निजी नर्सिंग होम ठगा।
कोरोना के भय डालके
पोजेटीव निकाल के।
दनादन उसे भर्ती किया
साठ हजार फीस लिया।
कोरोना के भय डालके
पोजेटीव निकाल के।
दनादन उसे भर्ती किया
साठ हजार फीस लिया।
Private Nursing Home Hospital Shayari - Shayari On Corrupt Dishonest Doctor
नर्सिंग होम
बीमार हुए मेरे सगा
निजी नर्सिंग होम ठगा।
कोरोना के भय डालके
पोजेटीव निकाल के।
दनादन उसे भर्ती किया
साठ हजार फीस लिया।
बीमार हुए मेरे सगा
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कोरोना के भय डालके
पोजेटीव निकाल के।
दनादन उसे भर्ती किया
साठ हजार फीस लिया।
मेडिकल लापरवाही पर कविता
गर बचाना तुम्हें है इसेरोग बताओ कब हुआ?
कोरोना कब प्रहार किया
या इसने किसको छुआ।
डाँक्टर को मैंने सच कहा
यह किधरो निकला नहीं।
घर बैठे लाकडाउँन में
व्याधि तब जकड़ा नहीं।
आया इसे बस चक्कर था
बचते-बचते गिर पड़ा।
हाँ सबकी सुधबुध खो गई
तब मैं था अवाक खड़ा।
झटपट आया उठाकर हूँ
भर्ती यहाँ अभी हुआ।
घर के सारे सदस्य अभी
रब से माँग रहे दुआ।
डाँक्टर बोले समझें असल
दवा कम ही दुआ रहे।
जिन्दगी मौत की जंग है
रब भरोसे तुला रहे।
आ ई सू भर्ती है अभी
कोई घबराये नहीं।
जबतक बिल चिट्ठा दूँ नहीं
बस कोई जायें नहीं।
कब रोगी का क्या हाल है
डाँक्टर जी बोलें अभी।
बिल चिट्ठा तेरे पास हो
स्पष्ट जब बोलें तभी।
तबसे वही वेंडिलेटर है
आ ई सू का चार्ज है।
प्रयास अजी अथक ही किया
डेथ बडी डिस्चार्ज है।
बिल चुकता होगा पूर्ण जब
मिलेगा तब डेथ बडी।
रवैया अचंभित देखकर
सारे लोग डरे तभी।
धन्यवाद।
प्रभाकर सिंह
नवगछिया, भागलपुर
बिहार
यह किधरो निकला नहीं।
घर बैठे लाकडाउँन में
व्याधि तब जकड़ा नहीं।
आया इसे बस चक्कर था
बचते-बचते गिर पड़ा।
हाँ सबकी सुधबुध खो गई
तब मैं था अवाक खड़ा।
झटपट आया उठाकर हूँ
भर्ती यहाँ अभी हुआ।
घर के सारे सदस्य अभी
रब से माँग रहे दुआ।
डाँक्टर बोले समझें असल
दवा कम ही दुआ रहे।
जिन्दगी मौत की जंग है
रब भरोसे तुला रहे।
आ ई सू भर्ती है अभी
कोई घबराये नहीं।
जबतक बिल चिट्ठा दूँ नहीं
बस कोई जायें नहीं।
कब रोगी का क्या हाल है
डाँक्टर जी बोलें अभी।
बिल चिट्ठा तेरे पास हो
स्पष्ट जब बोलें तभी।
तबसे वही वेंडिलेटर है
आ ई सू का चार्ज है।
प्रयास अजी अथक ही किया
डेथ बडी डिस्चार्ज है।
बिल चुकता होगा पूर्ण जब
मिलेगा तब डेथ बडी।
रवैया अचंभित देखकर
सारे लोग डरे तभी।
धन्यवाद।
प्रभाकर सिंह
नवगछिया, भागलपुर
बिहार
हॉस्पिटल में कुव्यवस्था पर शायरी - बेईमान डॉक्टर पर शायरी
वुहान लैब
खेला नफरत खेल
वुहान लैब से तुमने।
बोला प्रकृति प्रकोप
उछल उछल चीन तुमने।
झूठा दस्तावेज
किया पेश जगत में तू।
मानव का हो नाश
सोच यही दिखाया तू।
कोई जगत में नहीं रहे
किसे कहेगा बाप रे।
मानव अहित नहीं सोच तू
तुझे पड़ेगा श्राप रे --2
धन्यवाद।
प्रभाकर सिंह
नवगछिया, भागलपुर
बिहार
खेला नफरत खेल
वुहान लैब से तुमने।
बोला प्रकृति प्रकोप
उछल उछल चीन तुमने।
झूठा दस्तावेज
किया पेश जगत में तू।
मानव का हो नाश
सोच यही दिखाया तू।
कोई जगत में नहीं रहे
किसे कहेगा बाप रे।
मानव अहित नहीं सोच तू
तुझे पड़ेगा श्राप रे --2
धन्यवाद।
प्रभाकर सिंह
नवगछिया, भागलपुर
बिहार
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