ऑक्सीजन की कालाबाजारी पर कविता
आँक्सीजन
आँक्सीजन को ढ़ूँढ़ते
शहर की तरफ आ गये।
बैचेनी,उलझन बसे
तन मन अब मुरझा गये।
मुश्किल चलती श्वास जो
आँक्सीजन दरकार है।
जिस जिससे है माँगते
तब मिलते फटकार है।
कैसा भागमभाग है
दौड़-दौड़ नहीं थकते।
सबकी मुश्किल जान है
पल ही पल दम निकलते।
कितने अपने चल गये
कितने ही तैयार है।
खुद से ही खुद हैं डरे
जीवन अब बेकार है।
आओ अपने गांव अब
आँक्सीजन भण्डार है।
शहर सभी घुँट-घुँट रहे
हर तरफ अंधकार है।
धन्यवाद।
प्रभाकर सिंह
नवगछिया, भागलपुर
बिहार
शहर की तरफ आ गये।
बैचेनी,उलझन बसे
तन मन अब मुरझा गये।
मुश्किल चलती श्वास जो
आँक्सीजन दरकार है।
जिस जिससे है माँगते
तब मिलते फटकार है।
कैसा भागमभाग है
दौड़-दौड़ नहीं थकते।
सबकी मुश्किल जान है
पल ही पल दम निकलते।
कितने अपने चल गये
कितने ही तैयार है।
खुद से ही खुद हैं डरे
जीवन अब बेकार है।
आओ अपने गांव अब
आँक्सीजन भण्डार है।
शहर सभी घुँट-घुँट रहे
हर तरफ अंधकार है।
धन्यवाद।
प्रभाकर सिंह
नवगछिया, भागलपुर
बिहार
Oxygen And It's Importance
आक्सीजन की किल्लत भुगत रहे सब लोग,
शिकवे और शिकायत से बनती सरकार,
आपदा से खेल रहे सब किसे करे दरकार,
आक्सीजन की किल्लत भुगत रहे सब लोग,
आँकड़ों मे मौत नहीं की कर रहे है हरकार।।
विनोद कुमार जैन वाग्वर
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