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माँ के लिए शायरी Maa Shayari - Mothers Day Shayari in Hindi

माँ की ममता की यादें | माँ की ममता पर शायरी | माँ पर कविता

कविता
माँ की आराधना
वंदन अभिनंदन उस परमेश्वर का,
घर-घर अपना स्वरूप दिखाया है।
माँ के दर्शन से ही ईश्वर भक्ति का,
जन-जन को सच्चा पाठ पढ़ाया है।।

माँ की छांव सभी सुखों की खान,
अमृत पी कर ही,कृष्ण बने महान।
कामधेनु सी ममता पर अभिमान,
उपकारों का करता हूं, मैं सम्मान।।

माँ गोद से सुकूनदायक बिछौना,
दुनियां में कहीं भी नहीं हो सकता।
चैन की सारी सुखद हवा का कोना,
जिसमें कोई खतरा ही नहीं होता।।

माँ से ही सृष्टि का,क्रम चलता है,
माँ परमात्मा की ही एक परछाई है।
माँ के उपकारों से ही घर फलता है,
माँ के शब्द-शब्द में ही अच्छाई है।।

छप्पन भोग भी माँ के आगे फीके है,
उसने चटनी रोटी के भी दिन देखें हैं।
संघर्षो के आगे वो दिन भी तो हारे है,
पर माँ ने स्वाभिमान से बच्चे पाले हैं।।
रामबाबू शर्मा, राजस्थानी, दौसा(राज.)
माँ ने हमको जन्म दिया
पाल-पोस कर बड़ा किया
खेल-कूद में भरपूर भाग लिया
पढ़ा-लिखा पर कुछ बन नहीं पाया

माँ की ममता पर शायरी - माँ दिवस पर शायरी - Mothers Day Quotes in Hindi

कविता माँ के लिए
माँ ने हमको जन्म दिया
पाल-पोस कर बड़ा किया
खेल-कूद में भरपूर भाग लिया
पढ़ा-लिखा पर कुछ बन नहीं पाया
शादी कर जिम्मेदारी सर पर डाल दिया
बुढ़ापे का बोझ अब है जब कमर झुकाया
कड़क -चटक-चटक बोल रहीं हड्डियां
लाठी का सहारा लूँ - मजबूरी है भइया
बेटे ने भी दरबा अलग-थलग बसाया
अब तेरा सहारा बचा - दर पे तेरे आया
कड़क चटक-चटक बोल रहीं हड्डियां
अब तो दर्द बहुत- जीवन भारी पाया

बुढ़ापे में माँ-बाप का दर्द शायरी

देख बुढ़ापा रोना आया
दिलमें शूल चूभ चुभन लाया
वृद्धाश्रम की राह अपनों ने दिखाया
वाह रे वाह बेटा! माँ का रे जाया!
माँ बाप को चट वृद्धाश्रम पहुँचाया
यही है करुण कथा- लो बुढ़ापा आया
बेटा-बेटी पैदा कर बहुत पछताया
पुष्पा निर्मल, बेतिया

माँ की तारीफ में शायरी - माँ का प्यार शायरी - माँ की मोहब्बत शायरी

मां का प्यार
तराशा है हमें मां ने सजाया है संवारा है।
मां का प्यार दुनिया में सबसे प्यारा है।।

ममतामयी है मां सदा करुणा लूटाती है।
जहां में प्यार की निर्मल गंगा बहाती है।।

मां का कर्ज दुनिया में किसने उतारा है।
मां का प्यार दुनिया में सबसे प्यारा है।।

मां के गोद में हीं देवता भगवान खेलें हैं।
आंचल तले मां के खुशियों के मेले हैं।।

मां के कर्ज में डूबा ऋणी संसार सारा है।
मां का प्यार दुनिया में सबसे प्यारा है।।

न कोई मोल है मां का हंसती हंसाती है।
पकड़ के ऊंगली हमको चलना सिखाती है।

बेटा हो भले जैसा मगर मां का दुलारा है।
मां का प्यार दुनिया में सबसे प्यारा है।।

मां का प्यार बेटों की बलाएं टाल देती है।
मुश्किलों में भी वो हमें संभाल लेती है।।

मां के प्यार सागर में नहीं कोई किनारा है।
मां का प्यार दुनिया में सबसे प्यारा है।।
उदय शंकर चौधरी नादान
कोलहंटा पटोरी दरभंगा
9934775009

माँ तेरी तबियत कैसी है? माँ के लिए शायरी इन हिंदी | माँ बेटे पर शायरी

गीत (माँ तेरी तबियत कैसी है)
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देहरी बैठी बुढ़ी अम्मा,
देख रही चौखट बेटे की।
चार पुत्र है कोई न पूछा,
माँ तेरी तबियत कैसी है।

गया सूबह दोपहर बीता,
घड़ी शाम की आयी।
दीवाली है आज घरो में,
वाती दीप जलायी।

सह न पाई ये पीड़ा माँ,
हो चारण जैसे बेटे की।
चार पूत की दुखियारी,
न जाने किस्मत कैसी है।

कितने हीं पकवान पके हैं,
मेवा औ मिष्ठान बने हैं।
मैंने जिनको तन मन सौंपा,
कहने को सारे अपने हैं।

नीर झहरते हैं नयनों से,
ये आंसू है उस बेटे की।
बेटा अपने सुख में खोया,
बदल चुकी नीयत कैसी है।

बेटों के इस बंटबारें में,
बूढ़ी माँ की ममता रोयी।
माँ का सुध लिया न कोई,
ओसारे पर भूखी सोयी।

मंदिर-मंदिर माथा टेका,
तब सूरत देखी बेटे की।
कहाँ गए वो स्वप्न हमारे,
दुनिया की फितरत कैसी है।

एक अकेली माँ कितने हीं,
बच्चों का पालन करती है।
राजे महाराजे से बढ़कर,
भरण और पोषण करती है।

घर में मां है भूखी बैठी,
झांक रही राहें बेटे की।
फिर मंदिर में कैसी पूजा,
मंदिर की मूरत कैसी है।

चार पुत्र है कोई न पूछा,
माँ तेरी तबियत कैसी है ।
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उदय शंकर चौधरी नादान
कोलहंटा पटोरी दरभंगा
7738559421

माँ तेरे आंचल तले: माँ का आँचल शायरी - माँ की याद में शायरी

किस्मत की लकीरों को बनते देखा
अपनों से अपनों को बिछड़ते देखा।
मां को बेटे से बिछड़ते देखा
मुर्दे को कफ़न से लपेटे देखा।
आह आती है हमें
उस लम्हों की जब,
मां भूखी रहकर भी हमें
खिलाया करती थी।
आह आती है हमें जब
मां हमें लोरिया सुनाया करती थी।
अपनी खुशियां मुझ पर न्योछावर करती थी।
ओ मां तेरी आंचल तले
सारा जहां रहता है।
तू ढूंढे कहीं और
तेरा लाल तेरे पास रहता है
मां मैं तो तेरा ही लाल हूँ
फिर किस लिए मैं
बदहाल हूँ।
अपने हाथों से मुझे खिला दे
अच्छी नींद तू मुझे सुला दे।
मां तेरे आंचल के तले सारा जहां रहता है
तू ढूंढे कहीं और तेरा लाल तेरे पास रहता है।
मां अपनी ममता मुझ पर लुटा दे
अपनी ममता को महान बना दे।
मेरे बचपन को फिर से लौटा दे
मां की ममता कितनी महान
जिसे पूजे सारा हिंदुस्तान
मां तेरी ममता है महान् है महान्
मां तेरी आंचल तले सारा जहां रहता है।
तो ढूंढे कहीं और तेरा लाल तेरे पास रहता है।
कलमकार - वीणा, नाथनगर, भागलपुर, बिहार

माँ दिवस पर शायरी फोटो - Mothers Day Shayari Image

माँ दिवस पर शायरी फोटो - Mothers Day Shayari Image

माँ की ममता शायरी Maa Ki Mamta Shayari
माँ की ममता

(कविता)
माँ तेरी ममता का, कोई मोल नहीं,
जो हर पल लिखती है नई कहानी।
जो नहीं जान पाया है इसे अबतक,
किस काम की लगती है जिंदगानी?
माँ तेरी ममता…

तेरी ममता से हमें, मिलती ऐसी छांव,
जहां कोई भी चल सकता है नंगे पांव।
बरगद पीपल भी, रहना चाहे यहीं पर,
माँ तेरी ममता हो सकती नहीं पुरानी।
माँ तेरी ममता…

किसी दिन चाहे सारा जग बदल जाए,
तेरी ममता को फिर भी न आंच आए।
सबसे अधिक भरोसा लोग करते मैया,
अनंत काल तक रहेगी इसकी निशानी।
माँ तेरी ममता…

सदाबहार लगती तेरी ममता की छाया,
कहीं और नहीं, जो सुख यहां पर पाया।
माँ तुम तो ममता की मूरत हो सच्ची,
सुला लो गोद में, आ रही निंदिया रानी।
माँ तेरी ममता…

प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
नासिक (महाराष्ट्र)/
जयनगर (मधुबनी) बिहार

माँ पर शायरी | माँ की ममता पर शायरी

माँ
जीवित रहती है माँ
सदा जीवित रहती है
बच्चों में।
वह सदैव रहती है
हमारी स्मृतियों में
कभी नहीं होती विस्मृत
हर पल हर क्षण
बात बेबात
याद आती है माँ।
माँ होती तो ये कहतीं
माँ होती तो ये करतीं
वो दिन याद नहीं
जिस दिन
याद ना आईं हों माँ।
हंसने में भी
दुख में भी
सुख में भी
सदा उपस्थित
रहती हैं माँ।
माँ शरीर नहीं
अशरीरी होती है
माँ भावना है
माँ भाव है
हम उसके बिंब।
इन बिंबों में
वह प्राप्त करती है
अमरत्व।
शबनम मेहरोत्रा

माँ के लिए शायरी इन हिंदी | माँ की याद में शायरी

माँ
यह एक शब्द ...है ऐसा,
धरा पर नहीं कोई वैसा,
हे माँ! मेरी माँ! तू आदि है,
जन्मता ये जग तुझसे,
समस्त प्राणि जगत,
बनता एक अस्तित्व,
जैसे कि जन्मीं थी मैं भी,
तेरी कोख से उस दिन,
मनातीं हूं हर वर्ष,
अपना ये जन्मदिन।

मैं तेरी गोदी में आंचल की छांव में,
पली-बढ़ी और देखा यह संसार,
तेरी दी हुई आंखों से,
मैं मेरा सब कुछ,
जन्म से अब तक,
स्वयं में ही तुझको देखती हूं जब तब,
देखती हूं आईने में,
खुद में तेरे रूप को।

आज का दिन आज की तिथि आज की तारीख,
आती है हर बरस बहुत सी यादें लेकर,
उन दर्द भरे क्षणों के साथ,
जोकि महशूशे थे मैंने आज ही के दिन,
उन्नीस बरस पहले जब तुम,
छोड़ कर चल दी थीं,
अपनी नश्वर देह,संसार, और मुझे भी,
हमेशा हमेशा को फिर न दिखने को,
मेरी खुली आंखों को सदैव को,
और बंद आंखों में आती कभी,
बन करके सपने तुम।

ओ माँ! आज के दिन जैसी कशमकश,
होती नहीं, हुई नहीं कभी भी,
क्योंकि आज के दिन तेरी बरसी है।

तुझे आज याद कर उदास हूं,
व्यथित हूं और मन भारित है,
न जाने कितने विचार आते हैं जाते हैं,
और मैं अपने हृदय से पूछती हूं बार-बार,
कि मैं तेरी बरसी क्यों मनाऊं,।
क्योंकि तू तो अभी भी मेरे शरीर में,
रची बसी मेरे अस्तित्व में,
जीवित है ठीक उसी रूप में,
जैसे कि तुम्हारे अंदर कभी,
जीवित थी तुम्हारी माँ और,
मेरे बाद मैं भी जीवित रहूंगी,
इसी भांति अपनी संतानों में।

आज बचपन से लेकर,
जब तक रही साथ तेरे,
वह हर पल हर क्षण याद आया,
बहुत बहुत याद आया,
कभी मन मुस्कुराया,
तू कभी आंखों में नयनजल भर आया।

ओ माँ! तेरे न होने की रिक्ता अनुभूति,
करती मन को विचलित डावांडोल,
पुनि पुनि याद आये आज,
तेरे साथ गुजरे पल छिन अनमोल,
मुझे आज याद कर बार-बार,
कभी हूं मुस्कुराई तो कभी,
आंख छलकी बार-बार।

कभी-कभी लगता है कि तुम्हारे साथ,
उस दिन जब तुम छोड़ गईं मेरा साथ,
मैं भी अंदर से मर गई कुछ कुछ।
और तेरे जाने के बाद से,
जी रही हूँ बाहर से जीवित सी,
अंदर से मरी हुई कुछ-कुछ नित्य ही,
आऊंगी कभी तो पास मेरे रहने को।
श्रद्धांजलियाँ

माँ का आँचल— माँ का आँचल शायरी हिंदी में लिखी हुई

माँ का आँचल
अरे स्वर्ग तुम यहां छुपे हो,
मेरी माँ के आँचल में।
चलो उठो मुझको सोने दो,
मेरी माँ के आँचल मे।।

तुम्हें ढूँढता है जग सारा,
तरस रहे ग्यानी.. ध्यानी।
दौलत की झोली भरभरकर,
खोज रहे तुमको दानी।
औ तुम यहाँ छुपे हो ऐसे,
बूंद छुपी हो बादल मे।
चलो उठो मुझको सोने दो,
मेरी माँ के आँचल में।।

मुझे तमन्ना नहीं तुम्हारी,
पास न मेरे तुम आना।
मेरी श्रद्धा औ पूजा से,
मिला मुझे है आशियाना।
यहां तुम्हारी खैर नहीं है,
रहना किसी न लालच में।।
चली उठो मुझको सोने दो,
मेरी माँ के आँचल में।।

गोँद ही मेरा घर..आँगन है,
यही है मेरा क्रिडाँगन।
शिवा यहां के कहीं जगत में
रमता नहीं है मेरा मन।।
यहीं सुनहरी सुबह है होती
सुर्य डुबे अस्ताचल मे।
चलो उठो मुझको सोने दो,
मेरी माँ के आचल मे।।

यहां किसी का टोना.. टोटका,
नहीं जगत की लगे नजर।
हल्का सा काजल का टीका,
सबको कर देता बेअसर।
ताकत नहीं दवाओं में,
जो ताकत माँ के काजल मे।
चलो उठो मुझको सोने दो,
मेरी माँ के आँचल में।।।
ओमप्रकाश

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