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शिक्षक दिवस का महत्व | शिक्षक दिवस क्यों मनाया जाता है? शिक्षक दिवस पर कविता

शिक्षक दिवस का महत्व | शिक्षक दिवस क्यों मनाया जाता है?

हमारे गुरु, हमारे शिक्षक शिक्षक-दिवस पर विशेष
गुरू का हर एक के जीवन में महत्वपूर्ण स्थान होता है!
इसी लिए कहा गया है :-
गुरू ब्रर्ह्मा, गुरुर्विष्णु: गुरुर्देवो महेश्वर:!
गुरुस्साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्री गुरु वे नम:!!
भारत और सम्पूर्ण संसार में सरकारों द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले शिक्षकों, गुरुओं, मौलानाओं, मौलवियों, पंडितों, इत्यादि को पुरस्कृत किया जाता है!
शिक्षक या गुरु के बिना किसी राह पर नहीं चला जा सकता!
गुरु हमारे रहबर-व-रहनुमा हैं!!
किसी ने ठीक ही कहा है :-
बिन गुरु!, ज्ञान नहीं!
गुरू, अपने शिष्यों को अपने नियमों से बाँध कर उन्हें अच्छे और कामयाब इन्सान बनाते हैं!!
गुरू सही मार्ग प्रशस्त करते रहते हैं!!
जन्म-दाता से बढ कर महत्व, गुरू और शिक्षक का होता है!!
शिक्षक या गुरू द्वारा दिए गए ज्ञान ही किसी व्यक्ति या आदमी को एक कामयाब-व-कामरान और महान इन्सान भी बनाते हैं!!
हमारे शिक्षक, हमारे गुरू ही, हमें जीने योग्य जीवन देते हैं!!

शिक्षक दिवस कब से शुरू हुआ? हर वर्ष 5 सितंबर को ही क्यों मनाया जाता है शिक्षक दिवस

भारत-रत्न जैसे अज़ीमतरीन् इन्आम/ एवार्ड/ एज़ाज़/ ख़ेताब, मुत्अद्दद अल्क़ाब/ तख़ल्लुसात/ कई धर्म को बिल्तरतीब अपनाने वाले महान्तम इन्सान, दार्शनिक, शिक्षक, कवि, लेखक, आलोचक, कहानीकार और आज़ाद भारत के पहले उप-राष्ट्र-पति तथा दूसरे राष्ट्रपति डाक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन यशुदास/ ईसा-मसीह-दास के जन्मदिन को आज़ाद भारत में शिक्षक-दिवस के रूप में मनाया जाता है!

सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जीवन परिचय इतिहास और महत्व

Sarvepalli Radhakrishnan
उन्होंने अपने जीवन के तक़रीबन/ लगभग पैंतालीस साल, अध्यापन पेशे को दे-दिए थे!!
श्री राधाकृष्णन जी, विद्यार्थियों के जीवन में शिक्षकों के योगदान और भूमिका के लिए प्रसिद्ध/ मशहूर हुए!!
श्री राधाकृष्णन जी, वो पहले महान व्यक्ति थे, जो तमाम शिक्षकों के बारे में सोचा करते थे!!
सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जीवन Sarvepalli Radhakrishnan
सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जीवन Sarvepalli Radhakrishnan
अपने जन्म-दिन, पाँच सितम्बर, को हर वर्ष शिक्षक-दिवस के रूप में मनाने के लिए तमाम विद्यार्थियों और दीगर भारतियों से श्री राधाकृष्णन जी ने विशेष तौर पर अनुरोध किए!!
हम सब को मालूम होना चाहिए कि जीवन में सफल या कामयाब होने के लिए हमें अपने शिक्षकों से सहायता लेनी बहुत ज़रूरी है!!
शिक्षक सब देशों के भविष्य और युवाओं के जीवन को बनाने, उसे आकार देने, उसे सँवारने-निखारने के लिए सब से महत्वपूर्ण भूमिका यानी सब से ख़ास किरदार निभाते हैं!!
प्राचीन काल यानी क़दीम ज़माने में बल्कि अज़ल ही से उस्तादों या गुरुओं का, हमारे जीवन में बड़ा योगदान रहा है!!
उस्तादों, मुअल्लिमों, मुदर्रिसों, गुरुओं से प्राप्त ज्ञान, इर्फ़ान, आगाही, तालीम-व-तरबियत, रहनुमाई, मार्गदर्शन, वग़ैरा ही से हम सब, सफलता, कामयाबी, फ़ौज़-व-कामरानी की मेराज और शिखर तक पहुँच सकते हैं!!
हम सब-लोग शिक्षक-दिवस पूरे देश, पूरे विश्व में बहुत उत्साह, बड़े जोश-व-ख़रोश, बड़े सम्मान से मनाते हैं!!
शिक्षक-दिवस के दिन, हम सब-लोग अपने उस्तादों, गुरुओं, मुदर्रिसों, मुअल्लिमों, मार्गदर्शकों, इत्यादि को विशेष तौर पर सम्मानित करते हैं!!

शिक्षक दिवस पर कविता | शिक्षक दिवस पर शायरी Teachers Day Poetry In Hindi

शिक्षक-दिवस यौम-ए-उस्ताद-व-उसात्ज़ा के मौक़े पर चन्द/ कुछ जदीद, मुन्फ़रिद, उम्दा-व-तुर्फा अश्आर
ऐ मेरे हम-नवा!, मेरे हम-राज़-व-हम-नफ़स्!!
यौम-ए-उसात्ज़्ता भी मनाओ!, हर इक बरस!
कितने उसात्ज़ा हैं ग़रीबी के जेल में!?
जैसे, हैं अन्दलीब मुक़य्यद/ मुकैयद क़फ़स्-क़फ़स् !!
मेरे उसात्ज़ा बड़े फ़नकार हैं, जनाब!!
फ़न पर मेरे उसात्ज़ा रखते हैं दस्तरस् !!
यारो!/ लोगो!, उसात्ज़ा को कभी कम न आँकियो !!
हासिल उसात्ज़ा को है सब फ़न पर दस्तरस् !!
अब भी उसात्ज़ा के दर्द ( अलम) हैं, दिलों में, राम !!
आयें उसात्ज़ा ही की/ की ही यादें, नफ़स्-नफ़स्!!

हमारे उस्ताद My Teachers

नफ़स्-नफ़स् उन की यादें!, क़फ़स्-क़फ़स् उन के दर्द-व-ग़म!!
किसी/ख़ुदा से हरगिज़ कम नहीं थे/ हैं, हमारे उस्ताद-ए-मुहतरम!!
रघूपति मेरे उस्ताद-ए-मुहतरम थे/ हैं शायर-ए-अज़ीम!
फ़िराक़ गोरखपूरी क़ल्मी नाम था उन का, ऐ नदीम!
दिलीप साहब!, हम-सब एहतराम उन का करते थे/ हैं, ख़ूब!!
फ़िराक़ थे/ हैं हम-सब को प्यारे थे/ हैं वो/ वह हम-सब के महबूब!!
नफ़स्-नफ़स् तेरी यादें!, क़फ़स्-क़फ़स् तेरा ग़म!
गुरू फ़िराक़!, तुझे कैसे भूल जायेंगे हम!?!
इस जदीद-व-मुन्फरिद तवील ग़ज़ल के दीगर शेर-व-सुखन आइंदा फिर कभी पेश किए जायेंगे, इन्शा-अल्लाह-व-ईश्वर!!
डाक्टर रामदास प्रेमी राजकुमार जानी दिलीपकुमार
डाक्टर रामदास प्रेमी राजकुमार जानी दिलीपकुमार कपूर, डॉक्टर इनसान प्रेमनगरी,डॉक्टर जावेद अशरफ़ कैस फैज अकबराबादी मंजिल, डॉक्टर खदीजा नरसिंग होम,रांची हिल साईड,इमामबाड़ा रोड, राँची-834001,झारखण्ड, इन्डिया

जदीद-व-मुन्फरिद अश्आर-ए-ग़ज़ल

" क़त्ल-ए-उस्ताद अब्राहम अब्र अहसनी "
" ख़ादिम-ए-उर्दू-अदब ", ब-लौस " होता है, जनाब!
" रायगाँ " हरगिज़ नहीं जाता है " ख़ादिम " का लहू!!
" ख़ादिम-ए-उर्दू-अदब ", बे-लौस " होता है, जनाब!
" रायगाँ " हरगिज़ नहीं जाता है " ख़ादिम " का लहू!!
" ख़ादिम-ए-उर्दू-अदब ", " मुख़्लिस " है,और " ख़ुद्दार " भी!!
" रायगाँ " जायेगा कैसे ?, " सच्चे ख़ादिम का लहू "!!
" रायगाँ " हरगिज़ न जायेगा कभी भी, दोस्तो!!
" रंग लायेगा " ," उर्दू-भाषा " के " ख़ादिम " का लहू!!
इक " सितम्गर " ने अचानक कर दिया था " क़त्ल-ए-अब्र "!?
मैं तो पी जाऊँगा " क़ातिल और ज़ालिम " का लहू!!
" दुश्मन-ए-उर्दू " ने कर डाला अचानक " क़त्ल-ए-अब्र "!?
हम भी पी जायेंगे " क़ातिल और ज़ालिम " का लहू!!
" अब्र साहब " की " शहादत " पर कहा करता हूँ, " राम "!!
अपनी रफ़्अत पा गया , बे-शक!, " मुअल्लिम " का लहू!!
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नोट :- इन ग़ज़लिया नज़्मों के दीगर शेर-व-सुखन आइंदा फिर कभी पेश किए जायेंगे, इन्शा-अल्लाह-व-ईश्वर!!
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डाक्टर रामदास प्रेमी राजकुमार जानी दिलीपकुमार कपूर, द्वारा, डॉक्टर इनसान प्रेमनगरी,डॉक्टर जावेद अशरफ़ कैस फैज अकबराबादी मंजिल, डॉक्टर खदीजा नरसिंग होम, रांची हिल साईड,इमामबाड़ा रोड, राँची-834001,झारखण्ड, इन्डिया
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