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दुर्गा पूजा पर निबंध – Durga Puja Essay in Hindi

दुर्गा पूजा पर निबंध – Durga Puja Essay in Hindi


दुर्गा पूजा एक महत्वपूर्ण हिंदू पर्व है। अक्सर छात्रों को स्कूल में और कॉलेज में दुर्गा पूजा पर हिंदी में निबंध लिखने के लिए कहा जाता है। कभी-कभी विद्यार्थियों को अपने घर से दुर्गा पूजा पर निबंध लिखकर लाने के लिए कहा जाता है और कई बार तो परीक्षा में भी दुर्गा पूजा के निबंध के बारे में सवाल आता है। जब कभी कम उम्र के विद्यार्थियों को दुर्गा पूजा पर निबंध लिखने के लिए गृह कार्य के रूप में दिया जाता है तो वह अपने माता-पिता को परेशान करने लगते हैं ऐसे में अभिभावक भी दुर्गा पूजा पर निबंध के लिए इंटरनेट पर इधर-उधर तलाश करने लगते हैं आज के पोस्ट में हम इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखते हुए दुर्गा पूजा पर निबंध 10 लाइन में, दुर्गा पूजा निबंध 150 शब्दों में, दुर्गा पूजा पर निबंध 200 शब्दों में, दुर्गा पूजा पर निबंध 300 शब्दों में, दुर्गा पूजा पर निबंध 500 शब्दों में, तथा हर प्रकार के छोटे बड़े निबंध प्रस्तुत करने जा रहे हैं जिसकी सहायता से आप आसानी से दुर्गा पूजा पर निबंध लिख सकते हैं।

दुर्गा पूजा पर निबंध 10 लाइन में


१. दुर्गा पूजा का त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में हर वर्ष आश्विन महीने में मनाया जाता है।

२. मां दुर्गा ने अत्याचारी और दुराचारी राक्षस महिषासुर का वध करके बुराई पर जीत प्राप्त की थी, इसलिए यह पर्व हर वर्ष मां दुर्गा के सम्मान में मनाया जाता है।

३. यह त्यौहार प्रत्येक वर्ष हिंदी पंचांग के शारदीय नवरात्रि में मनाया जाता है और मां दुर्गा से आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है।

४. दुर्गा माता की पूजा लगातार १० दिनों तक की जाती है।

५. नवरात्रि के पहले दिन से ९वें दिन तक दुर्गा पूजा होती है एवं दसवें दिन को विजयदशमी कहा जाता है।

६. दुर्गा पूजा के समय आश्विन महीने में चारों तरफ दुर्गा माता के मंत्र के जब होते रहते हैं और जगह-जगह मेला लगा हुआ रहता है।

७. नवरात्रि के छठवें दिन दुर्गा माता की मूर्ति रखी जाती है जहां भारी संख्या में लोग दर्शन और पूजा करने आते हैं।

८ नवरात्रि के १०वें दिन विजयादशमी के दिन मूर्तियों को गाजे-बाजे के साथ पवित्र नदियों, तालाबों या जल स्रोतों में विसर्जित किया जाता है।

९. विजयादशमी के दिन रावण के पुतले को जलाया जाता है जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है।

१०. दुर्गापूजा का महापर्व भारत और विदेशों में रहने वाले हिन्दू  भी उत्साह के साथ मनाते हैं।

दुर्गा पूजा निबंध 150 शब्दों में

दुर्गा पूजा भारतीय हिंदू त्योहार है इस त्यौहार में हम दुर्गा माता की पूजा करते हैं। यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। ऐसी मान्यता है कि महिषासुर नामक राक्षस को मार कर मां दुर्गा ने लोगों को बुराई से बचाया था। दुर्गा पूजा की शुरुआत नवरात्रि के पहले दिन से होती है। दुर्गा पूजा दशहरा के दिन विजयदशमी के उत्सव के साथ समाप्त हो जाती है, जो बुराई पर अच्छाई की विजय का संदेश देता है। मां दुर्गा की पूजा करने हमें देवी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। जो लोग उस दिन पूजा करते हैं उन्हें मां दुर्गा कोई कष्ट नहीं होने देती।

दुर्गा पूजा का त्योहार वैसे तो पूरे भारतवर्ष में मनाया जाता है लेकिन कोलकाता मैं दुर्गा पूजा बहुत महत्वपूर्ण होता है। विजयदशमी पर दुर्गा पूजा तब समाप्त होता है जब मां दुर्गा की मूर्तियों का विसर्जन पवित्र नदियों में हो जाता है। दुर्गा पूजा का त्योहार आनंद और आध्यात्मिकता का त्योहार है।

दुर्गा पूजा पर निबंध 350 शब्दों में

दुर्गा पूजा भारतीय हिन्दू समुदाय का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो माता दुर्गा की पूजा और महान धार्मिक उत्सव के रूप में मनाया जाता है। यह पूजा आश्विन मास के नवरात्रि में मनाई जाती है, जो सात दिनों तक चलती है।

दुर्गा पूजा का मुख्य उद्देश्य माता दुर्गा की पूजा करके उनकी कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करना होता है। इस अवसर पर लोग माता दुर्गा के मंदिरों और पंडालों में जाकर पूजा करते हैं और व्रत रखते हैं।

दुर्गा पूजा के दौरान, प्राचीन कथाओं और पौराणिक किस्सों का वाचन भी किया जाता है, जिससे समाज के लोग अपने धार्मिक और सांस्कृतिक धारा को महत्वपूर्ण रूप से समझते हैं।

दुर्गा पूजा के दौरान, सुंदर पंडाल और मूर्तियों की सजावट की जाती है, और लोग रात के जागरणों में भजन-कीर्तन करते हैं। इसे सामाजिक मेलजोल और धार्मिक उत्सव के रूप में भी मनाया जाता है।

दुर्गा पूजा एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और धार्मिक आयोजन है जो भारतीय समुदाय के लोगों के लिए मानवता, धर्म और समृद्धि की प्रतीक है।

दुर्गा पूजा के दौरान, सभी आयु वर्गों के लोग एक साथ आते हैं और एक विशेष भावना के साथ इस उत्सव को मनाते हैं। इस त्योहार के दिनों में लोग अपनी परिवारों के साथ मिलकर माता दुर्गा की पूजा करते हैं और आस पड़ोस में प्रसाद का वितरण करते हैं।

दुर्गा पूजा का एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यह व्यापारिक रूप से भी महत्वपूर्ण होता है। इस समय पर, विभिन्न शहरों और गाँवों में मेलों और बाजारों का आयोजन होता है, जो व्यापारिक गतिविधियों को बढ़ावा देते हैं।

दुर्गा पूजा के दौरान, कला और संस्कृति का भी महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। विभिन्न प्रकार की नृत्य और संगीत कार्यक्रम होते हैं, और लोग रंगीन परिधान पहनकर त्योहार का आनंद लेते हैं।

समाज में सौहार्द्य और एकता का संदेश देने वाला दुर्गा पूजा, भारतीय संस्कृति के एक महत्वपूर्ण हिस्से के रूप में आता है, जो सभी वर्गों और समुदायों के लोगों को एक साथ आने का अवसर प्रदान करता है। यह धार्मिक, सांस्कृतिक, और सामाजिक दृष्टि से एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो भारत में विशेष उत्साह के साथ मनाया जाता है।

दुर्गा पूजा पर निबंध 555 शब्दों में

दुर्गा पूजा

भारतीय संस्कृति में धार्मिक और सांस्कृतिक त्योहारों का महत्व अत्यधिक होता है, और इनमें से एक महत्वपूर्ण त्योहार है - दुर्गा पूजा। यह पूजा हर साल भारत के विभिन्न हिस्सों में धूमधाम से मनाई जाती है और नवरात्रि के दौरान विशेष रूप से मनाई जाती है। दुर्गा पूजा का मतलब होता है देवी दुर्गा की पूजा करना, जो मां पर्व के रूप में भी जानी जाती है। यह त्योहार आनंद, भक्ति और समृद्धि की भावना के साथ मनाया जाता है।

दुर्गा पूजा का आयोजन आदिकाल से ही होता आया है और इसका महत्वपूर्ण रूप से उल्लेख वेदों में मिलता है। यह पूजा मां दुर्गा की महाकाव्य में वर्णित कथा के आधार पर की जाती है, जिसमें उनकी शक्ति का प्रतीक मां दुर्गा ने महिषासुर के विरुद्ध युद्ध किया था और उसका नाश कर के दानव से मानव की रक्षा की थी। इस पूजा के दौरान, विशेष रूप से नौ दिनों तक, व्रत और भक्ति के साथ मां दुर्गा की पूजा की जाती है।

दुर्गा पूजा का आयोजन भारत के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग रूपों में किया जाता है। पश्चिम बंगाल में यह पूजा सर्वाधिक धूमधाम से मनाई जाती है, जबकि गुजरात में नवरात्रि के दौरान गरब रास नृत्य और ध्वज पूजा का आयोजन किया जाता है। इसके अलावा, दुर्गा पूजा के दौरान पंडालों की सजावट, मां की सुंदर मूर्ति की सजीवता, और आरती के द्वारा देवी की पूजा की जाती है।

दुर्गा पूजा के इस महत्वपूर्ण त्योहार के दौरान, लोग मां दुर्गा के प्रति अपनी श्रद्धा, विश्वास और समर्पण दिखाते हैं। इस पूजा के आयोजन के लिए समाज के विभिन्न वर्गों के लोग एक साथ आते हैं और सामाजिक एकता का संदेश देते हैं।

इसके अतिरिक्त, दुर्गा पूजा के अवसर पर भोग और प्रसाद की विशेष व्यवस्था की जाती है। इस प्रसाद को ग्रहण कर भक्त अपने आप को धन्य और गौरवान्वित महसूस करते हैं क्योंकि वे मां दुर्गा के आशीर्वाद के साथ स्वादिष्ट भोग खाना अपना सौभाग्य समझते हैं।

वास्तव में दुर्गा पूजा एक ऐसा त्योहार है जो भारतीय संस्कृति की गौरवशाली धरोहर का प्रतीक है। यह एक महीने के त्योहार के रूप में मनाया जाता है और इसकी तैयारी लोगों के लिए महत्वपूर्ण होती है। प्रारंभ में, गलियों और मोहल्लों में विशेष पंडाल बनाए जाते हैं, जिनमें मां दुर्गा की मूर्ति स्थापित की जाती है। इन पंडालों को अद्वितीय डिज़ाइन और आकर्षक रूप में सजाया जाता है, और यह आसपास के लोगों को आकर्षित करता है।

नौ दिनों तक के यज्ञों और पूजा के दौरान, लोग मां दुर्गा की कथाओं का पाठ करते हैं और विभिन्न प्रकार के अध्यात्मिक गीत और मां के भजन गाते हैं। यह वह समय होता है जब लोग अपनी आध्यात्मिक यात्रा पर निकलते हैं और अपने आप को पूरी तरह से मां दुर्गा के ध्यान में लगाते हैं।

दुर्गा पूजा के आयोजन में रात को हुई आरती का विशेष महत्व होता है। आरती के समय " या देवी सर्वभूतेषु" को गाया जाता है, जिससे एक अत्यंत धार्मिक और भक्तिपूर्ण माहौल बनता है।

दुर्गा पूजा के आयोजन के दौरान समाज में सामाजिक एकता और सांस्कृतिक धरोहर का महत्वपूर्ण संदेश मिलता है। लोग इस त्योहार के दौरान संगठित रूप से दान और दिन के बाजारों में वस्त्रों की खरीददारी करते हैं, जिससे स्थानीय व्यापार को भी बढ़ावा मिलता है।

इस तरह हम देखते हैं कि दुर्गा पूजा भारतीय संस्कृति के महत्वपूर्ण हिस्से का प्रतीक है, जो धर्म, भक्ति, और सांस्कृतिक धरोहर का समान्य और उत्कृष्ट मिश्रण प्रदान करता है। यह त्योहार लोगों को मां दुर्गा की शक्ति, साहस और सामाजिक एकता की महत्वपूर्ण बातें सिखाता है और भारतीय संस्कृति की गौरवशाली विरासत का हिस्सा बनता है।

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