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बालश्रम निषेध दिवस 2025: बाल श्रम के विरुद्ध जागरूकता और समाधान

बालश्रम निषेध दिवस 2025: बाल श्रम के विरुद्ध जागरूकता और समाधान

भूमिका
भारत सहित दुनिया के कई देशों में आज भी लाखों बच्चे ऐसे हैं जो स्कूल की किताबों और खेल के मैदान की जगह, फैक्ट्रियों, होटलों, ईंट भट्ठों और खेतों में काम कर रहे हैं। बचपन जो सीखने, खेलने और सपने देखने का समय होता है, वह मजबूरी में मेहनत-मज़दूरी में बीत जाता है। बालश्रम निषेध दिवस एक ऐसा दिन है जो हमें इस सामाजिक बुराई की ओर ध्यान दिलाता है और हमें सोचने पर मजबूर करता है कि क्या हम एक सुरक्षित और शिक्षित बचपन देने में सफल हो रहे हैं?

World Day Against Child Labour


हर साल 12 जून को "विश्व बालश्रम निषेध दिवस" (World Day Against Child Labour) मनाया जाता है ताकि समाज, सरकार, संस्थाएं और आम जनता मिलकर बाल श्रम को जड़ से खत्म करने के लिए प्रयास करें।


बालश्रम क्या है?

जब कोई बच्चा जो 14 वर्ष से कम उम्र का है, उसे स्कूल जाने की बजाय आजीविका के लिए किसी प्रकार का श्रम करना पड़ता है, तो उसे बालश्रम कहा जाता है। यह श्रम मानसिक, शारीरिक, सामाजिक और भावनात्मक दृष्टि से बच्चों के विकास के लिए हानिकारक होता है।

बालश्रम निषेध दिवस का इतिहास

इस दिवस की शुरुआत अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) द्वारा वर्ष 2002 में की गई थी। इसका मुख्य उद्देश्य दुनियाभर में बालश्रम के विरुद्ध वैश्विक चेतना पैदा करना और बाल अधिकारों की रक्षा के लिए कदम उठाना है।

हर वर्ष इस दिन की थीम होती है, जैसे:

• 2023 की थीम थी: "Social Justice for All. End Child Labour!" सभी के लिए सामाजिक न्याय। बाल श्रम समाप्त करें!

• 2024 की थीम थी: “Let’s act on our commitments: End Child Labour!” आइए अपनी प्रतिबद्धताओं पर काम करें: बाल श्रम को समाप्त करें।"

• 2025 की थीम है: “Progress is evident, but there is more work to be done: Let's accelerate efforts!” प्रगति स्पष्ट है, लेकिन अभी और काम करना बाकी है: आइये प्रयासों में तेजी लायें!


बाल श्रम के प्रमुख कारण

1. गरीबी

गरीबी ही सबसे बड़ा कारण है जिसके चलते माता-पिता अपने बच्चों को काम पर भेजने के लिए मजबूर होते हैं।

2. अशिक्षा

अशिक्षित परिवारों में बच्चों की शिक्षा के प्रति जागरूकता की कमी होती है, जिससे वे बाल श्रम को सामान्य मानते हैं।

3. बेरोजगारी

जब परिवार में वयस्क बेरोजगार होते हैं तो बच्चों को भी काम करने के लिए बाध्य होना पड़ता है।

4. सस्ता श्रम

कई व्यवसायी बच्चों को इसलिए काम पर रखते हैं क्योंकि उन्हें कम वेतन देना होता है और विरोध की संभावना नहीं होती।

5. कानूनों की ढील

हालांकि भारत में बालश्रम को प्रतिबंधित करने के लिए कानून हैं, लेकिन उनके सही से पालन नहीं होने के कारण यह समस्या बनी रहती है।


बाल श्रम के प्रभाव

1. शिक्षा से वंचित होना

बालश्रम करने वाले बच्चे पढ़ाई से वंचित हो जाते हैं और जीवन में अच्छी नौकरी या अवसर नहीं मिल पाते।

2. स्वास्थ्य पर प्रभाव

कम उम्र में भारी काम करने से उनका शारीरिक और मानसिक विकास रुक जाता है। कई बार वे गंभीर बीमारियों के शिकार हो जाते हैं।

3. शोषण और उत्पीड़न

बाल मजदूरों के साथ शोषण, मारपीट, दुर्व्यवहार और यौन उत्पीड़न जैसी घटनाएँ भी होती हैं।

4. समाज का नैतिक पतन

जब समाज में मासूम बचपन श्रमिक बनता है, तो वह समाज की संवेदनशीलता और नैतिक मूल्यों को भी गिराता है।


भारत में बाल श्रम निषेध के लिए कानून

1. बाल श्रम (प्रतिषेध और विनियमन) अधिनियम, 1986

यह कानून 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के खतरनाक उद्योगों में काम करने पर प्रतिबंध लगाता है।

2. निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 (RTE Act)

6 से 14 वर्ष के बच्चों के लिए मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा सुनिश्चित करता है।

3. किशोर न्याय (बच्चों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम, 2015

बाल अधिकारों की रक्षा और पुनर्वास के उपायों को निर्धारित करता है।


सरकारी और सामाजिक प्रयास

1. सरकार की योजनाएँ

• सर्व शिक्षा अभियान
• राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR)
• मिड डे मील योजना – जिससे बच्चों को स्कूल में भोजन मिले और वे पढ़ाई से जुड़े रहें।

2. स्वयंसेवी संस्थाएं (NGOs)

• बचपन बचाओ आंदोलन (कैलाश सत्यार्थी द्वारा स्थापित)
• क्राई (CRY)
• सेव द चिल्ड्रेन – ये संस्थाएं बच्चों के अधिकारों के लिए काम करती हैं।

3. जागरूकता अभियान

मीडिया, विद्यालय, सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों द्वारा बालश्रम के खिलाफ जागरूकता अभियान चलाए जाते हैं।


बालश्रम रोकने के उपाय

1. शिक्षा को प्राथमिकता दें

हर बच्चे को मुफ्त, गुणवत्तापूर्ण और सुलभ शिक्षा उपलब्ध कराना जरूरी है।

2. गरीब परिवारों की आर्थिक सहायता करें

सरकार को गरीब परिवारों को रोज़गार और सामाजिक सुरक्षा देनी चाहिए ताकि वे बच्चों को काम पर न भेजें।

3. कानूनों का सख्ती से पालन

बालश्रम करवाने वालों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।

4. समाज में जागरूकता फैलाएं

बालश्रम एक अपराध है—इस सोच को समाज में घर-घर तक पहुँचाना होगा।

5. सामुदायिक भागीदारी

स्थानीय पंचायत, स्कूल, युवाओं और समाज सेवकों को मिलकर गांव और मोहल्ले में बच्चों को श्रम से बचाना होगा।

निष्कर्ष
बालश्रम केवल एक सामाजिक बुराई नहीं, बल्कि मानवता के लिए एक चेतावनी है। जिस समाज में बचपन सुरक्षित नहीं, वहाँ भविष्य उज्जवल नहीं हो सकता। बालश्रम निषेध दिवस हमें यह याद दिलाता है कि हर बच्चे को शिक्षा, पोषण, सुरक्षा और स्नेह मिलना चाहिए। यह हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है कि हम हर बच्चे को उसका बचपन लौटाएँ
आइए इस बालश्रम निषेध दिवस पर हम संकल्प लें कि—

“ना हम बालश्रम करवाएँगे, ना होते हुए देखेंगे।”

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