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दिल में अरमानो की इक भीड़ लगाए रखना Dil Ke Armaan Shayari

दिल में अरमानो की इक भीड़ लगाए रखना!
इस तरह प्यार की दुनिया को बसाए रखना!!

अरमान शायरी इन हिंदी | इच्छा शायरी | दिल शायरी हिंदी

दिल में अरमान शायरी फोटो Dil Ke Armaan Shayari Image

दिल में अरमान शायरी फोटो Dil Ke Armaan Shayari Image

बेहतरीन गजल | आशिकों के लिए शायरी

दिल में अरमानो की इक भीड़ लगाए रखना!
इस तरह प्यार की दुनिया को बसाए रखना!!

नफरत-व-बुग्ज के अंधेरों को मिटाये रखना!
दोस्तो!,दीप, मुहब्बत के, जलाए रखना!!

कहकहे होंठो पे हर लम्हा सजाए रखना!
सारे लोगों को त-अज्जुब में पड़ाए रखना!!

दिल-जले/मनचले लोगों को हरगिज़ न भुलाए रखना!
उन की तस्वीरों से एल्बम को सजाए रखना!!

उस की यादे किसी दौलत से नहीं हैं कम,यार!
याद-ए-जानाँ को कलेजे से लगाए रखना!!

साथ, जोरूवो के, हमबिस्तरी करना हर रोज!
अपने इस बाग में तुम फूल खिलाए रखना!!

जुल्मते दूर रहेंगी तो मजा आयेगा!
शम्म हर सम्त( सिम्त), मुहब्बत की, जलाए रखना!!

सारी किस्मों के गुलों से रहे आरास्ता बाग!
अपने गुलजार में सब फूल खिलाए रखना!!

दोस्तो!,कहकहे, होंठों पे सजाए रखना!
सारे माहौल को गुलजार बनाए रखना!!

तुम किसी से भी अदावत नहीं करना हरगिज़!
दोस्तो!,दोस्ती के दीप जलाए रखना!!

है हवस ताक में, अब खुद को छुपाए रखना!
लड़कियो!,गौहर-ए-इस्मत को बचाए रखना!!

बेहतरीन, जदीद, मुन्फरिद गजल

हर तरफ अम्न का माहौल बनाए रखना!
जंग के शोलो(شعلوں)से इन्सा ( انساں) को बचाए रखना!

ये जरूरी भी है बुनियाद-ए-मुहब्बत के लिए!!
दोस्तो!,दिल को हर इक दिल से मिलाए रखना!!

कोई कीमत नहीं मुरझाए हुए फूलों की!
सूरत-ए-गुन्चा-व-गुल,दिल को खिलाए रखना!!

सब की तस्कीन-ए-नजर का रहे हर वक्त खयाल!!
फूल हर किस्म के/हर तरह/ सब किस्मों के, गुलशन में खिलाए रखना!!

सिर्फ गुल ही नहीं, गुलज़ार में कांटे भी हैं!!
है ये लाजिम तुम्हें, दामन को बचाए रखना!!

है ये धरती, कि ,यहाँ जलजले भी आते हैं!!
तुम ब-हर-तौर यहाँ पाँव जमाए रखना!!

शाम-ए-गम आए हैं जो अश्क तेरी पल्को (پلکوں) पर!!
रौश्नी/ रौशनी के लिए ता-देर जलाए रखना!!

आंधिया( آندھیاں) लाख चलें, तुम न कभी घबराना!!
आंधियों ( آندھیوں) में भी दिया दिल का जलाए रखना!!

यारो!,हर लम्हा मेरा साथ दिया है तुम ने!!
आने वाले समय में साथ निभाते रहना!!

जाम-व-मीना की जरूरत ही नहीं है मुझको!!
अपनी मख्मूर निगाहों से पिलाए रखना!!

मैं गुनहजार हूँ, लेकिन हूँ तेरा ही बन्दा!!
मेरे मौला!,मुझे दोजखसे बचाए रखना!!

मेरे औसाफ से अरबाब-ए-जहाँ जलते हैं!?
जलने वालों को खुदा और जलाए रखना!!

तुम को रहना है यहाँ साथ अगर मिलजुल कर!!
बुग्ज-व-कीना-व-हसद दिल से मिटाए रखना!!

हुस्न!/पगली!,तस्वीर-ए-वफा था वो दिवाना,बे-शक!!
उस की तस्वीर को सीने से लगाए रखना!!

शाम-ए-गम जलते हैं जो दीप तेरी पल्को पर!!
रौश्नी ( रौशनी) के लिए ता-देर जलाए रखना!!

तल्खी माहौल में फैली हुई है, राम पिया!
अपनी भाषा तु मगर मीठी बनाए रखना!!

तल्खिया(تلخیاں) शहर में फैलाई गयी हैं, यारो!!
तुम जबा( زباں) अपनी मगर शीरीं बनाए रखना!!

नोट :- इस तवील और मुन्फरिद गजल के दीगर शेर-व-सुखन आइंदा फिर कभी पेश किए जायेंगे, इन्शा-अल्लाह!
डाक्टर रामदास दिलीप कुमार इन्सान प्रेमनगरी, द्वारा डॉक्टर जावेद अशरफ़ कैस फैज अकबराबादी, खदीजा नरसिंग होम, रांची हिल साईड,इमामबाड़ा रोड राँची-834001,झारखण्ड, इन्डिया!
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