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स्त्री-पुरुष की जातियों के प्रकार: शास्त्रों में स्त्रियों-पुरुषों के स्वभाव समुद्र शास्त्र के अनुसार जातियां

मर्द कितने प्रकार के होते हैं? समुद्र शास्त्र के अनुसार अंग

Types Of Castes Of Men And Women  According To The Nature Of Women And Men In The Scriptures
(१) ‌विषय-- स्त्री-पुरुष की जातियों के प्रकार--
शास्त्रों में स्त्री- पुरुष जाति की मुखिया 4 - 4 जातियां बताई गई हैं और अन्य शास्त्रों में पुरुषों की छ: और स्त्रियों की पांच जातियां बताई गई है। पुरुषों में शशक, मृग, वृषभ, सिंह, अश्व और मार्जार।

जाति नामों के अनुसार ही पुरुषों का व्यवहार व स्वभाव पाया जाता है।

देखा जाए तो सभी लोक पुरुष प्रधान है तथा पुरुष के पौरुष की प्रधानता दी है क्योंकि पुरुष जाति में बल की प्रधानता है जो किसी भी समाज में जीने के लिए अधिक महत्वपूर्ण है। वैसे नारी शक्ति की अपनी अलग प्रधानता है। नारी के बिना संसार नहीं, यह सत्य है। परंतु नारी नर आश्रय के बिना अधूरी है। चाहे वह किसी भी योनि में पशु-पक्षी, कीट-पतंग जलचर या थलचर क्यों न हो, बिना पुरुष के पौरुष बल के बिना अकेली जीवन यापन नहीं कर सकती।
समझने योग्य तथ्य है माता -पिता के घर पिता की छाया में रहना, पिता न हो तो भाई की छाया में रहना ,ससुराल में पति की छाया, दुर्भाग्य से पति न हो तो पुत्र की छाया जीने के लिए अति आवश्यक है। माना आज की नारी शक्ति वे हर असंभव काम करके दिखा रही है।परंतु सब बातों का निचोड़ ,कभी किसी सुनसान जगह या रात के समय अकेली नहीं जा सकती चाहे वह कितनी भी पढ़ी -लिखी ,उच्च आसन पर विराजमान हो या कुंग फूं कराटे सीखी हुई हो। उसे पुरुष साथी की आवश्यकता पड़ती है।अपनी अस्मिता को बचाने के लिए समाज में फूंक-फूंक कर कदम रखना पड़ता है। वहां पर भी उसे पुरुष साथी की आवश्यकता पड़ती है। इसीलिए शास्त्रों में पुरुष की प्रधानता लिखी गई है।

१ शशक

इस जाति की पुरुष सुंदर देहधारी, वाणी पर संयम रखने वाले ,धार्मिक प्रवृत्ति ,शीघ्र भावुक हो जाना, स्वच्छ वस्त्र पहनना, सात्विक भोजन पसंद करते हैं, इनकी देह से सुगंध आती है। इनमें कामुकता प्रेम तुल्य होती है। यह अपने जीवनसाथी से ही संतुष्ट रहते हैं।

२ मृग 

इस जाति के पुरुष मृग की भांति चंचल ,सुंदर नैन, शशक से थोड़ा लंबे सुडोल कद वाला,देह आकर्षित होती है। इन्हें भी अच्छा भोजन ,सुंदर व स्वच्छ वस्त्र तथा सुगंधित वस्तुओं का प्रयोग भाता है। यह पुरुष भी शशक पुरुषों की भांति स्वच्छ छवि वाले होते हैं। इन्हें धोखा देना या धोखा खाना पसंद नहीं।इनकी भावना भी काम क्रीड़ा में अधिक आनंद पाने की इच्छा रखती हैं।

३ वृषभ

इस जाति के पुरुष मृग जाति से बड़े कद काठी वाले होते हैं ,तथा अधिक चंचल नहीं होते‌।यह गंभीर रहना पसंद करते हैं यह समाज में मिलनसार होते हैं यह भी सुडौल देह आकर्षक होते हैं ऐसे पुरुष बहुत स्त्रिगामी होते हैं ,और यह काम क्रीड़ा में पाप पुण्य का ध्यान नहीं रखते।यह अधिक भोजन करते हैं तथा गहरी नींद में भी चौकन्ना रहते हैं।

४ अश्व 

अश्व जाति वाला पुरुष घोड़े जैसा लंबा, स्वस्थ, कठोर, कर्कश बोलने वाला होता है। यह निर्दयी, दया भाव हीन, कठोर स्वभाव का होता है। इनकी चाल भी घोड़े समान तेज व लंबे -लंबे कदम भरने वाली होती है। इनका पूरा स्वभाव घोड़े के समान होता है।ऐसे पुरुष पत्नी, प्रेमिका के प्रति स्नेह भाव नहीं रखते।यह अत्यंत कामुक और दुराचारी होते हैं। यह अपनी इच्छा के विरुद्ध कुछ भी सहन नहीं करते। ऐसे पुरुष अपना काम निकल जाने पर दुलती मार देते हैं। इनके देह से सदैव दुर्गंध आती रहती है।

५ सिंह

शशक के बाद पुरुषों में सर्वश्रेष्ठ जाति सिंह की आती है। जैसा नाम वैसा स्वभाव। ऊंचा- लंबा कद, पतली कमर, देह स्वस्थ, चौड़ी छाती, गंभीर सुंदर नेत्रों वाला ,पराक्रमी एवं न्याय प्रिय होता है। अत्यंत साहसी होने के साथ -साथ ऐसे पुरुष अकेले रहना पसंद करते हैं। नारियों के प्रति इनकी कोई विशेष रूचि नहीं होती।इनमें अहंकार अत्यधिक होता है, यह अपना विरोध सहन नहीं कर सकते। इसी कारण यह प्रेम भाव रति आदि के भाव से दूर रहते हैं। ऐसे पुरुष उच्चकोटी के होते हैं।

६ मार्जार

मार्जार यानी जंगली बिल्ला।इस जाति के पुरुष से महा हिंसक ,रक्त वर्ण लिए बड़ी बड़ी आंखों वाला होता है। यह जंगली बिल्ले की भांति फुर्तीला और घात लगाकर हिंसक आक्रमण करने वाला होता है। इसमें कामुक भाव कम होता है। परंतु जब जागृत होता है तब हिंसक रूप ले लेता है।मध्यम कद और मजबूत कद काठी वाले ऐसे पुरुष बेहद चालाक और खतरनाक होते हैं।

समुद्र शास्त्र के अनुसार स्त्रियों के प्रकार | स्त्री के कितने रूप होते हैं?

इसी तरह शास्त्रों में स्त्रियों की भी स्वभाव के अनुसार जातियां बताई गई है। कोका पंडित जी ने तो केवल चार ही जाती है बताई परंतु समुद्र शास्त्र के अनुसार भगवान कार्तिकेय ने स्त्रियों की पांच प्रमुख जातियां बताई है।

समुद्र शास्त्र के अनुसार स्त्रियों की पहचान

समुद्र शास्त्र के अनुसार अंग एवं स्त्रियों के लक्षण

१ पद्मिनी

ऐसी स्त्रियां पतिव्रता होती है गर्दन शंखके समान ,मुखाकृति कमल पुष्प के समान होती हैं रंग गौर , देह से कमल समान सुगंध आती है।नाक, कान ,होंठ, छोटे तथा आंखें कमल पंखुड़ी समान सुंदर तथा मुख पर मुस्कान बिखेरी रहती है। ऐसी स्त्रियां श्रृंगार प्रिय तथा पति को लुभाने वाली होती है।इनकी चाल हंस के समान होती है यह अपने से बड़ों का आदर- सम्मान करने वाली तथा सभी से स्नेह तथा दया रखने वाली होती है।

२ चित्रणी

ऐसी स्त्रियां कई वर्णों की होती है गेंहुआं, श्याम , तथा गौर वर्ण।
ऐसी स्त्रियां पतिव्रता और सब पर स्नेह रखने वाली होती है श्रृंगार में इनकी विशेष रुचि रहती है।यह ज्यादा परिश्रमी नहीं होती परंतु अधिक बुद्धिमान होती है।
इनका माथा गोल तथा नेत्र अति सुंदर और चंचल होते हैं।ऐसी स्त्रियों की देह सुंदर आकर्षक होती है तथा मधु सी सुगंध आती रहती है। इनके हाथ पैर भी सुंदर कथा कोमल होते हैं तथा चाल गजगामिनी स्वर मयूर के समान होता है ऐसी स्त्रियां कोमलंगी तथा लज्जावान होती है।

३ हस्तिनी

ऐसी स्त्रियों का शरीर स्थूल मोटा और आलस्य भरा होता है। इनमें लज्जा और धार्मिक भावनाएं कम होती है।इनके कपोल नासिका कान और गर्दन मोटी होती है आंखें छोटी और पीली होती है तथा होंठ मोटे और लंबे होते हैं इनकी देह स्वेद दुर्गंध आती है ऐसी स्त्रियां पुरुषों को जल्दी मोहित कर लेती हैं और इनमें भोग की अधिक प्रबल इच्छा होती है।

४ शंखिणी

ऐसी स्त्रियों की अधिक लंबाई होती है।तथा देह बेडौल, आंखें टेढ़ी होती है। इनमें क्रोध की भावना अधिक होती है। ऐसी स्त्रियां चलते समय अपनी कमर हिला -हिला कर चलती है तथा प्रत्येक क्षण भोग की इच्छा बनी रहती है। ऐसी स्त्रियां मादक पदार्थों के सेवन करने से भी नहीं चूकती।

५ पुंच्श्र्ली

ऐसी स्त्रियां अपने परिवार के लिए दुख का कारण बनती है। इनमें लज्जा नहीं होती और यह अपने हाव-भाव से कटाक्ष करने वाली होती है। ऐसी स्त्रियों के मस्तक का चमकीला बिंदु भी मलीन दिखाई देता है और इनके हाथ में नव रेखाएं होती है, जो पुण्य ,पद्म, स्वास्तिक आदि उत्तम रेखाओं से रहित होती है। इनका मन अपने पति की अपेक्षा पर पुरुषों में अधिक लगता है।इसलिए इनका समाज में मान- सम्मान नहीं होता। तथा स्वर तीखा और हृदय को चीरने वाला होता है।यदि यह किसी से सामान्य रूप से भी बात करती हैं तो ऐसा लगता है कि जैसे यह विवाद कर रही है।
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इसी‌ तरह अन्य विद्वानों ने भी स्त्रियों के विभिन्न स्वभावों और रहन-सहन की बहुत सारी व्याख्या की है।
ललिता कश्यप गांव सायर जिला बिलासपुर (हिमाचल प्रदेश)
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