इंद्र भगवान की आरती इंद्र देव महाराज के भजन Indra Dev Aarti Bhajan Lyrics
भक्ति गीत : इंद्र देवता जल बरसाओ
“क्यों भूल गए भक्तों को इंद्र भगवान,
आज जल के लिए तड़प रहे हैं इंसान।”
इंद्र देवता जल बरसाओ, पानी दो पानी दो,
फट रही धरती, सूख रही खेती, पानी दो!
इंद्र देवता जल बरसाओ………
रो रही हैं नदियां, मर रही हैं ताल तलैया,
अपने दर्द किसे बताए, सारे किसान भैया?
सब गुहार लगा रहे तुमसे, सुन लो पुकार,
बुझाओ प्यास जग की, देवराज पानी दो!
इंद्र देवता जल बरसाओ………..
बुरा हाल है, वन, उपवन और जंगल का,
बहुत बड़ा अंदेशा है, जग में अमंगल का।
जानो प्रभु, कलियों और फूलों की वेदना,
पेड़ पौधे भी बेजान लग रहे हैं, पानी दो!
इंद्र देवता जल बरसाओ…………
हाल देख मौसम का, तड़प रही है मछली,
नाचने लगते मोर, जब छाती थोड़ी बदली।
पानी की आस में निरंतर, जाग रहा जग,
कुंए भी तरस रहे हैं प्यासे, देवा पानी दो!
इंद्र देवता जल बरसाओ…………
सूखा का सामना कर रहे हैं, यू पी बिहार,
जहां जहां सूखा पड़ा, मच रहा है हाहाकार।
जल ही जीवन है, कैसे जी सकते हैं लोग?
सूर्य नारायण को मनाओ, और पानी दो!
इंद्र देवता जल बरसाओ………
प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)
भजन : इंद्र भगवान
सारी दुनिया हो गई है जल मग्न प्रभुजी,
अब तो अपनी वर्षा, रोक लो इंद्र भगवान।
घर डूबे, आंगन डूबे, और डूबे खेत खलिहान,
इस समस्या का आप कर सकते समाधान,
अब तो वर्षा रोक लो……
गलियां नदी बन गईं, सड़के बनी हैं तालाब,
कितने लोग कहां गए, कोई नहीं है हिसाब।
एक तो कोरोना डरा रहा, पल पल हमको,
दूजा वर्षा और बाढ़ ने, मचाया घमासान।
अब तो वर्षा रोक लो……
काम धंधे चौपट सारे, आय हो गई है बंद,
जीवन मृत्यु के बीच, आज चल रहा द्वंद।
क्या करें और कहां जाएं, समझ नहीं पाए,
कष्ट में है आज देवा, हर दीन की जान।
अब तो वर्षा रोक लो……
गांव से शहर तक, दिखाई दे रही तबाही,
कहीं पर बन गया गढ्ढा, कहीं पर खाई।
अपना पानी वापस ले लो, हे देवेंद्र स्वामी,
अब तो सुनो पुकार, बहुत हुआ नुकसान।
अब तो वर्षा रोक लो……
सारी दुनिया हो गई है जल मग्न प्रभुजी,
अब तो अपनी वर्षा, रोक लो इंद्र भगवान।
घर डूबे, आंगन डूबे, और डूबे खेत खलिहान,
इस समस्या का आप कर सकते समाधान,
अब तो वर्षा रोक लो……
गलियां नदी बन गईं, सड़के बनी हैं तालाब,
कितने लोग कहां गए, कोई नहीं है हिसाब।
एक तो कोरोना डरा रहा, पल पल हमको,
दूजा वर्षा और बाढ़ ने, मचाया घमासान।
अब तो वर्षा रोक लो……
काम धंधे चौपट सारे, आय हो गई है बंद,
जीवन मृत्यु के बीच, आज चल रहा द्वंद।
क्या करें और कहां जाएं, समझ नहीं पाए,
कष्ट में है आज देवा, हर दीन की जान।
अब तो वर्षा रोक लो……
गांव से शहर तक, दिखाई दे रही तबाही,
कहीं पर बन गया गढ्ढा, कहीं पर खाई।
अपना पानी वापस ले लो, हे देवेंद्र स्वामी,
अब तो सुनो पुकार, बहुत हुआ नुकसान।
अब तो वर्षा रोक लो……
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
Devraj Indra Aarti Lyrics Hindi
Indra Dev Bhajan Lyrics Hindi
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
नासिक (महाराष्ट्र)/
जयनगर (मधुबनी) बिहार
इंद्र भगवान की आरती भजन लिरिक्स हिंदी Indra Dev Bhajan Aarti Lyrics In Hindi
भक्ति गीत : देवेंद्र तेरी मायादेवेंद्र तेरी माया, बहुत विचित्र लगती है,
कहीं बारिश बाढ़, कहीं धरती जलती है।
तेरे प्रकोप के आगे, लाचार है राजधानी,
वर्षा में सुबह निकलती, शाम ढलती है।
देवेंद्र तेरी माया……
पता नहीं कहां नदी बहती, कहां किनारा,
पानी के आगे, हर इंसान लगता बेचारा।
जहां देखो वहीं पानी, कैसे जीवन बचाएं?
नैया पर सवार होकर, जिंदगी चलती है।
देवेंद्र तेरी माया……
खाने को लोगों के पास, बचा नहीं अनाज,
घर के अंदर बाहर, केवल तेरा ही है राज।
पानी तुम बरसाते, पर नदियां हैं बदनाम,
अब तो प्रभुजी, तेरी अति कृपा खलती है।
देवेंद्र तेरी माया……
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
नासिक (महाराष्ट्र)/
जयनगर (मधुबनी) बिहार
भजन : इंद्र भगवान : अब तो अपनी वर्षा, रोक लो इंद्र भगवान
सारी दुनिया हो गई है जल मग्न प्रभु मेरे,
अब तो अपनी वर्षा, रोक लो इंद्र भगवान।
घर डूबे, आंगन डूबे, और डूबे खेत खलिहान,
इस समस्या का आप कर सकते समाधान,
अब तो अपनी वर्षा ………….
बेमौसम यह बारिश कैसी, हुआ बुरा हाल,
अब भी सोचो और कुछ तो करो ख्याल।
ठंडी हवा का सितम कोई कम नहीं हुआ,
माघ मास, शीत लहर से सारे हैं परेशान।
अब तो अपनी वर्षा ………….
गलियां नदी बन गईं, सड़के बनी हैं तालाब,
कितना नुकसान हुआ, कोई नहीं है हिसाब।
एक तो कोरोना डरा रहा, पल पल सबको,
दूजी तेरी वर्षा ने मचा दिया है घमासान।
अब तो अपनी वर्षा ……….
काम धंधे ठप हुए सारे, रुका आना जाना
सर्दी को सताने का और मिला है बहाना।
क्या करें और कहां जाएं, जानना मुश्किल,
कष्ट में है आज देवा, हर दीन की जान।
अब तो अपनी वर्षा …………
गांव से शहर तक, दिखाई दे रही तबाही,
कहीं पर बन गया गढ्ढा, कहीं पर खाई।
अपना पानी वापस ले लो, हे देवेंद्र स्वामी,
अब तो सुनो पुकार, बहुत हुआ नुकसान।
अब तो अपनी वर्षा ………….
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)
बेमौसम बारिश पर भजन : देवराज तुमने ये क्या कर डाला?
(कविता)
देवराज इन्द्र तुमने ये क्या कर डाला,
बसंत पंचमी दिन छीन लिया उजाला।
जलमग्न कर दी सड़कें और गालियां,
महीनों से सूखा उछाल पड़ा है नाला।
देवराज इन्द्र तुमने……….
नाराज हो गई तुमसे सरस्वती माता,
लगा दिया तुमने अराधना पर ताला।
कहां छुपा लिया था सूर्यदेव को तुमने?
नील नभ में उड़ता सिर्फ बादल काला।
देवराज इन्द्र तुमने………….
कर दिया तुमने हर किसी को परेशान,
भक्तों का तुमने भटका दिया ध्यान।
प्रतीक्षा करती रह गई पूजा की थाली,
देखती रह गई सुंदर फूलों की माला।
देवराज इन्द्र तुमने………….
पूजा में पहुंचाई तुमने बहुत बड़ी बाधा,
मूसलाधार वर्षा के पीछे क्या था इरादा
जैसे कर रखी थी कोई पहले से तैयारी,
जल से भर दिया प्रसाद का हर प्याला।
देवराज इन्द्र तुमने…………
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)
हे इंद्रदेव हमे क्षमा करो बारिश रोकने के लिए इंद्र भगवान से प्रार्थना
हे इंद्रदेव हमे क्षमा करो,
बचा लो हम पर दया करो,
बन्द करो जलप्रलय को अपने,
सांस अधर में फंसाया तुमने।
नदी नाले सब डरा रहे हैं,
रौद्र रूप ये दिखा रहे है,
डूबे घर और डूबी मड़ईया,
भर गए सब ताल तलैया।
सुहावनी ये बरखा रानी,
हुई भयावह किया पानी पानी,
खेत डुबोया फसलें डूबी,
आस प्रभु अब भी नही टुटी।
जलमग्न हुई सृष्टि तुम्हारी,
त्राहिमाम करे दुनिया सारी,
दयादृष्टि करो इस ओर,
हर लो प्रभु विपदा अब मोर।
विजय पांडेय
अयोध्या नगरी, बदलापुर
जमशेदपुर, झारखण्ड
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