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विश्वकर्मा भगवान की आरती | बाबा विश्वकर्मा के भजन Vishwakarma Ji Ki Aarti Bhajan

भक्ति गीत : विश्वकर्मा बाबा हो


“आप सभी मित्रों, साथियों एवं सभी औजार चलानेवाले भक्तों को भगवान विश्वकर्मा पूजा अर्चना के शुभ अवसर पर ढेर सारी हार्दिक शुभकामनाएं एवं अशेष बधाईयां।”

विश्वकर्मा बाबा हो, सुन लो हमारी पुकार,
रुके नहीं, टूटे नहीं कारीगरों के औजार।
भक्त तुम्हारे, बहाते अपना खून पसीना,
प्रभु पूजा अर्चना हमारी कर लो स्वीकार!
विश्वकर्मा बाबा हो………..

जबतक हो तुम प्रभु हम सेवकों के साथ,
कोई नहीं बिगाड़ सकता देव हमारी बात।
तेरी भक्ति में लीन लगती दुनिया सारी,
चारों तरफ हो रही है तेरी जय जयकार।
विश्वकर्मा बाबा हो…………

काम हमारा छूटे नहीं, तुम कभी रूठे नहीं,
तेरी कृपा रहे, भाग्य किसी का फूटे नहीं।
तेरा नाम जपते जपते मन नहीं भर रहा,
अपने चरणों में देना हमें मौका एक बार।
विश्वकर्मा बाबा हो……….

समय समय पर रास्ता हमको दिखलाना,
अपनी कृपा नीर से भक्तों को नहलाना।
तेरे सिवा कोई नहीं है हमारा दुनिया में,

तेरी छांव में जी रहे, हम सारे कामगार।
विश्वकर्मा बाबा हो………..
प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)


विश्वकर्मा जी के भजन | विश्वकर्मा भगवान के भजन | विश्वकर्मा जी की आरती

भक्ति गीत : हे देव विश्वकर्मा
देना भक्तों पर ध्यान, हे देव विश्वकर्मा!
विघ्न में फंसे निर्माण, हे प्रभु विश्वकर्मा!
जब से कोरोना ने जग में, डेरा है डाला,
लोग हो गए परेशान, हे देव विश्वकर्मा।
देना भक्तों पर ध्यान……
बंद पड़ गए हैं लोगों के कल कारखाने,
जग में लगते हैं अपने, हो गए बेगाने।
रुका नहीं नुकसान, भगवान विश्वकर्मा,
मौसम हुआ बेईमान, हे प्रभु विश्वकर्मा!
देना भक्तों पर ध्यान……
जग के सारे कारीगर लगते, दास तुम्हारे,
सारे ही निर्माण कार्य चलते हैं तेरे सहारे।
लौटा दो पुरानी पहचान हे प्रभु विश्वकर्मा,
हमेशा करेंगे गुणगान, हे देव विश्वकर्मा!
देना भक्तों पर ध्यान……
सबसे पहले भगवन, कोरोना को भगाओ,
अपनी कृपा बरसाओ और अलख जगाओ।
करो समस्या का समाधान, मालिक धर्मा,
तुम हो हम सबकी शान, प्रभु विश्वकर्मा!
देना भक्तों पर ध्यान……
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
नासिक (महाराष्ट्र)/
जयनगर (मधुबनी) बिहार

विश्वकर्मा भगवान की आरती Vishwakarma Bhagwan Ki Aarti

17 सितंबर विश्वकर्मा पूजा
सृष्टि रचयिता ब्रह्मा का रूप दूजा।
विश्वकर्मा की विश्व में हो रही पूजा।।
प्रसन्नता की बारिश करा रहा अंबर।
विश्वकर्मा पूजा हेतु आज 17 सितंबर।।
शिवशंकर शंभू भोले का अभिशाप।
ब्रह्मा कहीं भी नहीं पूजे जाएँगे आप।।
किंतु पूजे जाएँगे आप निज दूजे रूप।
पूजन महोत्सव होंगे 17 सितंबर अनूप।।
विश्व में प्रचलित होंगे विश्वकर्मा के नाम।
कारखानों के पूजन अद्भूत होंगे काम।।
प्रसन्नचित्त आपको प्रसन्न करेंगी जनता।
सृष्टि से ले हर दृष्टि में आप बड़े अभियंता।।
पूजा होंगी उत्सव महोत्सव होंगे भारी।
कव्वाली आर्केस्ट्रा दो गोला की तैयारी।।
कहीं बँटे प्रसाद मिष्ठान्न कहीं होता भोज।
प्रसन्नता के इस आलम में होता नहीं ओज।।
विश्वकर्मा के कारण बनते चलते कारखाने।
मालिक को आशीष मजदूरों को मिलते दाने।।
अरुण दिव्यांश, की मौलिक रचना
9504503560
Vishwakarma Ji Ka Photo - विश्वकर्मा जी का फोटो

विश्वकर्मा जयंती Vishwakarma Jayanti

सदियों से भारतीय संस्कृति में
जिंदा है रीति - रिवाज, त्यौहार
परंपराओं से
मना रहें आज हम
विश्वकर्मा जयंती पर्व
घर - बाहर, देश के आयुध भंडारों,
कल कारखानों और मंचों पर
पूजते ऋषि देव विश्वकर्मा की प्रतिमा
संग यंत्रों, ओजार, शस्त्र भी
बने प्रथम वे शिल्पकार
ब्रह्मा जी कहने से
बनायी सृष्टि थी
दिया परिश्रम, लगन,
कर्मठता, दृढ़ निश्चय,
स्फूर्ति, बौद्धिक क्षमता
इच्छा शक्ति का परिचय
हे! मानव तू भी स्वार्थ त्याग के
विश्वकर्मा की राह पर चलकर
भारत - विश्व की काया पलट।
डॉ मंजु गुप्ता
वाशी, नवी मुंबई

बाबा विश्वकर्मा जी की आरती - विश्वकर्मा भगवान को प्रणाम

विश्वकर्मा भगवान को प्रणाम
हाथ जोड़ विनती करूँ विश्वकर्मा भगवान
त्रिदेवों के है अभियंता करती हूँ गुणगान

चक्र सुदर्शन से लेकर के स्वर्ण महल निर्माण
कौन भुला सकता है प्रभुवर यह तेरा अहसान

वास्तु देव् हैं पिता तुम्हारे,वसु है माँ का नाम
इन दोनों की कृपा से प्रकट आप हुऐ श्रीमान

मनु,मय,त्वष्टा,दैवज्ञ शिल्पी आप के पुत्र हैं पांच
इन सब से जो वंश चले हैं बनी जातियाँ पाँच

सत युग, त्रेता, द्वापर में हुए हैं जो निर्माण
आज उसे अग्रसारित करने इनका है योगदान

जै जै जै हे देव अभियन्ता आन विराजो आप
"शबनम"को भी बतला देना कविता के कुछ माप
शबनम मेहरोत्रा

आरती श्री विश्वकर्मा जी की भगवान विश्वकर्मा

श्री विश्वकर्मा देवता का आइए पूजन करें।
ब्रह्मा के सप्तम पुत्र का जुटके भजन-कीर्तन करें।

इस जगत के हो प्रथम अभियंता महाशिल्पी बड़े,
हे वास्तु के शास्त्रज्ञ प्रभु, हम सभी अभिनन्दन करें।

कोई नहीं है आप जैसा इस जगत में आज तक,
हर याँत्रिक उपकरण का बस, आप परिचालन करें।

हे सर्वव्यापी देव सारे विश्व में सम्मान है,
छोटे-बड़े सब एक जुट हों, आप का वंदन करें।

सर्जक तुम्हीं,कर्मठ तुम्हीं, अभियांत्रिकी के हो जनक,
गुणगान गाएं आज प्रभु, हम बार-बार नमन करें।
ओम प्रकाश खरे, जौनपुर
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