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बसंतपंचमी और गणतंत्र दिवस : हिंदी कविता Basant Panchmi aur Ganatantra Divas Hindi Kavita

बसंतपंचमी और गणतंत्र दिवस : हिंदी कविता

बसंतपंचमी और गणतंत्र
बहुत बड़े आज हर्ष की बात,
बसंतपंचमी गणतंत्र एक साथ।
भारती माता सरस्वती माता,
संग मिलकर मिलाई हैं हाथ।।
एक तरफ सरस्वती वंदन होगी,
सरस्वती माँ के लगेंगे जयकारे।
दूसरे तरफ फहरेंगे ध्वज तिरंगे,
लगेंगे जय भारत माता के नारे।।
सुन्दर जयकारे नारे नभ गूँजेंगे,
छुपे चन्द्रमा सितारे भी सुनेंगे।
देवलोक से होगी पुष्पों की वर्षा,
पुलकित हो हमारे हृदय खिलेंगे।।
विजयी रहा है विजयी ही रहेगा,
प्रेमत्व अमृतधारा फिर से बहेगा।
बढ़ेगा शान तिरंगे की ही हमारी,
भारत को विश्वगुरु विश्व कहेगा।।
पावन सदा ही रहा है यह भारत,
देवलोक से देव भी पधारते हैं।
पैदा होते जितने दुष्ट नीच दानव,
इसी धरा पर आ उन्हें मारते हैं।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )
बिहार।

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