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नमाज़ पढ़ने का सही तरीका हिंदी में | नमाज़ कैसे पढ़े | नमाज़

नमाज़ पढ़ने का सही तरीका हिंदी में | Namaaz Padhne Ka Sahi Tareeka Hindi Mein

मज़हब ए इस्लाम में नमाज़ पढ़ने की खास अहमियत है। कभी कभी कुछ लोगों को अक्सर ही यह मसॷला दर पेश आता है कि नमाज़ पढ़ने में किन किन चीजों का ख्याल रखना चाहिए और नमाज़ कैसे पढ़नी चाहिए? इन्हीं सवालों को ध्यान में रखते हुए यहां नमाज़ पढ़ने का सही तरीका बताया जा रहा है जिसमें इन चीजों पर तफ़्सील से लिखा गया है। जैसे :-

नमाज़ की शर्ते (Namaaz Ki Sharte)

वजू का तरीका (Wajoo Ka Tareeka)

गुस्ल का तरीका (Gusl Ka Tareeka)

नियत का तरीका (Niyat Ka Tareeka)

अज़ान के बाद पढ़ी जाने वाली दुआ (Azaan Ke Baad Kee Dua)

नमाज़ की रकाअत (Namaaz Kee Rakaat)

नमाज़ का तरीका (Namaaz Ka Tareeka)

तीन रक’आत नमाज़ का तरीका (Teen Rak’aat Namaaz Ka Tareeka)

चार रक’आत नमाज़ का तरीका (Chaar Rak’aat Namaaz Ka Tareeka)

औरतो की नमाज़ का तरीका (Aurato Kee Namaaz Ka Tareeka)

नमाज़ में पढ़ी जाने वाली कुछ सूरतें (Namaaz Mein Padhee Jaane Vaalee Kuchh Sooraten)

सुरे फातिहा (Sure Phaatiha)

सुरे इखलास (Sure Ikhalaas)

सुरे फ़लक (Sure Falak)

सुरे नास (Sure Naas)

सलाम फेरने के बाद की दुआएं (Salaam Pherane Ke Baad Kee Duaen)

नमाज़ की शर्ते क्या हैं?

यहां नमाज़ की कुछ शर्ते बताई जा रही हैं। जिनको पूरा किये बिना किसी तरह नमाज़ नहीं हो सकती या हो भी तो सही नहीं मानी जा सकती है। कुछ शर्तो का नमाज़ के लिए होना लाज़िमी है, तो कुछ शर्तो का नमाज़ के लिए पूरा किया जाना ज़रूरी है, तो कुछ शर्तें ऐसी भी हैं जिनका नमाज़ पढ़ते वक्त होना ज़रूरी है। इस तरह नमाज़ की कुल शर्ते इस तरह से हैं।

बदन का पाक होना (Badan Ka Paak Hona)

कपड़ो का पाक होना (Kapado Ka Paak Hona)

नमाज़ पढने की जगह का पाक होना (Namaaz Padhane Kee Jagah Ka Paak Hona)

बदन के सतर का छुपा हुआ होना (Badan Ke Satar Ka Chhupa Hua Hona)

नमाज़ का वक्त होना (Namaaz Ka Waqt Hona)

किबले की तरफ मुह होना (Qibale Kee Taraf Muh Hona)

नमाज़ की नियत यानि इरादा करना (Namaaz Kee Niyat Yaani Iraada Karana)

एक बात का ख़याल रहे की पाक होना और साफ होना ये दोनों अलग अलग चीज़े हैं। पाक होना शर्त है लेकिन साफ़ होना शर्त नहीं है। मतलब बदन, कपड़े या ज़मीन नापाक चीज़ों से भरी हुई ना हो। धुल मिट्टी के कारण से कहा जा सकता है की साफ नहीं है, लेकिन पाक तो है।

बदन का पाक होना (Badan Ka Paak Hona)

नमाज़ पढ़ने के लिए बदन अच्छी तरह से पाक साफ़ होना ज़रूरी है। बदन पर कोई भी नापाकी लगी नहीं रहनी चाहिए। बदन पर कोई गंदगी या नापाकी लगी हो तो वजू या गुस्ल कर के नमाज़ पढ़नी चाहिए।

कपड़ो का पाक होना (Kapado Ka Paak Hona)

नमाज़ पढ़ने के लिए बदन पर पहने हुए कपड़ों का पाक होना ज़रूरी है। कपड़े पर कोई नापाकी लगी नहीं रहनी चाहिए। कपड़े पर कोई गंदगी लगी हो या नापाकी हो तो कपड़ा धो लेना चाहिए नहीं तो दूसरा कपड़ा पहन कर नमाज़ पढ़नी चाहिए।

नमाज़ पढ़ने का सही तरीका हिंदी में | नमाज़ कैसे पढ़े | नमाज़

नमाज़ पढने की जगह का पूरी तरह पाक होना

जिस जगह पर नमाज पढ़ी जा रही हो उस जगह को पूरी तरह से पाक होना जरूरी है। अगर वहां कोई गंदगी हो या नापाकी हो तो उस जगह को धो लेनी चाहिए या किसी दूसरी जगह नमाज़ पढ़ लेनी चाहिए।

बदन के सतर का ढका हुआ या छुपा हुआ होना

नाफ के निचले हिस्से से लेकर घुटनों तक के हिस्से को मर्द का सतर (Lower Part Of Body) कहा जाता है। नमाज़ में मर्द का यह हिस्सा यानी सतर दिख जाए तो नमाज़ सही नहीं मानी जाएगी।

नमाज़ का वक्त होना

किसी भी नमाज़ को पढने के लिए नमाज़ का वक़्त होना जरूरी होता है। वक्त से पहले किसी भी नमाज़ को नहीं पढ़ी जा सकती और वक़्त के बाद भी पढ़ी गयी नमाज़ को कज़ा नमाज़ मानी जाएगी।

किबले की तरफ मुह होना

नमाज़ को क़िबला रुख होकर ही पढ़नी चाहिए। मस्जिदों में तो इस बारे में खास फिकर करने वाली कोई बात नहीं होती, मगर कहीं अकेले और मस्जिद से बाहर नमाज़ पढ़ रहे हो तो क़िबले की तरफ़ मुह करना याद रखा जाए।

नमाज़ की नियत या इरादा करना

नमाज पढ़ते वक़्त नमाज़ पढ़ने का इरादा करना चाहिए। इसी को नियत कहा जाता है।

वजू का तरीका

नमाज़ पढ़ने के लिए वजू शर्त है। वजू के बगैर नमाज़ नहीं पढ़ी जा सकती। और पढ़ते भी हैं तो वो सही नहीं मानी जा सकती है। वजू का सही तरीका यह है की नमाज़ पढ़ने के लिए वजू का इरादा करे। फिर वजू शुरू करने से पहले बिस्मिल्लाह पढ़ें और इस तरह से वजू को पूरा करें।

"दोनों हाथों को कलाइयों तक अच्छी तरह से धोएं

मूंह में साफ पानी डालकर कुल्ली करें

नाक में पानी चढ़ायें और नाक की सफाई करें

चेहरे को अच्छी तरह से धोएं

दाढ़ी में खिलाल करें

दोनों हाथों को कुहनियों तक धोंये

एक बार सर का और कानों का मसाह करें मसह करने का सही तरीका इस तरह है की अपने हाथों को भींगा कर एक बार सर और दोनों कानों पर फेरना शुरु करें और कानों को अंदर बाहर से साफ़ कर लें।

दोनों पांव को टखनों तक धोंयें।

बस यही है वजू का सही तरीका है। इस तरीके से वजू करते समय तमाम हिस्सा कम से कम एक बार या ज़्यादा से ज़्यादा तीन बार धोना चाहिए। लेकिन मसाह बस एक बार ही करना चाहिए। इस से अधिक बार किसी भी हिस्से को धोने की इजाजत नहीं है इसलिए कि ऐसा करना पानी की बर्बादी शुमार की जाती है और पानी की बर्बादी करने से रसूल अल्लाह ने मना फ़रमाया है।

गुस्ल करने का सही तरीका

अगर किसी ने अपनी बीवी से सोहबत की है, या रात में अहेतलाम हुआ है, या लम्बे अरसे से नहाया नहीं है तो उस आदमी को गुस्ल करना ज़रूरी है। इसलिए कि गुस्ल के बिना वजू नहीं किया सकता। गुस्ल का सही तरीका इस तरह से है।''

"दोनों हाथों को कलाइयों तक अच्छी तरह से धोएं"

"शर्मगाह पर पानी डालिए और धो लीजिये"

"कुल्ली कीजिये"

"नाक में पानी डालिए"

"और पुरे बदन पर सीधे और उलटे जानिब पानी डालिए"

"सर धो लीजिये"

"हाथ पांव धो लीजिये"

"यह गुस्ल का तरीका है। याद रहे ठीक वजू की तरह गुस्ल में भी बदन के किसी भी हिस्से को ज़्यादा से ज़्यादा तीन ही मर्तबा धोया जा सकता है। क्योंकि पानी का ज़रूरत से ज़्यादा इस्तेमाल इस्लाम में गैर पसंदीदा अमल माना गया है"।

नियत का तरीका

नमाज़ की नियत का तरीका यह है की अपने दिल में नमाज़ पढने का इरादा किया जाए। इरादा करना ही नमाज़ की नियत है। अपने नमाज़ पढ़ने के इरादे को किसी खास अल्फाज़ से बयान करना, या जुबान से पढना ज़रूरी नहीं।

"अज़ान और अज़ान के बाद की दुआ"

अज़ान

‘‘अल्लाहु अकबर अल्लाहु अकबर

अल्लाहु अकबर अल्लाहु अकबर

अशहदु अल्लाह इलाहा इल्लला

अशहदु अल्लाह इलाहा इल्लला

अशहदु अन्न मुहम्मदुर्रसुल अल्लाह

अशहदु अन्न मुहम्मदुर्रसुल अल्लाह

हैंय्या अलस सल्लाह

हैंय्या अलस सल्लाह

हैंय्या अलल फलाह

हैंय्या अलल फलाह

अल्लाहु अकबर अल्लाहु अकबर

ला इलाहा इल्ललाह’’

बस यही तो है वह अज़ान जिसे हम दिन में पाँच बार हर रोज सुनते हैं। "जब हम यह अज़ान सुनते हैं, तब इसका जवाब देना हम सब पर लाजिम हो जाता है, और यह जवाब किस तरह दिया जाये? तो इसका सही जवाब यह है कि बस उसी बात को दोहराई जाए जो अज़ान देने वाला बोल रहा है। वह बोले "अल्लाहु अकबर तो आप को भी कहना चाहिए कहो अल्लाहु अकबर"…. इसी तरह से पूरी अज़ान का जवाब देते रहना चाहिए तो बस "हैंय्या अलस सल्लाह" और "हैंय्या अलल फलाह" के जवाब में आप को कहना है "ला हौला वाला कुव्वता इल्ला बिल्लाह"

अज़ान के बाद की दुआ

“अल्लाहुम्मा रब्बा हाज़ीहिल दावती-त-ताम्मति वस्सलातिल कायिमति आती मुहम्मद नील वसिलता वल फ़ज़ीलता अब’असहू मक़ामम महमूद निल्ल्जी अ’अत्तहू”

‘‘यह दुआ अज़ान ख़त्म होने के बाद पढ़े। इसका मतलब(अर्थ) है, “ऐ अल्लाह! ऐ इस पूरी दावत और खड़े होने वाली नमाज़ के रब! मुहम्मद (स.) को ख़ास नजदीकी और ख़ास फजीलत दे और उन्हें उस मकामे महमूद पर पहुंचा दे जिसका तूने उनसे वादा किया है! यकीनन तू वादा खिलाफी नहीं करता!”

अज़ान और इकामत के दरमियान के समय में दुआ करना बहेतर मना गया है।

‘‘नमाज़ की रकाअत’’

सुन्नत से साबित नमाज़ की रकाअते।

सुन्नतें मौअक्कदा और फ़र्ज़ रकात

नमाज़े फ़ज्र : दो सुन्नतें, दो फ़र्ज़। इस तरह नमाज़े फज़्र चार रकअतें हुईं

नमाज़े ज़ोहर : चार सुन्नतें चार फ़र्ज़ दो सुन्नतें। इस तरह नमाज़े ज़ोहर दस रकअतें हुई

नमाज़े अस्र : चार फ़र्ज़।

नमाज़े मगरिब : तीन फ़र्ज़ दो सुन्नतें। इस तरह नमाजे मगरिब पांच रकअतें हुई

नमाज़े इशा : चार फ़र्ज़ और दो सुन्नतें। इस तरह नमाज़े इशा छः रकअतें

नमाज़े वित्र : नमाज़े वित्र हक़ीक़त में रात की नमाज़ है, जो तहज्जुद के साथ मिलाकर पढ़ी जाती है। जिन लोगों को रात में उठने की आदत न हों वह वित्र भी नमाज़े इशा के साथ ही पढ़ लिया करें।

‘‘रसूलुल्लाह सल्ल० ने फ़रमाया : “जिसे ख़तरा हो कि रात के आखिरी हिस्से में नहीं उठ सकेगा वह अव्वल शब ही वित्र पढ़ ले।

मुस्लिम, हदीस 755

वजाहत: कोई हज़रात यह ख्याल न करें कि हमने नमाज़ों की रकअतों को कम कर दिया है यानी फ़राइज़ और सुन्नतें मौअक्कदा गिन ली हैं और नफ़्ल छोड़ दिए हैं। मुसलमान भाइयों को मालूम होना चाहिए कि नवाफ़िल अपनी ख़ुशी और मर्जी की इबादत है।


रसूलुल्लाह सल्ल० ने किसी को पढ़ने के लिए मजबूर नहीं किया, इसलिए हमें कोई हक़ नहीं है कि हम अपने नफ़्लों को फर्ज़ो का ज़रूरी और लाज़मी हिस्सा बना डालें। फर्ज़ो के साथ आपकी नफ़्ल इबादत यानी सुन्नतें आ गई हैं जिनसे नमाज़ पूरी और मुकम्मल हो गई है।

नमाज़ का तरीका

नमाज़ का तरीका बिल्कुल आसान है। नमाज़ या तो दो रकआत की होती है, या तीन, या चार रकआत की। एक रकआत में एक क़याम, एक रुकू और दो सजदे होते हैैं। नमाज़ का सही तरीका कुछ इस तरह से है :-

● नमाज़ के लिए क़िबला की तरफ़ मूहँ करके नमाज़ के इरादे के साथ अल्लाहु अकबर कह कर (तकबीर ) हाथ बांध लीजिये।

● हाथ बाँधने के बाद सना पढ़िए। आपको जो भी सना याद हो वो सना आप पढ़ सकते है।

सना के मशहूर अल्फाज़ इस तरह हैं “सुबहानका अल्लाहुम्मा व बिहम्दीका व तबारका इस्मुका व त’आला जद्दुका वाला इलाहा गैरुका” (मतलब: ऐ अल्लाह मैं तेरी पाकि बयां करता हु और तेरी तारीफ करता हूँ और तेरा नाम बरकतवाला है, बुलंद है तेरी शान और नहीं है माबूद तेरे सिवा कोई।)

● इसके बाद त’अव्वुज पढ़े। त’अव्वुज के अल्फाज़ यह हैं “अउजू बिल्लाहि मिनश शैतान निर्रजिम। बिस्मिल्लाही र्रहमानिर रहीम।”

● इसके बाद सुरे फातिहा पढ़े।

● सुरे फ़ातिहा के बाद कोई एक सूरा और पढ़े।

● इसके बाद अल्लाहु अकबर (तकबीर) कह कर रुकू में जायें।

● रुकू में जाने के बाद अल्लाह की तस्बीह बयान करे। आप जो अल्फाज़ में चाहे अल्लाह की तस्बीह बयान कर सकते हैं। तस्बीह के मशहूर अल्फाज़ यह हैं, “सुबहान रब्बी अल अज़ीम (अर्थात: पाक है मेरा रब अज़मत वाला)”

● इसके बाद ‘समीअल्लाहु लिमन हमीदा’ कहते हुवे रुकू से खड़े हो जाये। (अर्थात: अल्लाह ने उसकी सुन ली जिसने उसकी तारीफ की, ऐ हमारे रब तेरे ही लिए तमाम तारीफे है।)

● खड़े होने के बाद ‘रब्बना व लकल हम्द , हम्दन कसीरन मुबारकन फिही’ जरुर कहें।

● इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुवे सज्दे में जायें।

● सज्दे में फिर से अल्लाह की तस्बीह बयान करे। आप जो अल्फाज़ में चाहे अल्लाह की तस्बीह बयान कर सकते हैं। तस्बीह के मशहूर अल्फाज़ यह हैं ‘सुबहान रब्बी अल आला (अर्थात: पाक है मेरा रब बड़ी शान वाला है)’

● इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुवे सज्दे से उठकर बैठे।

● फिर दोबारा अल्लाहु अकबर कहते हुए सज्दे में जायें।

● सज्दे में फिर से अल्लाह की तस्बीह करे। आप जो अल्फाज़ में चाहें अल्लाह की तस्बीह बयान कर सकते हैं। या फिर वही कहें जो आम तौर पर सभी कहते हें, ‘‘सुबहान रब्बी अल आला’’

इस तरह से हो गई नमाज़ की एक रक’आत। इसी तरह उठ कर आप दूसरी रक’अत पढ़ सकते हैं। दो रक’आत वाली नमाज़ में सज्दे के बाद तशहुद में बैठिये।

● तशहुद में बैठ कर सबसे पहले अत्तहिय्यात पढ़िए। अत्तहिय्यात के अल्लाह के रसूल ने सिखाये हुए अल्फाज़ यह हैं,

‘‘अत्ताहियातु लिल्लाहि वस्सलवातु वत्तैयिबातू अस्सलामु अलैका अय्युहन नाबिय्यु रहमतुल्लाही व बरकताहू अस्सलामु अलैना व आला इबादिल्लाहिस सालिहीन अशहदु अल्ला इलाहा इल्ललाहू व अशहदु अन्न मुहम्मदन अब्दुहु व रसुलहू’’

● इसके बाद दरूद पढ़े। दरूद के अल्फाज़ यह हैं,

‘‘अल्लाहुम्मा सल्ली अला मुहम्मद व आला आली मुहम्मद कमा सल्लैता आला इब्राहिम वा आला आली इब्राहिमा इन्नका हमिदुम माजिद● अल्लाहुम्मा बारीक़ अला मुहम्मद व आला आली मुहम्मद कमा बारकता आला इब्राहिम वा आला आली इब्राहिमा इन्नका हमिदुम माजिद●

● इसके बाद दुआ ए मसुरा पढ़े। मतलब कोई भी ऐसी दुआ जो कुर’आनी सुरों से हट कर हो। वो दुआ कुर’आन में से ना हो। साफ साफ अल्फाज़ में आपको अपने लिए जो चाहिए वो मांग लीजिये। दुआ के अल्फाज़ मगर अरबी ही होने चाहिए।

● आज के मुस्लिम नौजवानों की हालत देखते हुवे उन्हें यह दुआ नमाज़ के आखिर में पढनी चाहिए। ‘अल्लाहुम्मा इन्नी अस’अलुका इलमन नाफिया व रिज्क़न तैय्यिबा व अमलम मुतक़ब्बला.’

जिसका मतलब यह है कि “ऐ अल्लाह मैं तुझसे इस इल्म का सवाल करता हूं जो फायदेमंद हो, ऐसे रिज्क़ का सवाल करता हूं जो तय्यिब हो और ऐसे अमल का सवाल करता हूं जिसे तू कबूल करे।”

● इस तरह से दो रक’अत नमाज़ पढ़ कर आप सलाम फेर सकते हैं। ‘अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह’ कहकर आप सीधे और उलटे जानिब सलाम फेरें।

तीन रकआत नमाज़ का तरीका:

दो रकआत नमाज़ पढने के बाद तशहुद में सिर्फ अत्तहियात पढ़ ले और फिर तीसरे रकआत पढ़ें के लिए उठ कर खड़े हो जायें। इस रक’अत में सिर्फ सुरे फातिहा पढ़े और रुकू के बाद दो सज्दे कर के तशहुद में बैठें. तशहुद उसी तरह पढ़े जैसे उपर सिखाया गया है और अत्ताहियात, दरूद और दुआ ए मसुरा पढने के बाद सलाम फेर दें।

चार रकआत नमाज़ का तरीका:

दो रकआत नमाज़ पढने के बाद तशहुद में सिर्फ अत्तहियात पढ़ लें और फिर तीसरे रकअत पढने के लिए उठ कर खड़े हो जायें। इस रकअत में सिर्फ सुरे फातिहा पढ़ें और रुकू के बाद दो सज्दे कर के चौथी रकआत के लिए खड़े हो जायें। चौथी रकअत भी वैसे ही पढ़े जैसे तीसरी रकआत पढ़ी गई है। चौथी रक’शअत पढने के बाद तशहुद में बैठें। तशहुद उसी तरह पढ़ें जैसे उपर सिखाया गया है और अत्ताहियात, दरूद और दुआ ए मसुरा पढने के बाद सलाम फेर दें।

औरत की नमाज़ का तरीका

क्या औरत की नमाज़ का तरीका मर्द से अलग है ?

याद रहे औरतों और मर्दो की नमाज़ में कोई फर्क नहीं।

●हदीस: रसूलुल्लाह सल्ल० ने फ़रमाया : “नमाज़ इसी तरह पढ़ो जिस तरह तुम मुझे नमाज़ पढ़ते हुए देखते हो।’ [ सहीह बुख़ारी, हदीस 231]

मतलब हूबहू मेरे तरीके के मुताबिक़ सब औरतें और सब मर्द नमाज़ पढ़ें। फिर अपनी तरफ़ से यह हुक्म लगाना कि औरतें सीने पर हाथ बांधे और मर्द ज़ेरे नाफ़ और औरतें सज्दा करते समय ज़मीन पर कोई और रूप इख्तियार करें और मर्द कोई और…यह दीन के मुताबिक सही नहीं है।

याद रखें कि तकबीरे तहरीमा से शुरू करके “अस्सलामु आलैकुम व रहमतुल्लाहि” कहने तक औरतों और मर्दो के लिए एक है

हैयत और एक ही शक्ल की नमाज़ है। सब का क़याम, रुकूअ, क़ौमा, सज्दा, जल्सा इस्तराहत, क़ाअदा और हर हर मक़ाम पर पढ़ने की पढ़ाई समान हैं। रसूलुल्लाह सल्ल० ने मर्द और औरत की नमाज़ के तरीके में कोई फर्क नहीं बताया।

हालते नमाज़ में खुजाना कैसा | नमाज़ में खुजली करने से नमाज़ होती है या नहीं ?

सवाल:- 👉 नमाज़ पढ़ने की हालत में कभी-कभी मच्छर मक्खी या कोई और कीड़ा परेशान करता है जिस वजह कर नमाज़ में खुजली करना पड़ जाता है क्या नमाज़ में इस तरह खुजली करने से नमाज़ होती है या नहीं ?
जवाब:-  👉 नमाज़ पढ़ने की हालत में एक रुकन में 3 मर्तबा खुजाने से नमाज़ फ़ासिद हो जाती है ( यानी नमाज़ टूट जाती है ) इस तरह नमाज़ में खुजाया कि 1 मर्तबा खुजा कर हाथ हटा लिया। फिर दूसरी मर्तबा खुजा कर हाथ हटा लिया। फिर तीसरी मर्तबा खुजाया तो नमाज़ फ़ासिद हो जाएगी और अगर सिर्फ एक बार हाथ रख कर कई मर्तबा हरकत दी तो एक ही मर्तबा खुजाना कहा जाएगा और इस से नमाज़ फ़ासिद नहीं होगी।
📒( फतावा आलमगीरी, बहारे शरीयत जिल्द 3 सफह 156 )
👉अगर हालते नमाज़ में बदन के किसी मकाम पर खुजली आए तो बेहतर यह है कि ज़ब्त करे और अगर ज़ब्त ना हो सके और उसकी वजह से नमाज़ में दिल परेशान हो तो खुजाले मगर एक रुकन मसलन क़याम या कोउद या रुकू या सुजूद में 3 मर्तबा ना खुजावे सिर्फ 2 मर्तबा तक खुजाने की इजाज़त है। ( फतावा रज़विया जिल्द 3 सफह 446 )
नोट:- 👉 जो नमाज़ फ़ासिद हो जाती है उसका दोबारा पढ़ना लाजिमी जरूरी है।

नमाज़ में पढ़ी जाने वाली कुछ सूरतें

सुरः फातिहा:

अलहम्दु लिल्लाहि रब्बिल आलमीन● अर्रहमान निर्रहीम● मालिकी यौमेद्दीन● इय्याका नाबुदु व इय्याका नस्तईन● इहदिनस सिरातल मुस्तकीम● सिरातल लजिना अन अमता अलैहिम, गैरिल मग्ज़ुबी अलैहिम वला ज़ाल्लिन। 

सुरः इखलास:

कुलहु अल्लाहु अहद● अल्लाहु समद● लम यलिद वलम युअलद● वलम या कुल्लहू कुफुअन अहद। 

सुरः फ़लक:

कुल आउजू बिरब्बिल फ़लक● मिन शर्री मा खलक● व मिन शर्री ग़ासिक़ीन इज़ा वक़ब● व मिन शर्री नफ्फासाती फिल उक़द● व मिन शर्री हासिदीन इज़ा हसद।

सुरः नास:

कुल आउजू बिरब्बिन्नास● मलिकीन्नास● इलाहीन्नास● मिन शर्रिल वसवासील खन्नास● अल्लजी युवसविसू फी सुदुरीन्नास● मिनल जिन्नती वन्नास। 

सलाम फेरने के बाद की दुआएं

सलाम फेरने के बाद आप यह दुआएं पढ़ें।


एक बार ऊँची आवाज़ में ‘अल्लाहु अकबर’ कहें

फिर तीन बार ‘अस्तगफिरुल्लाह’ कहें

एक बार ‘अल्लाहुम्मा अन्तास्सलाम व मिनकस्सलाम तबारकता या जल जलाली वल इकराम’ पढ़े।

इसके बाद तेंतीस (33) मर्तबा सुबहान अल्लाह, तेंतीस (33) मर्तबा अलहम्दु लिल्लाह और तेंतीस (33) मर्तबा अल्लाहु अकबर पढ़ें।

आखिर में एक बार ‘ला इलाहा इल्ललाहु वहदहू ला शरीका लहू लहुल मुल्कू वलहूल हम्दु वहुवा आला कुल्ली शैईन कदीर’ यह दुआ पढ़े.

फिर एक बार आयातुल कुर्सी पढ़ लें।

ऊपर बताये गए सुरे इखलास, सुरे फ़लक और सुरे नास एक एक बार पढ़ लें।

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