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सरदार वल्लभ भाई पटेल पर कविता Poem on Sardar Vallabhbhai Patel in Hindi

सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती पर कविता | Sardar Ballabh Bhai Patel Poem

सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती और राष्ट्रीय एकता दिवस के अवसर पर प्रस्तुत है हिंदी में लिखी हुई बेहतरीन कविताएं!

राष्ट्रीय एकता दिवस : सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती पर विशेष कविता

राष्ट्रीय एकता दिवस
(कविता)
“भारत माता के महान् सपूत लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल जी को उनकी पावन जयंती पर कोटि कोटि नमन एवं विनम्र आदरांजलि”
बड़ी प्रेरक और सुंदर है, राष्ट्रीय एकता दिवस की कहानी,
चाहे कितने भी युग बदले, यह कभी भी हो सकती नहीं पुरानी।
इस दिवस को मनाकर, देश सम्मान देता है, लौह पुरुष को,
उनकी ही कोशिशों का परिणाम है, अखंड भारत की निशानी।
31 अक्टूबर 1875 को, नाडियाड, गुजरात में उनका जन्म हुआ,
झवेरभाई पटेल उनके पिता थे, लाडवा देवी उनकी माता रानी।
बड़ी प्रेरक और सुंदर है………….
सामान्य परिवार था, जैसे तैसे स्थानीय स्कूलों में शिक्षा हुई,
अभावों और गरीबी में, बीताई है उन्होंने अपनी जिंदगानी।
अपने भविष्य की परवाह किए बिन, कूदे वे आजादी रण में,
जेल गए, यातनाएं सहीं, लौह जैसे थे वे मर्द हिन्दुस्तानी।
बड़ी कुर्बानियों के बाद देश आजाद हुआ, तो टुकड़ों में बंटा था,
साढ़े पांच सौ से ज्यादा रियासतों को, थी जोड़ने की परेशानी।
बड़ी प्रेरक और सुंदर है………….
भारत रत्न सरदार वल्लभ भाई पटेल ने, इसका वीरा उठाया,
खत्म कर दी, स्वतंत्र रहनेवाले राजे रजवाड़ों की हर कहानी।
स्वतंत्र भारत को सरदार साहेब ने, एकता के सूत्र में बांधा,
उनके आगे नहीं चली, स्वतंत्र रहनेवालों की कोई मनमानी।
उनके 145वें जन्म दिवस पर कोटि कोटि नमन है उनको,
स्टैचू ऑफ यूनिटी केवाडिया, गुजरात में है,
निशानी आसमानी।
बड़ी प्रेरक और सुंदर है……………
थी पत्थर सी उनकी मांस पेशियां, और लोहे से भुजदण्ड,
अनंत काल तक दीवाना रहेगा, साबरमती व गंगा का पानी।
हिमालय सा ऊंचा मन था उनका, सागर सा गहरा दिल,
15 दिसंबर 1950 को स्वर्ग सिधारे, देकर
एकता की निशानी।
दृढ़ता, निर्भीकता और साहस की मिसाल थे, सरदार पटेल साहब,
उनके बुढ़ापे के आगे, सर झुकाती व हाथ जोड़ती थी जवानी।
बड़ी प्रेरक और सुंदर है………
 सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)

पटेल सच्चे वीर सेनानी थे : सरदार वल्लभ भाई पटेल को भाव प्रसून समर्पित

पटेल सच्चे वीर सेनानी थे
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पटेल सच्चे वीर सेनानी थे।
भारत की सारी कहानी थे।।

थे निडर भारत माता के सेवक।
थे अडिग अंग्रेजों के संबाधक।
दुश्मन थर-थर कांपा करते थे।
थे राजनीति के प्रबल संबंधक।
सरदार युवा शक्ति की बानी थे।
पटेल सच्चे वीर सेनानी थे।

भाई स्वतंत्रता के लिए लड़े थे।
आजादी के नूतन पृष्ठ गढ़े थे।
झुके नहीं रुके नहीं बढ़े लक्ष्य पर।
थप्पड़ बर्बरता के गाल जड़े थे।
बल्लभ जी पानीदार पानी थे।
पटेल सच्चे वीर सेनानी थे।

मनुष्य को प्रसन्न रहना चाहिए।
हमें मुस्कुराते रहना चाहिए।
अद्वितीय नारे दिए पटेल ने।
हथौड़े को ठंडा रहना चाहिए।
अखंड भारत की निशानी थे।
पटेल सच्चे वीर सेनानी थे।

गांधी जी ने लोह पुरुष कहा।
 जनमानस ने सरदार कहा।
गुजरात प्रांत धन्य-धन्य हुआ।
भारत ने सर्वोच्च नागरिक कहा।
निर्भय योद्धा स्वाभिमानी थे।
पटेल सच्चे वीर सेनानी थे।

अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति से।
पावन वसुंधरा की भक्ति से।
खेड़ा संघर्ष याद आज भी।
झुकाया अंग्रेजों को युक्ति से।
भारत रत्न को दृश्य जवानी थे।
पटेल सच्चे वीर सेनानी थे।
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मैं घोषणा करता हूं कि यह रचना मौलिक स्वरचित है।
भास्कर सिंह माणिक, कोंच

लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती पर कविता

सरदार वल्लभ भाई पटेल
लौह पुरुष
तुम सबके प्यारे थे मतवाले थे,
हिंदोस्ता के अनोखे राजदुलारे थे।

सरदार वल्लभ भाई पटेल जन्मे,
उस रोज धरा के वारे न्यारे थे।

तुम्हारे लौह दृढ़ संकल्पो के आगे,
तब सब दुश्मन तुमसे हारे थे।

एक सूत्र में सब रियासतें पिरोयी,
जिनके अलग अलग किनारे थे।

क्या नवाब थे क्या देश के गरीब,
तुम निष्पक्ष सबके ही रखवारे थे।

बारडोली में जब पराजित गोरे,
वाह क्या जवाब तुम्हारे ‌करारे थे।

हिंद जिससे चमचम चमक रहा,
तुम जगमग ऐसे एक सितारे थे।

स्टेच्यू ऑफ यूनिटी सम्मान तुम्हें,
भारत वासियों के सच्चे सहारे थे।
सोनिया, गाजियाबाद

सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती और राष्ट्रीय एकता दिवस पर कविता

सरदार वल्लभ भाई पटेल
हे भारत मां,नमन तुम्हें है,स्वागत बारंबार,
धन्य तुम्हारी मिट्टी मैया, शक्ति अपरंपार।
तेरी मिट्टी से पनपे जो,एकता के अवतार,
जग कहती उनको हे मैया, लौहपुरूष सरदार।

नडियाड में जन्म लिये, थे साहस का हीं रूप,
डरते नहीं किसी से थे वो,छांव रहे या धूप ।
वीरता और साहस के किस्से,थे प्रसिद्ध जहां में,
नाम किया हर क्षेत्र में उनसे,गोरे थर-थर कांपे।

गांधी बाबा के वो प्यारे,किसानों के थे दूत,
दृढ़ था निश्चय, अटल प्रतिज्ञा, विचारों से वो शुद्ध।
बारदोली के सच्चे नायक, भारत के सरदार,
नमन तुम्हें हे राष्ट्र -विधाता,देश के तारणहार।

सभी रियासत एक किये वो,साम-दाम-दंड-भेद से,
भारत का सम्मान बढा़ये,लड़ते रहे अंग्रेज से।
शिल्पकार भारत के सच्चे, करता हूँ गुणगान,
आया है न आयेगा, तुमसा अब कोई महान।
---प्रीतम कुमार झा
महुआ, वैशाली, बिहार

सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती पर कविता

विषय—सरदार वल्लभ भाई पटेल
शीर्षक: मिलजुल कर रहना

हिमालय से भी ऊंचा जिनका मनोबल है,
ऐसे वीर वल्लभ भाई पटेल को मैं नमन करती हूँ।

किसानों के हित में जिसने आंदोलन का नेतृत्व किया,
ऐसे दृढ़ प्रतिज्ञ हृदय सरदार वल्लभ भाई जी!को मैं स्मरण करती हूँ।

जिनकी जन्मतिथि राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में 31 अक्टूबर को मनाया जाता है,
मैं ऐसे लौह पुरुष की वंदना करती हूँ।

जिसने दिया जन को संदेश
भारत के लोग मिलजुल कर रहना,
ऐसे भारत मां के सपूत को चेतना श्रद्धा सुमन अर्पित करती है।
(मौलिक रचना)
चेतना चितेरी, प्रयागराज
Sardar Vallabhbhai Patel Photo

सरदार वल्लभ भाई पटेल को नमन, जयंती पर कविता

कविता
देश के थे सरदार
कर रहा हूँ नमन उस लौहपुरुष को,
जो देश के थे सरदार,
देश को बांधा एकसूत्र में,
काम किये अनुपम, असरदार।

गर होते ये पधानमंत्री हमारे,
नहीं करते विभाजन स्वीकार,
नहीं झेलता देश दंश इतना,
नहीं करता चीन प्रहार।

रहेगी तेरी विश्व में जय जय,
जबतक रहेगा यह सूर्य, संसार,
रहोगे तुम हमसब के दिलों में।
करते रहेंगे हमसब तुम्हें प्यार।
अरविन्द अकेला
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