नयी और विचित्र कविता | नज्म-ए-जदीद-व-मुन्फरिद New Strange Poetry Hindi
नज्म-ए-जदीद-व-मुन्फरिद
--------------------------------नयी और विचित्र कविता | अजीब ओ ग़रीब शायरी
----------------------------------इन्सान सब मरेंगे जहाँ में यूँ, जैसे कि/ के,
कुछ लोग हाथ धोते हैं अपनी ही जान से!
ये भैंस, भेड़, बकरे, वगैरा हुये शहीद!
शेख-ए-हरम, मुआइना कीजे मचान से!
कुर्बानियां तो देते हैं बकरे,जहान में!
कुर्बान हर बरस यही होते हैं शान से!
कुर्बान कर के जानवरों को, या काट कर,
मोमिन मनायेंगे ये त्योहार शान से!?
कुर्बां किए गए हैं यहाँ लाखों जानवर!?
कुर्बान ये हुनूज किए जा रहे हैं, यार!?
दोनों जहाँ का खालिक-व-मालिक अभी भी क्या!?
खुश है कुरेशियो के इसी काम-काज से!!
कुर्बान, यारो!, जानवरों को किया गया!?!
इन्सानो की बड़ाई हुई इस समाज में!?
बकरीद, ईद जानवरों की है, दोस्तो!!
अब तुम भी अपने नफ्स को मारो, त्याग दो!!
संसार में ये बात भला कौन कहता है!?
बकरीद, मोमिनो की, मुसल्मानो की है ईद!?
बकरो को काट-काट के खुद खाते हैं सभी!?
अब मुफलिसो को गोश्त नहीं देता है कोई!?
ऐसी नियत के लोग जहन्नुम में जायेंगे!!
जन्नत में जाने के, सभी,क्यों देखते हैं ख्वाब!?
हमसाये भूखे-प्यासे रहा करते हैं, जनाब!!
नाजिल हुआ करेंगे मुसलमां पे भी अजाब!!
कुर-आन में लिखा है कहाँ, काटो गायों को ?!
फिर गायों को शहीद किया जा रहा है, क्यों!?
अगले जनम भी मोहे मुसलमां न कीजियो!!
इन्सान कीजियो, कि यूँ हैवां (حیواں) न कीजियो!!
भगवान के जगत में हमें कौन मारेगा!?
हम अपनी मौत आप मरेंगे जहान में!!
सब आदमी मरेंगे खुदा के अजाब से!
कह दीजियो ये बात भी खाना-खराब से!
डाक्टर इन्सान प्रेमनगरी,
द्वारा डॉक्टर रामदास प्रेमी,डॉक्टर जावेद अशरफ़ कैस फैज अकबराबादी मंजिल,डॉक्टर खदीजा नरसिंग होम, रांची हिल साईड,इमामबाड़ा रोड राँची-834001,झारखण्ड
Read More और पढ़ें:
0 टिप्पणियाँ