क्योंकि मैं शायरी हूँ | डाॅ.अफ़रोज़ आलम की खुबसूरत शायरी
मैं शायरी हूँ | Main Shayari Hoon
मैं शायरी हूँ
रवाँ-दवाँ रहता है
लेकिन
मेरी दुनिया में तमाशा और तक़रीर का कोई वजूद नहीं
जादू -टोना,करतब -वरतब , ताक़त -वाक़त
ये सब मेरे उफ़क़ के उस पार की चीज़ें हैं
क्योंकि मैं शायरी हूँ
हाँ मैं शायरी हूँ
इसलिए
अलीगढ़ के नाम निहाद तालीम इल्म की तक़रीर नहीं
बल्कि
महादेवी वर्मा की तहरीर हूँ
मै ज़मज़म हुँ, मैं गंगा हूँ
बैरागी के हाथों का ईक तारा हूँ
मैं किसी मदमस्त के हाथ का त्रिशूल नहीं
बल्कि
देवी सरस्वती के हाथ का फूल हूँ
हाँ मैं शायरी हूँ
मैं किसी सरफिरे का गुजरात नहीं
मैं तो हर हाल में देहात हूँ
नाज़ुकी मेरे लब का गहना है
और मैं नवाए सरोश हूँ
क्योंकि मैं गुलाब की एक पंखुड़ी हूँ
हाँ मैं शायरी हूँ
डाॅ. अफ़रोज़ आलम
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