Ticker

6/recent/ticker-posts

दिल को छू जाने वाली लगाव शायरी Dil Ko Chu Jane Wali Lagav Shayari

लगाए दिल को किसी के लगाव में रखना: भावनात्मक लगाव पर शायरी Dil Ko Chu Jane Wali Shayari

ग़ज़ल
लगाए दिल को किसी के लगाव में रखना
फ़क़त है ख़ुद को हमेशा तनाव में रखना

बड़ा अजब है ज़माना है कहता इश्क़ इसे
किसी के दिल से दिल अपना मिलाव में रखना

जो सब को खींच ले दीवाना कर के अपनी तरफ़
वो हुस्न अपनी ग़ज़ल के रचाव में रखना

है मेरा मश्विरा थोड़ी सी नर्मी ऐ हमदम
तुम अपनी जिन्से-मोहब्बत के भाव में रखना

पता है जिस में है अख़लाक़ क़ीमती है बहुत
मगर ये पलड़ा हमेशा झुकाव में रखना

न झूमर और न गुलदान की ज़रूरत है
मुझे तो उस को है घर के सजाव में रखना

इस अपने हुस्न के जाहो-जलाल के दम पर
तुम्हें तो सिर्फ़ है आता दबाव में रखना

तू जिस को फ़ैसल-ए-तर्के-क़ुर्ब कहता है
ये तो है सैले-लहू को जमाव में रखना

ज़की तारिक़ बाराबंकवी
सआदतगंज,बाराबंकी,उत्तर प्रदेश

इतनी कशिश है क्यूँ कर मौला पानी में: Dil Ko Chu Jane Wali Shayari

ग़ज़ल
इतनी कशिश है क्यूँ कर मौला पानी में
आख़िर किस का अक्स है उभरा पानी मेंं

यूनुस को मछली ने निगला पानी में
तब भी था अल्ललाह पे भरोसा पानी में

शाही क़िले को राख करेगा जो इक दिन
ऐसा शोअला देखा तैरता पानी में

आया था आँधी के झोंके की सूरत
जिस ने अपना घर है बनाया पानी में

अपना तपता हुआ बदन धोया शायद
लौ का बनता तभी भबूका पानी में

आजा हम भी क़तरा क़तरा फ़रहत लें
सारा आलम है जब डूबा पानी में

उतरा है रौशन चंदा इस में या फिर
उस ने अपना कंगन फेंका पानी मेंं

आओगे कब मेरे जज़ीरे पर हमदम
या फिर तुम को है बस रहना पानी में

आख़िर इस में कौन नहाने आया था
किस ने इतना नश्शा घोला पानी में

अब के बरस सैलाब कुछ ऐसा आया है
डूब गया है सारा असासा पानी मेंं

आओ हम तुम आपस में ज़म हो जाएँ
रंगों का जैसे हो घुलना पानी में

जाने कैसी कैसी है इस में मख़लूक़
यअनी इक आबाद है दुनिया पानी में

आँखों ने इस से पहले देखा ही न था
जाने कैसा मंज़र उभरा पानी में

ज़की तारिक़ बाराबंकवी
सआदतगंज,बाराबंकी, उत्तर प्रदेश

क्या पता था मुझे इस तरहा छलेगी दुनिया : Dil Ko Chu Jane Wali Shayari

क्या पता था मुझे इस तरहा छलेगी दुनिया : Dil Ko Chu Jane Wali Shayari

( ग़ज़ल )
क्या पता था मुझे इस तरहा छलेगी दुनिया
ख़ून ईमान का पी पी के पलेगी दुनिया

मान जा जाने-वफ़ा तू मेरे हमराह न चल
देख कर साथ मेरे तुझ को जलेगी दुनिया

बस ज़रा मुझ को यहाँ से चले जाने तो दें
किस तरह देखना फिर हाथ मलेगी दुनिया

यूँ ही सज धज के मेरी जान तू आ जाया कर
तुझ को ही देख के तो फूले फलेगी दुनिया

जैसे तू इस की अदाओं में समा बैठा है
ऐसे ही क्या तेरे साँचे में ढलेगी दुनिया

शक्ले-मकरूह से इस की मुझे घिन आने लगी
सामने से मेरे कब मौला टलेगी दुनिया

माना महफ़िल में तेरी मेरा नहीं कोई मक़ाम
हाँ मगर मेरी कमी तुझ को खलेगी दुनिया

अच्छा है इस से यूँही दूर रहा कर वरना
गाम दर गाम फ़क़त तुझ को छलेगी दुनिया

जिस तरह मैं ने इसे बख़्शी है रफ़्तार "ज़की"
क्या मेरे बाद भी ऐसे ही चलेगी दुनिया
ज़की तारिक़ बाराबंकवी
सआदतगंज, बाराबंकी, यूपी
Read More और पढ़ें:

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ