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गुज़रे ज़माने पर शायरी - अतीत पर शायरी - Guzre Zamaane Par Shayari

अतीत की आवाज़
गुज़रे ज़माने का ख़ामियाज़ा
भला कैसे चुकाओगे।
गुनाह किया तो चेत ही
सुकून पाओगे।।

अतीत पर शायरी, मुश्किल दौर पर शायरी, वक्त और हालात पर शायरी

अतीत की आवाज़
गुज़रे ज़माने का ख़ामियाज़ा
भला कैसे चुकाओगे।
गुनाह किया तो चेत ही
सुकून पाओगे।।
गुज़रा सब भुला या रब,
गले लगा मौजूदा हालात को।
मन को साद न कर साहेब,
मत दोहरा काली किताब को।।
समय की आवाज़ पकड़,
रख नहीं पाया प्यार को।
बुरे वक़्त पर चाह कर,
बुला न पाया अहबाब को।।
मयपन में ढुंढता रहा,
बरबाद अपने प्यार को।
बचपन से ही चाहा-
बेशर्त अपनो के प्यार को।।
साज बिन गुनगुना
पुकारा प्यार को।
तसल्ली से इश्के इज़हार कर,
बहला रूठे हुए प्यार को।।
होश बचपन का याद कर,
आजादी बेहिसाब मस्ती थी।
उम्र बढ़ी- फ़रेब-जंजाल कर,
मँझधार में फँसी किश्ती थी।।
अंगड़ाई जवानी की गज़ब
शरारत- हदों के पार थी।
जवानी में गुस्ताख़ी,
गुनाहों की मोटी किताब थी।।
दौर-ए-शबाब जब
दलहीज पर दस्तक दी।
ग़ुस्सा-गुरूर-तुनकमिज़ाजी
पुरजोर आवाज़ दी।।
खुले आकाश में ऊँची
उड़ान पर मन जब जाए।
अपनों को लम्हा - लम्हा
निहार नखड़े-नाज़ दिखाए।।
किसी को अनजान-
पराया कभी कह न पाए।
बादल बन कर
शबाब बरसा कर रिझाए।।
खासमखास बन,
अजिज़ हमराज बन जाए।
मोहब्बत का माइने समझ,
सबको सबब बता पाए।।
प्यार से हो सराबोर,
नेह करना इबादत है।
प्यार करना नेकी धरम,
इल्तज़ा शिकायत है।।
न सोच- मंज़िल तक जा,
रिश्ता निभाना फितरत है।
नुरानी मुहब्बत कर गुजर,
खुदा तक जाती हर राह है।।
प्यार में सबकुछ लुटा,
नेह जिंदगी का मुक़ाम है।
प्यार कर हो जाना एक;
बंदों का दस्तूर रिवाज़ है।।
खुदा से मुहब्बत कर,
अगर जन्नत ख्वाब है।
प्यार कर जीना सीख,
नफ़रत से जीना दुस्वार है।।
गुज़रा अतीत सब भूला,
अच्छा मुस्तक़बिल इंतजार है।
अतीत की आवाज़ में,
छुपा बेइंतहा प्यार है।।
डा. कवि कुमार निर्मल
7209833141

समय पर शायरी - वर्तमान हालात पर शायरी

Waqt Shayari Photo - Guzre Zamane Par Shayari Image

Waqt Shayari Photo - Guzre Zamane Par Shayari Image

अतीत की आवाज़ कविता - अतीत की यादें शायरी

अतीत की आवाज
किसी ने सुनी है?
अतीत की आवाज
हां! मैंने सुनी है।
मन क्या सोचता है
क्या चाहता है।।

ये कोई नहीं जानता
सिवाय इस मन के
भीतर से दरवाजा
बंद कर दिया गया है।
कैसे जानेगा
आपके अतीत को
बहुत जनम लेंगे
तभी संभव हो
अतीत की आवाज
सुन पाना है।।

क्या-क्या हुआ तुम्हारे साथ
इस जहां में और
फिर जाना तो है।।

कुछ पुरानी यादें शायरी

एक ना एक दिन
करम अच्छे करो
तो अच्छा फल पाओगे।
नहीं तो यहीं भोग के जाओगे।।
खाली हाथ आया था खाली हाथ जाना है
क्या लेकर आया तूं
क्या दिया तूने जहां को?
चाहत जो तेरी
पुरी होगी यहां।
मत लगा उम्मीदें
जिससे लगाके बैठा
नहीं रहेगा वहां।।
पुष्पा निर्मल।
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