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प्रेम के कई चेहरे : प्रेम शायरी कविता गीत Prem Shayari Kavita Geet Poetry Hindi

प्रेम के कई चेहरे : प्रेम शायरी कविता गीत Prem Shayari Kavita Geet Poetry Hindi

प्रेम के कई चेहरे
प्रेम के कई चेहरे : प्रेम शायरी कविता गीत Prem Shayari Kavita Geet Poetry Hindi

(कविता/काव्य गीत)
प्रेम के कई चेहरे हैं, जानता सारा जहान,
जो जानता है इसे, है वही असली इंसान।
सबके वश की बात नहीं है कि जान सके,
सिर्फ प्रेमी को ही होती है इसकी पहचान।
प्रेम के कई चेहरे………….
चेहरे पर प्रेम को, हर कोई नहीं पढ़ पाते,
इसके लिए जरूरी है, प्रेम ग्रंथ का ज्ञान।
प्रेम हृदय में, अनुभव करने की चीज है,
चेहरे पर कभी आंसू, तो कभी मुस्कान।
प्रेम के कई चेहरे………….
प्रेम का कोई भी चेहरा सुंदर हो ना हो,
परंतु हर चेहरे पर होते हैं कुछ निशान।
हर रिश्ते के साथ, प्रेम जुड़ा हुआ होता,
हर रिश्ते का चेहरा, करता इसे बखान।
प्रेम के कई चेहरे………….
कोई भी असली प्रेमी, चेहरे पे नहीं जाता,
चेहरे से ज्यादा, दिल का होता है स्थान।
प्रेम के हर चेहरे पर, मासूमियत होती है,
हर चेहरा तैयार रहता है, होने को कुर्बान।
प्रेम के कई चेहरे…………
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)

कवि कुमार निर्मल

तुम्ही मेरे गीत हो : प्रेमिका के लिए प्रेम कविता Premika Ke Liye Kavita

तुम्ही मेरे गीत हो,
तुम्हीं मेरी कविता।
तुम्ही राग हो,
तुम्ही काव्य सरिता।

तुम्हारे बिना,
जीवन कहाँ है?
तुम्हारे लिये,
ये जीवन मिला है।

तेरे नाम की,
जपूं मैं माला।
दिया है जीवन,
क्यों रहूँ आधा?

कान्हा समाया मुझमें,
तुम राधा समा लो।
निधिवन में आज,
रास रचालो।

तुम्ही मेरे गीत हो,
तुम्हीं मेरी कविता--
डॉ. कवि कुमार निर्मल
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