संत कबीर दास जी का संक्षिप्त परिचय
विषय- संत कबीर दास
दिनांक- १३/०६/२०२२
विधा- स्वतंत्र
संत कबीर एक बहुत हीं सुलझे हुए व्यक्तित्व के स्वामी थे। उनकी माता उनको त्याग चुकी थी। तब उनको एक जुलाहे ने उनका पालन पोषण किया क्यों की उनके कोई संतान नहीं थी। वह बालक उनको गंगा किनारे मिला था। आगे चलकर उनका नाम संत कबीर दास पड़ा था।
Sant Kabir Das Ka Jivan Parichay
संत कबीर बहुत ही सुन्दर दोहे, कविता, गीत और भजन भी लिखे थे।
जिसमें से कुछ इस प्रकार है:-
संत कबीर दास के दोहे
बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय।
जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय।।
उदाहरण के तौर पर दुसरे को हम जब अंगुली दिखाते हैं तब बाकी तीन अंगुलियां स्वयं: हमारी तरफ मुड़ जाती है।
चलती चक्की देख के, दिया कबीरा रोये।
दो पाटन के बीच में, साबुत बचा न कोए॥
चक्की उदहारण है, उसमें जो भी डाला जाता है तो वह पीस जाता है उसमें कोई साबित नहीं रहता है अन्न या खड़े मसाला का दाना या बीया।
बुराई में इन्सानियत पीस जाती है।
ऐसे महान विभूति जन्मे थे हमारे धराधाम भारतवर्ष की पावन भूमि पर इसलिए पूजनिय है हमारे।
पुष्पा निर्मल
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