अंतर्राष्ट्रीय बालश्रम निषेध दिवस पर कविता
12 जून, 2025
बालश्रम निषेध
हर मातपिता से एक निवेदन।
बालश्रम का हम करें उन्मूलन।।
बालजीवन का बालश्रम कोढ़।
लोभ रूपी कंबल तू न ओढ़।।
आधी रोटी हम भले ही खाऍं।
किंतु बच्चा जरूर हम पढाऍं।।
न छिनें हम उसका अधिकार।
वही बच्चा आपका है आधार।।
कौन जाने बच्चे का भविष्य।
बदल दे राष्ट्र का ही परिदृश्य।।
बनाना है यदि परिवार प्यारा।
बदलें अपनी यह विचारधारा।।
बालजीवन को श्रम से बचाऍं।
श्रम के बदले शिक्षा में भेजाऍं।।
शिक्षित परिवार शिष्ट परिवार।
बदले आचार विचार व्यवहार।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )
बिहार।
बालश्रम निषेध है
श्रम तो कर्म है,
निष्ठा ही धर्म है,
जीवन में सादर अपनाइए।
बालश्रम निषेध है,
जीवन का वेध है,
बाल को श्रम से सदा बचाइए।।
पेट हेतु मजबूर है,
बना वह मजदूर है,
कुछ तो बीड़ा उठाइए।
पिता नशेड़ी हो,
चाचा गँजेड़ी हो,
गंदे कीचड़ से जीवन बचाइए।।
नहीं उसे कोई बोध है,
बाल श्रम अवरोध है,
बालश्रम अपराध उसे बताइए।
बाल श्रम वेध है,
बालश्रम निषेध है,
शिक्षा का महत्व उसे समझाइए।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना।
अरुण दिव्यांश 9504503560
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