बेबस और लाचार जिंदगी शायरी
इस पोस्ट में आप पढ़ेंगे बेबस और लाचार जिंदगी शायरी, लाचारी शायरी, ज़िन्दगी क्या है शायरी, दिल की बेबसी शायरी, कविता बेबसी के मीनार, Hindi Kavita On Life Bebasi Ke Minar Poem In Hindi
Bebasi Ke Minar Hindi Kavita
कविता बेबसी के मीनार
मैं जब भी देखती हूँ
ऊंची, क़द्दावर इमारतों को
उनके तराशे हुए नक़्श को
उनमें गढ़े हुए बेल-बूटों को
सुरख़ाब के पूरे जैसे
उनके रंग-रौग़न को
उनके गोशे-गोशे में
बिखरी हुई रानाइयों को
उनके दरों-दीवारों पर आवेज़ा
तस्वीरों को
उनके तराशे हुए नक़्श को
उनमें गढ़े हुए बेल-बूटों को
सुरख़ाब के पूरे जैसे
उनके रंग-रौग़न को
उनके गोशे-गोशे में
बिखरी हुई रानाइयों को
उनके दरों-दीवारों पर आवेज़ा
तस्वीरों को
दिल की बेबसी शायरी
उनमें लिखी हुई तहरीरों को
जहाँपनाह! आलमपनाह!
बामुलाहिज़ा, होशियार!
आली जनाब तशरीफ़ ला रहें हैं
महसूस होता है अजीब सा दर्द
आंखों के कोने, थोड़े से नर्म हो जाते हैं
जहाँपनाह! आलमपनाह!
बामुलाहिज़ा, होशियार!
आली जनाब तशरीफ़ ला रहें हैं
महसूस होता है अजीब सा दर्द
आंखों के कोने, थोड़े से नर्म हो जाते हैं
Hindi Kavita on Life-बेबस जिंदगी शायरी
ज़ेहन में तस्वीर उभरती है–
उन लाचार, बेबस इंसानों की...
जिनका कोई नामो-निशान
तक नहीं इन महलों को,
गढ़ने वालों की लिस्ट में
महल के किनारे लगे शिलालेख
उन लाचार, बेबस इंसानों की...
जिनका कोई नामो-निशान
तक नहीं इन महलों को,
गढ़ने वालों की लिस्ट में
महल के किनारे लगे शिलालेख
New Kavita In Hindi
मैं ढूंढती हूँ बहुत,
बारीकी से इनका नाम...
जिन्होंने तोड़े होंगे पत्थर...
एक-एक ईंट रखी होगी...
महल की नींव की बुनियाद में
शामिल होगा जिनका पसीना
सारा-सारा दिन मशक्क़त की होगी,
दो वक़्त की रोटी के वास्ते...
कहीं कलम तो नहीं कर दिए गए,
इनके हाथ?
महलों की तामीर के जुर्म में?
ज़रूर ऐसा ही हुआ होगा...
अतिया नूर
बारीकी से इनका नाम...
जिन्होंने तोड़े होंगे पत्थर...
एक-एक ईंट रखी होगी...
महल की नींव की बुनियाद में
शामिल होगा जिनका पसीना
सारा-सारा दिन मशक्क़त की होगी,
दो वक़्त की रोटी के वास्ते...
कहीं कलम तो नहीं कर दिए गए,
इनके हाथ?
महलों की तामीर के जुर्म में?
ज़रूर ऐसा ही हुआ होगा...
अतिया नूर
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