पाठ,
किए अभिभूत
राष्ट्र का मान।
रहती कोशिश
मिटे चिन्ह क्लेश,
देख अलौकिक शांत मुद्रा
भूलते लोग आवेश।
रीतु प्रज्ञा
दरभंगा, बिहार
स्वामि विवेकानंद Swami Vivekananda
"चरैवेति-चरैवेति हीं सतयुग'' -कभी कृष्ण ने 'गीता' में कहा है।
विवेकानंद ने आदर्श यू. एन. ओ. तक ध्रुतगति से फैलाया है।
आज कवि हताश उन पुरोधाओं की तलाश में निकल पड़ा है।
परमहंस का एक शिष्य सिरमौर बना, माँ का रूप निखरा है।।
एक अध्यात्म वैचारिक क्रांतिदूत विवेकानंद की कहानी
स्वामी विवेकानंद प्रवचन दे रहे थे। श्रोताओ के बीच एक चित्रकार भी बैठा था। उसे व्याख्यान देते स्वामी ओजस्वी लगे। इतने कि वह अपनी डायरी के एक पृष्ठ पर उनका रेखाचित्र बनाने लगा।
प्रवचन समाप्त होते ही चित्र स्वामी विवेकानंद जी को दिखाया। चित्र देखते ही, स्वामी जी हतप्रभ रह गए। पूछ बैठे - यह मंच पर ठीक मेरे सिर के पीछे तुमने जो चेहरा बनाया है, जानते हो यह किसका है ? चित्रकार बोला - नहीं तो .... पर पूरे व्याख्यान के दौरान मुझे यह चेहरा ठीक आपके पीछे झिलमिलाता दिखाई देता रहा।
यह सुनते ही विवेकानंद जी भावुक हो उठे। रुंधे कंठ से बोले - "धन्य है तुम्हारी आँखे! तुमने आज साक्षात मेरे गुरुदेव श्री रामकृष्ण परमहंस जी के दर्शन किए! यह चेहरा मेरे गुरुदेव का ही है, जो हमेशा दिव्य रूप में, हर प्रवचन में, मेरे अंग संग रहते है।
मैं नहीं बोलता, ये ही बोलते है। मेरी क्या हस्ती, जो कुछ कह-सुना पाऊं! वैसे भी देखो न, माइक आगे होता है और मुख पीछे। ठीक यही अलौकिक दृश्य इस चित्र में है। मैं आगे हूँ और वास्तविक वक्ता - मेरे गुरुदेव पीछे !"
गुरु शिष्यों मध्य युगों युगों से अद्भुत संबंध, लीला होती आ रही है।
गुरु पर पूर्ण आस्था उचित कारण अहेतुकि कृपा सदा साथ रही है।।
नारी को प्रतिष्ठित किया विवेकानंद:
एक अंग्रेज ने विवेकानंद जी से प्रश्न किया,
"भारतीय स्त्रियाँ हाथ क्यों नहीं मिलाती हैं?
इसमें कुछ भी नुकसान नहीं है..."
स्वामी विवेकानंद जी ने उत्तर दिया,
"क्या आपके देश में कोई साधारण व्यक्ति
आपकी महारानी (Queen) से हाथ मिला
सकता है???"
अंग्रेज: "नहीं"
स्वामी विवेकानंद: "हमारे देश में हर
एक स्त्री महारानी (Queen) होती है।"
डॉ. कवि कुमार निर्मल
DrKavi Kumar Nirmal
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