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बाल कविता हिंदी में Kids Poem Hindi | Bal Kavita In Hindi

बाल गीत : बच्चे हिन्दुस्तान के Hindi Balgeet Lyrics : Bacche Hindustan Ke

ये प्यारे बच्चे, हिन्दुस्तान के,
लगते हैं सितारे आसमान के।
खिलते हर घर की बगिया में,
अनमोल फूल हैं, भगवान के।
ये प्यारे बच्चे……

ये कल देश के कर्णधार बनेंगे,
बंदूक उठाकर, सीमा पर लड़ेंगे।
ये हमारे, नन्हे राजकुमार सारे,
इनमे गुण हैं, किसी महान् के।
ये प्यारे बच्चे……

जितनी होगी इनकी देखभाल,
कल दिखलाएंगे उतने कमाल।
बच्चों पर नाज करता है वतन,
निशान हैं, देश स्वाभिमान के।
ये प्यारे बच्चे……

अगर देंगे हम, बच्चों को मौका,
देश नहीं खा सकता कभी धोखा।
कल चमकेंगे ये सितारों के जैसे,
हम बैठे हैं इस बात को मानके।
ये प्यारे बच्चे……

सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
नासिक (महाराष्ट्र)/
जयनगर (मधुबनी) बिहार

कागज की कश्ती खूब चली : बाल कविता Poem For Kids Hindi

कागज की कश्ती
कागज की कश्ती खूब चली
इधर-उधर देखो किधर चली।
पीछे-पीछे हम भागे हैं
बहुत तेज अबतक आगे है।
मनमोहिनी नाव पगली रे
कागज की कश्ती अगली रे।
पवन अभी जो एक सहारा
देखो झिलमिल दूर किनारा।
झटपट कश्ती तट आओ री
प्यार मनुहार तुम लाओ री।
बचपन मेरे सपन सलोने
आओ प्यारे अजी खिलोने।
धन्यवाद।
प्रभाकर सिंह
नवगछिया, भागलपुर
बिहार

एक वो भी जमाना था जब नानी कहानी सुनाती थी, बाल कविता हिंदी में Kids Poem Hindi

एक वो भी जमाना था
नानी कहानी सुनाती थी
बड़े प्यार से सहलाती थी।
नींदियाँ भी वह बुलाती थी
सूर्य चढ़े तभी जगाती थी।
एक वो भी जमाना था।
हाँ विडियो गेम चलाते हैं
टी वी पे समय बिताते हैं।
नेट से खाना मँगाते हो
अकेले-अकेले खाते हो।
एक यह भी जमाना है।
बरबस दूध का जमाना था
रे मलाई का खजाना था।
खाना का मत पूछिए आप
छाछ पीकर गम भुलाना था।
एक वो भी जमाना था।
दही चम्मच नहीं चढ़ पाते
झटपट पानी दूध मिलाते।
दूर मलाई सिर्फ दिखाते
घी की खुशबू न बता पाते।
एक यह भी जमाना है।
कुश्ती का रैलम-पेल था
मालिश लिए सरसों तेल था।
चित हो या पट सिर्फ मजा था
हारो-जीतो सब राजा था।
एक वो भी जमाना था।
देख अभी नियत में छेद है
भाई-भाई यहाँ भेद है।
नयेपन चलने की होड़ है
वही मौके पर रणछोड़ है।
एक यह भी जमाना है।
दादा की
दादा के छड़ी सिखाते थे
दिल-दिल से तभी पढ़ाते थे।
वे संस्कार पथ चलाते थे
पराम्परागत दौड़ाते थे।
एक वो भी जमाना था।
एकल परिवार में मजा है
बुजुर्गों को मिलती सजा है।
पिता के पिता न जान पाते
संस्कार पाठ न मान पाते।
एक यह भी जमाना है।
धन्यवाद।
प्रभाकर सिंह
नवगछिया, भागलपुर
बिहार

पढ़-लिख कर नबाब बनो: बाल कविता Kids Poem Hindi | Bal Kavita Hindi

बाल कविता
वक्त से
पढ़-लिख कर नबाब बनो
तुम्ही कमाओ नाम।
मात-पिता के ही चरण
शत-शत नमन प्रणाम।
शत-शत नमन प्रणाम
जन्मदाता ज विधाता।
उनसे पग-पग सीख
और हैं तुम्हें सिखाता।
जीवन है संघर्ष
नहीं जानो मुँह कालिख।
सतत जुड़ो संग्राम
वक्त से पल-पल पढ़-लिख।
धन्यवाद।
प्रभाकर सिंह
नवगछिया, भागलपुर
बिहार

दिव्यांग पर कविता | विकलांग बच्चों पर स्लोगन Viklang Status

माँ दिव्यांग हूँ तो क्या?
बाल कविता
पढ़ना-लिखना मत बोलो
तुलना पलड़े मत तोलो
लक्ष्य बाण तरकश है माँ
राज दिलों के मत खोलो।
अव्वल मैं भी होता हूँ
सपने लेकर सोता हूँ
कोई मेरा बैर नहीं
भाईचारे ढ़ोता हूँ।
फलान का बेटा ऐसा
चिलान का बेटा ऐसा
हताश वाली शब्द बोल
मत बोलो वह तो ऐसा?
माना मुझको कान नहीं
जो मिला उचित मान नहीं
अभ्यास श्रेष्ठ कहलाता
बस बुजदिल में जान नहीं।
रोज-रोज ही पढ़कर मैं
समय-सारणी चलकर मैं
माँ अरमान सजाऊँगा
हाँ।कठिन राह बढ़कर मैं।
धन्यवाद।
प्रभाकर सिंह
नवगछिया, भागलपुर
बिहार

बच्चे मन के सच्चे कविता | बच्चे मन के सच्चे लिरिक्स इन हिंदी

''बालकों को समर्पित बाल गीत''
प्यारे बच्चे मन के सच्चे।
भोले-भाले सीधे सच्चे।

आज अलग हीं पाठ पढ़ेंगे।
देश-धर्म की बात करेंगे।।

आज करेंगे मन की बात।
तुम भी हमको देना साथ।।

बोलो क्या तुम हो तैयार।
हाँ हम बच्चे हैं तैयार।।

सुनो गौर से बात हमारी।
भारत माँ की फौजें सारी।।

हम हैं भारत की संतान।
भारत मेरा स्वाभिमान।।

तुम राष्ट्र के वीर सिपाही।
धन्य धरा के निश्चल राही।।

जय हिंद जय हिंदुस्तान।
रखना भारत का सम्मान।।

तुम हो राणा और शिवाजी।
भगत सिंह शेखर नेताजी।।

तुम्हीं अटल और क्लाम ।
ऊंचा करो देश का नाम।।

तुम भारत के कर्णधार।
रहना हरदम होशियार।।

भारत का शान बढाना है।
तुमको भी इसमें आना है।।

याज्ञवलक्य चाणक्य बनो।
सम्राट अशोक महान बनो।।

कोई तुलसी सा महा संत।
धरतीपुत्र-----विवेकानंद।।

बोलो भारतमाता की जय।
जय हिंद भारत जय-जय।।
उदय शंकर चौधरी "नादान"
पटोरी दरभंगा बिहार
९९३४७७५००९


बच्चे मन के सच्चे

विषय : बच्चे मन के सच्चे
दिनांक: 29 मई, 2023
दिवा : सोमवार
उम्र के कच्चे,
मन के सच्चे,
होते सारे बच्चे।
सादा जीवन,
होता उनका,
धुन के होते पक्के।।
खेल खेल में,
हंसते रोते 
खेल खेल में खेलते।
हंसी खुशी में,
शरारत करते,
साथ सभी हैं झेलते।।
सच सच कहना,
मिलकर रहना,
बच्चा बच्ची संग में।
ईर्ष्या द्वेश के,
भाव न होते,
जोश भरा अंग अंग में।।
भला बुरा का,
ज्ञान न होता,
भाव है अपनेपन का।
संगी साथी भी,
अपने ही होते,
बोध नहीं परायेपन का।।
बच्चे केवल,
बच्चे ही होते,
नहीं खाते गच्चे।
बच्चे सबके,
मन बहलाते,
बच्चे मन के सच्चे।।

पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )
बिहार।


देश भक्ति बाल गीत, राष्ट्र प्रेम पर बाल गीत, देश के वीरों के लिए बाल कविता

बालगीत
माँ मुझको ये बात बताओ।
कौन थे राणा हमें बताओ।।

बोलो बोलो चौहान कौन थे।
वो चंद्रगुप्त महान कौन थे।।

क्यों जलती जौहर में रानी।
कौन थी वो झांसी की रानी।।

भगत सिंह क्यों फांसी झूले।
क्यों आजाद गोली से खेले।।

कैसे अपनी मिली आजादी।
तुम्हीं बताओ प्यारी दादी।।

दादाजी एक कलम मँगादो।
देश धर्म की राह दिखादो।।

मातृभूमि का हूँ हमराही।
भारत माँ का एक सिपाही।।
उदय शंकर चौधरी नादान
9934775009

कहाँ खो गया मेरा बचपन? खोता बचपन कविता Poem On Poor Children Hindi

खोता बचपन
कहाँ खो गया मेरा बचपन
कहाँ गई किलकोरी।
कहाँ सो गए सुख के सपनें
कौन सुनाए लोरी।।

खुला हुआ आकाश शीश पर
धरती बना बिछौना।
दुख के सागर में डूबा हूँ
जीवन भर है रोना।
भटक रहा हूँ द्वार -द्वार पर
क्या पाना क्या खाना।
पल भर मिली न सुख की छाया
आंसू पीकर सोना।

कौन प्यार करेगा हमसे
दुलार भरी ठिठोरी।
क्या जाने जीवन बसंत को
हम क्या जाने होरी।।

नए-नए परिधान पहनकर
बच्चे जब आते हैं।
हम चिथड़ों से ढके हुए
शर्मिंदा रह जाते हैं।
भांति - भांति के भोजन देखें
कहाँ कभी पाते हैं।
सब त्यौहार यहाँ पर आते
आते हैं जाते हैं।

कोई कहीं पर थप्पड़ मारे
दुत्कारे बरजोरी।
कोई घृणा से देखे हमको
कोई करे चिरोरी।।

ऐसे अपमानित होकर के
कैसे जी पाऊंगा।
रोज ठोकरें खाते -खाते
सहकर रह जाऊंगा।
तृष्कृत जीवन के ये आंसू
कब तक पी पाऊंगा।
मात -पिता धर्म की गाथा
जग को क्या बतलाऊंगा।

सहानुभूति रखने वालों की
भाव भव्यता कोरी।
भूखे पेट जी जहां माणिक
जीवन बना अघोरी।

पैदा होते ही आशाओं के
अंबार लगे।
दरवाजे पर खुशियों के
बंदनवार लगे
लदीं किताबें हम पर
कैसे बलवान बने।
कुछ करने से पहले ही
हम पर अधिकार लगे।
Poem On Poor Children Hindi

दर्द हमारा कोई न समझे
यह कैसी लाचारी।
कहाँ खो गया मेरा बचपन
कभी सुनी न लोरी।।
मैं घोषणा करता हूँ कि यह रचना मौलिक स्वरचित है।
भास्कर सिंह माणिक
(कवि एवं समीक्षक)
भगत सिंह माणिक,कोंच,
जनपद- जालौन,उत्तर- प्रदेश-285205
मकान नंबर -829
मोबाइल नंबर -9936505493

बच्चे होते ही हैं सच्चे : बाल कविता Bacche Man Ke Sacche Poem Hindi Lyrics

कोई जाति हो कोई धर्म हो
उससे उनको क्या करना है
ये भारत के बच्चे हैं
तीन धर्म के पर
पहले हैं लेकिन एकता और
अखंडता प्रतीक
फिरंगी से कपड़े हैं पहने
संदेश दे रहे, मानो कह रहे
चाहे कोई मुसीबत हो या
आपदा चाहे कोई आए
दुश्मन जो आंखें तिरछी
करके भी देखें
भारत के बच्चे हम
ना उनको हम टिकने दें
कर रहे यह विनती प्रभु से
हे प्रभु अरज सुन लो हमारी
हमारी एकता यूं ही बनी रहे
कोई दुश्मन हमें ना अलग कर सके
सामना हम सब मिलकर करें
साथ हमारा यूं ही बना रहे।
धन्यवाद
अंशु तिवारी पटना


बाल गीत - बरखा रानी

बरस रही बरखा रानी
पवन चली बहुत सुहानी
पेड़ -पौंधें झूम रहे हैं
हर तरफ पानी- पानी

गुड्डी ने नाव बनाई
पानी में उसे बहाई
तेजी से बहती नाव
बच्चों ने ताली बजाई

देखो पप्पू नाच रहा है
ऊपर-नीचे भाग रहा है
भीग रहा बारिश में
चारों और झांक रहा है

मेढक जोर से टर्राते
हमको ये खूब डराते
पानी में छलांग मारें
सारे ही जश्न मनाते

अम्मा ने छतरी तानी
बुला रही सबको नानी
बारिश में मत भिगो अब
गरम-गरम जलेबी खानी
श्याम मठपाल,उदयपुर


नटखट मुन्ना है पर वह उस्ताद है सॉफ्टवेयर का समझा सब काज है

नटखट मुन्ना है पर वह उस्ताद है
सॉफ्टवेयर का समझा सब काज है
चलती दोनों हाथ की अँगुलियाँ,
कैप्चर करता जब वह लैपटॉप है
नटखट मुन्ना है पर वह उस्ताद है--

मैं सोचूं होगा यह ऐलियन,
वाह वाह करता क्या उँची बात है।
बस्ता पाँच किलो का नित ढोता,
कहता आठ क्लास पढ़ना बेकार है।
नटखट मुन्ना है पर वह उस्ताद है---

ऑन लाइन हीं था पापा अच्छा,
बस का करना अब बस इंतजार है।
नटखट मुन्ना है पर वह उस्ताद है---

बोला मुन्ना यह तो कसरत,
सीखना वहाँ व्यवहार है।
घर में रह सब कर पाना होता दुस्वार है।
स्कुल से करता आया जग प्यार है।
नटखट मुन्ना है पर वह उस्ताद है---।।
डॉ. कवि कुमार निर्मल


बाल मनुहार - हम छोटे बालक : बाल कविता

बाल मनुहार
हम छोटे बालक,
पर है मनभावन।
ओस बिंदु से हम,
मनमोहक सावन।।

घर आँगन महके,
ठुमक-ठुमक नाचे।
सुखद आगमन पर,
शहनाई बाजे।।

दादा-दादी भी,
मंद-मंद मुस्काये।
बड़ी बुआ मन से,
मंगल गीत गाये।।

मात-पिता मन में,
खुशियाँ बरसाये।
ढ़ोल नगाडों से,
स्वागत करवाये।।

संस्कार संस्कृति की,
आभा बिखराई।
है कामना यही,
सुखी रहो भाई।।
रामबाबू शर्मा,राजस्थानी,दौसा(राज.)


बाल कविता - बिहार की चौहद्दी

बिहार की चौहद्दी
आओ दोस्तों तुम्हें बताएं
बिहार की चौहद्दी,
चारों तरफ आसीन है
स्वर्णिम सी गद्दी।
उत्तर का कमाल तो देखो
छू रहा नेपाल,
दक्षिण में जल रहा
क्षारखंड का मशाल।
झूम रहा है मस्ती से
पूरब में पश्चिम बंगाल,
पश्चिम में चमका रहा
उत्तरप्रदेश अपना भाल।
रीतु प्रज्ञा
दरभंगा, बिहार
स्वरचित एवं अप्रकाशित


बाल कविता : बरसे पानी - मौसम

विषय-मौसम
शीर्षक-बरसे पानी
झमाझम बरसे पानी,
नाच रही पायल रानी।
जम गया आंगन पानी,
कागज नाव चलायी इंद्राणी।
खिलखिल हंसे भैया राजा,
झूम झूम कर बजाए बाजा।
चलें मेंढक राम लेकर छाता,
आमों की दावत उनको भाता।
चिड़िया रानी गायी गाना,
आज वर्षा में है खूब नहाना।
रीतु प्रज्ञा
करजापट्टी, दरभंगा, बिहार


बाल कविता - वैक्सीन है जरूरी

वैक्सीन है जरूरी
सुन लो मेरे भाई-बहना,
मत वैक्सीन से डरना।
है हमारे वास्ते जरूरी,
समझो न तुम मजबूरी।
कोरोना को है दूर भगाना,
तो वैक्सीन हंसकर लगवाना।
रहेंगे हम हिन्दुस्तानी स्वस्थ,
करते रहेंगे कर्म,होंगे न पस्त
मां-पापा, चाची-चाचा को भी लगवाओ,
दादा-दादी को भी केन्द्र लें जाओ।
दर्द राष्ट्र हित में थोड़ा सह लेना,
सदा साथ शुभ कार्य में देना।
रीतु प्रज्ञा
दरभंगा, बिहार
स्वरचित एवं अप्रकाशित
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