बहुत मगरूर है दुनिया
भरोसा तोड़ देती है
कभी वो साथ चलती है
कभी वो छोड़ देती है
बहुत मगरूर है दुनिया
भरोसा तोड़ देती है
कभी वो साथ चलती है
कभी वो छोड़ देती है
इसे भी क्या कहें साहब
मेरे टूटे हुए दिल को
मोहब्बत जोड़ देती है
भरोसा तोड़ देती है
कभी वो साथ चलती है
कभी वो छोड़ देती है
गुरूर और घमंड पर शायरी - भरोसा तोड़ देती है शायरी
ग़ज़लबहुत मगरूर है दुनिया
भरोसा तोड़ देती है
कभी वो साथ चलती है
कभी वो छोड़ देती है
मगरूरियत शायरी - इतराने पर शायरी
ग़ज़ब का ये करिश्मा हैइसे भी क्या कहें साहब
मेरे टूटे हुए दिल को
मोहब्बत जोड़ देती है
मोहब्बत में गुरूर पर शायरी
ये डोरी प्रेम की ऐसीजरा बंधकर तो तुम देखो
घड़ा नफरत का जो भी है
इसे वह फोड़ देती है
सफ़र में जो भी मुश्किल है
उसे परवाह नहीं करते
अगर दिल में जो ताकत है
सफ़र को मोड़ देती है
घमंडी आदमी पर शायरी - गुरूर स्टेटस इन हिंदी
सियासत आजकल ऐसीबदल जाती है पलभर में
कभी जब जिद पर आती है
तो दामन छोड़ देती है
डॉ मीना कुमारी परिहार
गुरूर और घमंड पर एक मुक्तक
कभी कोई मजबूर भी था यहाँ
कभी कोई मगरूर भी था यहाँ,
जो कहते थे क्या साथ जाना है,
खजाना उनका ही अकूत था यहाँ।
सुखमिला अग्रवाल भूमिजा
मुम्बई
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