चौथ का चाँद चौठचन्द्र पूजा Chauthi Chand Puja
चौथ का चांद
शशि की 16 कलाओं में,
दो बार चौथ आती है।
पहली शुक्ल पक्ष की और,
दूजी कृष्ण पक्ष की आती है।
सभी चौथ में गणपति पूजा,
कर्क में करवा चौथ आती है।
भाद्रपद की शुक्ल चौथ,
पत्थर चौथ कहलाती है।
जो इस चौथ का दर्शन करते,
कलंकित वहां हो जाते हैं।
इसी चांद के दर्शन से ही,
भगवान भी बच नहीं पाते हैं।
पत्थर चौथ के दर्शन से,
भगवान कृष्ण भी कलंकित हुए।
सम्यंतक मणि की चोरी से,
भगवान तक भी लांछित हुए।
इसी चौथ के दर्शन से मित्रों,
सदैव ही तुम बच के रहना।
आत्मसम्मान अति महान,
कलंक लगने से डरते रहना।
ललिता कश्यप गांव सायर जिला बिलासपुर हिमाचल प्रदेश
चौठी चान चमकैत छथि चमचम: चौरचन चौठीचान चौरचन पवनी गीत
चौठी चान
मिथिला नगरिया करैत अछि गमगम।
चौठी चान चमकैत छथि चमचम।।
कष्ट सब बिसरलैथ अपन,
आंगन-आंगन सब बनेलैथ अहिपन।
लाल काकी आयल छथि गाम,
चौरचन पावैन करैत छथि धूमधाम।
खजूरि , पिड़किया स सजल अछि डाला,
भौजी सुंदर-सुंदर बनेने छथि माला।
भै गेल अछि सबहक हिय पल्लवित,
देखि दिव्य छटा सभ छथि हुलसित।
मिथिला नगरिया करैत अछि गमगम।
चौठी चान चमकैत छथि चमचम।।
रीतु प्रज्ञा
कर्जापट्टी, दरभंगा, बिहार
चौथ का चाँद चौठचन्द्र पूजा Chauthi Chand
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