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गांव के हालात : गांवो में जिस तरह हो रहा है अलगौजी

गांव के हालात : गांवो में जिस तरह हो रहा है अलगौजी

गांवो में जिस तरह हो रहा है अलगौजी
दशको से जो व्यवहार बदले है भैया भौजी

उन सब विषयो पर कुछ कहने से शायद आ जाये आप सबको नाराजगी और गुस्सा
फिर भी मै जरूर कहना चाहूँगा कि चलो परदेशी भाईयों अप्रैल में गांव ढोने को भूस्सा

माल मवेशी तो अब गांव में भी नही रहे फिर भी भूसा बिकता है महंगा
साड़ी के पहनावे में भी दखंलदाजी कर लिया मैक्सी व चनिया चोली लहंगा

भूसा जला दिया जाता ढोने के आलस से पुअरा सङा दिया जाता खेत मे
मिस्डकाॅल मार के देवर का हाल चाल पूछ लिया जाता शिष्टाचार के लाग लपेट में

खूँटातोड़, बटाई के खेत से जब मिलता ही रहता आधा
फिर कम से कम एक गाय पालन में है कौन सा बाधा

कम से कम उसी के देखभाल में खेलना छूट सकता है खेल तास का
समय पर भोजन आहार मिलता रहेगा शुद्ध दूध के साथ फिर भागेगा बीमारी बताश का

चुंकि भूसा में तो गुण बहुत है जो कच्चे आम को बना देता है पका आम
फिर ऐसे गुणवान को जरूरत ही क्या है खेत में जलाने की इसके तो मिलने चाहिए मुहमांगा दाम

चलना है तो चलो रे बंधु देख लो मजा तनिक ठ्रेसर का
एक कलछुल घुघुनी पर एक कटियां ताड़ी जो कंट्रोल कर देता है ब्लड प्रेशर का

इसलिए चलने को तनिक मत करो देरी रे भाई नही तो दे दो मुझे दोनो तरफ का किराया
तीन महीने बाद जब उधारी वापस करूँगा तब यह मत पछताना कि खूँटातोड़ भाई ने केवल भूसा बेंचकर ही सबका कर्जा लेनदेन चुकाया

रचनाकार :कवि खूँटातोड़
Gaon Ke Halat Par Hasya Vyangya
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