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ज़माने के वक्त और हालात पर शायरी - Zamane Ke Waqt Halat Par Shayari

Zamane Par Shayari ज़माने पर शायरी - हालात पर शायरी

ग़ज़ल
खुश नहीं है कोई ज़माने में।
हंस रहे लोग बस दिखाने में।।

पूछता हाल आज जब कोई।
हिचकते लोग सच बताने में।।

जान अपनी सभी को प्यारी है।
डर रहे लोग आने - जाने में।।

ग़म नहीं था थे हाथ में पैसे।
चुक गये भूख को मिटाने में।।

रिंग किया अपनी कुछ सुनाएंगे।
लग गये अपनी वो सुनाने में।।

कुछ दया कर रहे गरीबों पर।
और कुछ हैं लगे भुनाने है।।

कब तलक ये करोना जाएगा।
सभी असमर्थ हैं बताने में।।
कवि सिद्धनाथ शर्मा सिद्ध
इस ज़माने के हालात देखकर,
कहानियां दर्द की लिखता हूँ मैं
देखी न जाती है बेबसी मुझसे,
उसी बेबसी पर सोचता हूँ मैं

वक्त और हालात पर शायरी - आज के दौर पर शायरी - समय के बदलाव पर शायरी

कहानियां दर्द की
(मुक्तछंद काव्य रचना)
इस ज़माने के हालात देखकर,
कहानियां दर्द की लिखता हूँ मैं
देखी न जाती है बेबसी मुझसे,
उसी बेबसी पर सोचता हूँ मैं
कहीं पर है यहाँ हर रोज दिवाली,
कहीं पर है मायुसी का छाया अंधेरा।
ये कैसा तकदीर का खेल है निराला,
जहाँ बरसों से हुआ ही नहीं है सवेरा।
बीत गये आज़ादी के कितने साल,
फिर भी है कई जिंदगियां यहाँ बेहाल।
आज भी है यहाँ बहुत सारे भूखे नंगे,
ना है कपड़ा ना है पेट खुशहाल
बढ़ गई आबादी, कम है रोजगार,
रोटी के लिए भी है यहाँ मारामार।
उन्नति की वो सुखी बहती गंगा,
कहने के लिए होती है हर बार
महंगाई की आग में ऐसे ही जलकर,
कई जिंदगियां यहाँ खत्म हो रही है।
कुछ हंसती है जिंदगियां महलों में,
और किसी के सिर पर सिर्फ वो खुला अंबर है।
क्या लिखूं मैं यहाँ महलों के ठाटबाट?
वहां तो हर दिन रोशनी की जगमगाहट है।
ये कैसी है दास्तां ए जिंदगी बेबसी की,
उसी बेबसी पर दिल ये अश्क बहाता है।
प्रा.गायकवाड विलास
मिलिंद क.महा.लातूर, महाराष्ट्र
8605026835

वक्त और हालात शायरी Waqt Aur Halaat Shayari

वक्त और हालात मिल
ऐसी चाल चलते हैं...

टूटे दिल किसी का तभी
नायाब शायर मिलते है।।

शब्दों के बाण संग वो बस
अपने जख्म सिलते है।।

बन जाते जब वो शायर
पहचान पा फूल से खिलते हैं।।
वीना

मुश्किल दौर पर शायरी - अतीत पर शायरी - नए जमाने की शायरी

ज़माने के वक्त और हालात पर शायरी फोटो - Zamane Ke Waqt Halat Par Shayari Image
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