बचपन का प्यार लघु कथा | Bachpan Ka Pyar : Short Hindi Story
बचपन का प्यार लघु कथा
श्याम एक साफ्टवेयर कंपनी में जनरल मैनेजर है। वह किसी फ़ाइल में व्यस्त था। तभी चपरासी अंदर आकर बोलता है सर! एक मैडम आपसे मिलना चाहती है। भेज दो यह कहकर वह फ़ाइल में व्यस्त हो जाता है। तभी मैं अंदर आ सकती हुँ सर एक मीठी सी आवाज सुन श्याम ने कहा आइये। एक लगभग अठाईस साल की खूबसूरत लड़की ने आफिस में प्रवेश किया। श्याम की नजर जैसे ही उस पर पड़ी वह चौंक गया बोला अरे सीमा तुम लड़की भी चौंक गई श्याम तुम हां मैं इस कंपनी में जनरल मैनेजर हुँ! कहकर बोला बैठो सीमा सामने कुर्सी पर बैठ गई। और एक लिफाफा उसकी तरफ बढ़ाते हुए। बोली मेरा भी इस कंपनी में आन लाइन चयन हुआ है! श्याम ने लेटर पर एक नजर डाली और घंटी बजाकर चपरासी को बुलाया दो कप चाय और कुछ स्नैक्स लाने को कहा। सीमा से बोला तुम बेंगलौर कब आई अंकल आंटी कैसे है? और अभी कहां हैं? मैं आज ही सबेरे बैंगलौर आई हुँ! पापा मम्मी इलाहबाद में बस ठीक ही है। अपना बताओ कैसे हो पापा मम्मी कैसी हैं और कहां है? मुझे तो तुम देख ही रही हो पापा मम्मी मेरे साथ बैंगलौर में ही हैं! शाम को तुम्हें उनसे मिलाने ले चलूंगा! बहुत खुश होंगे तुम्हें देखकर! तभी चाय ओर कुछ नमकीन आ गई दोनों ने चाय का कप उठाया और श्याम बोला और बताओ तुम्हारी शादी हो गई नहीं। सीमा बोली और तुम्हारी नहीं जब तुम्हारी शादी नहीं हुई तो मेरी कैसे हो सकती है। दोनों की आंखे नम थी और खुशी भी थी। श्याम की आंखो के सामने बीती जिंदगी चलचित्र की तरह तैरने लगी।
बचपन का प्यार लघु कथा
श्याम और सीमा इलाहबाद के एक मोहल्ले में रहते थे। दोनों बचपन के साथी थे। एक ही स्कूल और दोनों एक ही क्लास में पढ़ते थे। दोनों लगभग हमउम्र थे। दोनों स्कूल से कालेज तक साथ ही पढ़ें। बचपन की दोस्ती धीरे धीरे प्यार में बदल गई। दोनों एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे। दोनों ने शादी करने का फैसला कर लिया था। सीमा बड़ी हो गई तो उसके माता पिता उसके लिये लड़का खोजने लगे। कई लड़के देखे पर सीमा बहाना बनाकर टाल देती। सीमा ने श्याम से कहा घर वाले शादी के लिये दबाव डाल रहे हैं तुम कोई उपाय लगाओ की हमारी शादी हो जाए। मुझे डर भी लगता है पापा तुमसे मेरी शादी के लिए राजी नहीं होंगे मैं क्षत्रिय राजपूत परिवार से और तुम पंडित ब्राह्ममण हो। पापा इस मामले में जिद्दी हैं अंतर्जातीय विवाह के पक्ष में नहीं हैं सीमा बात तो ठीक है, परंतु मैं अपने पापा से बात कर तुम्हारे घर पापा से शादी की बात करने जल्द ही भेजूंगा। मैं तुमसे वादा करता हुँ शादी तुमसे ही करूंगा नहीं तो शादी ही नहीं करूंगा। श्याम मैं भी तुम्हारे सिवा किसी से शादी नहीं कर सकती।
बचपन का प्यार लघु कथा
कुछ दिन बाद श्याम के पिता सीमा के घर शादी की बात करने गए। उन्होंने साफ मना कर दीया श्याम के पिता ने बहुत समझाया वो नहीं माने उन्हें जलील भी किया। सीमा ने श्याम से कोर्ट मैरिज करने के लिये कहा तो श्याम बोला शादी तो मैं तुम से ही करूंगा पर तुम्हारे घर वालो की रजामंदी से चाहे मुझे कितना भी इंतजार क्यों ना करना पड़े। सीमा के पिता ने श्याम को भी बहुत डांटा और साफ मना कर दीया। श्याम इलाहबाद छोड़कर बैंगलौर आ जाता है। ये बात लगभग पांच साल पुरानी थी। आज इतने दिन बाद सीमा को देख रहा था। ऑफिस की छुटी के बाद सीमा कोअपने घर पापा मम्मी से मिलाया वे बहुत खुश हुए जब सीमा ने बताया की पापा बाद में शादी को मना कर बहुत पछताए। श्याम के पिता ने सीमा से उसके पापा का नंबर लिया ओर फोन लगाया और श्याम की शादी सीमा से करने का आग्रह किया। सीमा के पिता बहुत खुश हुए और हां कर दी बोले मैं जल्द ही बंगलौर। आकर दोनों की शादी करवा दूंगा सीमा और श्याम दोनों बहुत खुश हुए उन्हें उनके बचपन का प्यार मिल गया। सच्चा प्यार ऐसा ही होता है ईश्वर दोनों को जरूर मिलाता है।
स्वरचित ..निर्दोष लक्ष्य जैन
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